लखनऊ। जहां कोरोना महामारी से पूरा देश जूझ रहा है तो वहीं इसकी सबसे ज्यादा मार प्रवासी मजदूर झेल रहे हैं। प्रवासी मजदूरों को घर तक पहुंचने के लिए क्या-क्या नहीं करना पड़ रहा है, यह तो वही जानते हैं। लेकिन उत्तरप्रदेश के औरैया में मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है। औरैया हादसे में मारे गए झारखंड के लोगों को जिला प्रशासन ने 12 मजदूरों के शवों को 3 डीसीएम में भिजवाया लेकिन वह भी वाजिब इंतजाम के बिना।
कुछ शवों को बर्फ नसीब हुई, लेकिन बाकी को वो भी नहीं। 40 डिग्री सेल्सियस की तपिश के बीच काली पॉलिथीन में सब लपेट दिए गए। इसी में 10 घायलों को भी बैठा दिया गया। बिना यह सोचे कि 27-28 घंटे पुराने शवों के बीच ये 800 किलोमीटर लंबा सफर कैसे तय करेंगे? इस तौर-तरीकों पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट करके आपत्ति भी जताई है तो अब यूपी में भी सियासत गरमा गई है और दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग उठने लगी है।
वहीं दोषियों पर कार्रवाई की मांग करते हुए बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने कहा कि औरैया, यूपी की भीषण दुर्घटना में मारे गए मजदूरों व घायलों को इकट्ठा ट्रक में भरकर उनके घर भेजने की हृदयहीनता पर उभरा जन आक्रोश उचित ही है। इससे साबित होता है कि सीएम के निर्देशों का पालन गंभीरता व संवेदनशीलता से नहीं किया जा रहा है। यह अति दु:खद है। दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो।
इतना ही नहीं, बल्कि देश में अभी भी हर जगह लाखों गरीब प्रवासी मजदूर परिवारों की बर्बादी, बदहाली व भूख-प्यास आदि के दृश्य मानवता को शर्मसार कर रहे हैं। खासकर ऐसी महाविपदा के समय में इन लोगों पर पुलिस व प्रशासन की बर्बरता को रोकना केंद्र व राज्य सरकारों के लिए बहुत जरूरी है।
सरकारों से अपील है कि वे अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी के साथ-साथ मानवता व इंसानियत के नाते भी घर वापसी कर रहे गरीब प्रवासी मजदूर परिवारों को सुरक्षित उनके घर पहुंचाने हेतु सरकारी शक्ति व संसाधन का पूरा इस्तेमाल करे, क्योंकि देश इनके ही बल पर 'आत्मनिर्भर' बनेगा।