लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव के आरक्षण को लेकर दाखिल की गई याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।
मामले पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति एम.सी त्रिपाठी तथा न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की खंडपीठ के समक्ष राज्य सरकार की तरफ से आपत्ति की गई कि पंचायत चुनाव की अधिसूचना राज्य चुनाव आयोग ने जारी कर दी है।
संविधान के अनुच्छेद 243 ओ के अनुसार चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद कोर्ट को चुनाव में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। इसलिए याचिका पोषणीय न होने के कारण खारिज की जाए। इस पर दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद हाईकोर्ट ने सरकार के अधिवक्ता द्वारा दी गई दलील को स्वीकार करते हुए याचिका खारिज दी है।
गौरतलब है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्देश के बाद 2015 को आधार मानते हुए जारी किए गए पंचायत चुनाव के आरक्षण को लेकर एक जनहित याचिका हाई कोर्ट में डाली गई थी जिसमें कहा गया था कि गोरखपुर जिले में कोई भी अनुसूचित जनजाति का व्यक्ति नहीं है।
इसके बावजूद सरकार ने 26 मार्च 2021 को जारी आरक्षण सूची में चावरियां बुजुर्ग, चावरियां खुर्द व महावर कोल ग्रामसभा सीट को आरक्षित घोषित कर दिया है। जो कि संविधान के उपबंधो का खुला उल्लंघन है। आरक्षण के रिकार्ड तलब कर रद किया जाय और याचियों को चुनाव लड़ने की छूट दी जाए।