मेरठ। उत्तर प्रदेश के मेरठ में किसान मजदूर संगठन की महापंचायत में कुछ ऐसे मुद्दे उठे जिन्हें सुनने के बाद महापंचायत में मौजूद सभी लोग चौंक उठे हैं और किसानों की बात सुनने के बाद उनके इस दर्द को भी महापंचायत ने जायज ठहराया है।
उन्होंने कहा कि आगामी 7 अक्टूबर को हर जिले में किसान जिलाधिकारी को ज्ञापन देंगे और 11 अक्टूबर को एक और महापंचायत मेरठ कमिश्रनरी पार्क में होगी। वही ठाकुर पूरन सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद ही उनका धरना समाप्त होगा।
बताते चलें कि मेरठ कमिश्नरी पर आयोजित किसानों की महापंचायत में जहां किसान अपनी अपनी समस्याओं से अवगत करा रहे थे तो वही एक किसान ने खड़े होकर काकी घरवाली क्रीम-पाउडर की मांग करती है,इतनी महंगाई में आमदनी कम होने के कारण उसे कहां से लाकर दें।
वहीं एक किसान ने कहा कि घर का चूल्हा जलना ही मुश्किल होता जा रहा है. जिसके बाद दोनों ही किसानों की बात पूरी महापंचायत में चर्चा का विषय बन गई लेकिन इनकी समस्या को महापंचायत के लोगों ने जायज माना और उन्होंने कहा कि हर एक किसान की समस्या है लेकिन इन दोनों किसानों ने खुल कर बोल कर इस समस्या को मां पंचायत के सामने रखा है।
तो वही किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर पूरन सिंह ने कहा कि मसले को कई है। किसी के चूल्हे की समस्या है तो कहीं क्रीम पाउडर की। वहीं गन्ना मूल्य का भुगतान, युवाओं को नौकरी और बुजुर्गों को पेंशन जैसे कई मुद्दे हैं। कृषि कानून में संशोधन हो न कि वो रद्द हो।
यह है किसानों की मांग : स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुरुप किसान आयोग का गठन किया जाए। बुज़ुर्ग किसानों को पचास वर्ष की आयु के पश्चात 6000 रुपए किसान मजदूर सहायता पेंशन दी जाए। किसानों के सभी ऋण माफ किए जाएं। प्रदेश सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गारंटी लिखकर दे।
वेस्ट यूपी में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना हो। वेस्ट यूपी में एम्स की स्थापना हो। गन्ने का बकाया ब्याज के साथ दिया जाए। किसानों को सभी कृषि यंत्र बिना टैक्स के दिए जाएं। किसानों की सिंचाई के लिए बिजली फ्री की जाए।
बागपत शुगर मिल का दोहरीकरण हो। घरेलू बिजली बिलों को 200 रुपए प्रति माह की दर से प्रारम्भ करें। स्नातक बेरोजगार तो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए 15000 रुपए दिए जाएं। गन्ने का समर्थन मूल्य 450 रुपए प्रति क्विंटल किया जाए।
गौरतलब है कि किसान मजदूर संगठन ने सहारनपुर कमिश्रनरी से पदयात्रा करते हुए ये किसान दिल्ली राजघाट के लिए जा रहे थे। लेकिन अचानक किसानों ने तय कार्यक्रम के अनुसार बदलाव करते हुए मेरठ कमिश्रनरी चौराहे पर ही धरना देने लगे।