शाहजहांपुर में होली के मद्देनजर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था, मस्जिदों को तिरपाल से ढंका गया

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
बुधवार, 12 मार्च 2025 (14:37 IST)
Tight security arrangements in Shahjahanpur: शाहजहांपुर जिले में पारंपरिक 'लाट साहब' होली (Laat Sahab Holi) जुलूस के मार्ग पर स्थित मस्जिदों को तिरपाल से ढंक दिया गया है और रंगों के त्योहार से पहले कड़े सुरक्षा उपाय किए गए हैं। इसके अलावा इस बार होली वाले दिन जुमे (शुक्रवार) की नमाज के चलते प्रशासन कोई कमी नहीं छोड़ना चाहता है।
 
18वीं शताब्दी की परंपरा के अनुसार शाहजहांपुर में होली की शुरुआत एक बैलगाड़ी पर बैठे 'लाट साहब' (एक ब्रिटिश लॉर्ड) का वेश धारण किए हुए एक व्यक्ति पर जूते फेंकने से होती है। स्थानीय प्रशासन द्वारा जुलूस मार्ग पर बैरिकेड लगाए गए हैं और कई सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं।ALSO READ: संभल में होली और जुम्मा विवाद यूं ही नहीं
 
पुलिस अधीक्षक राजेश एस ने बुधवार को बताया कि होली पर कुल 18 जुलूस शहर में निकलते हैं जिसमें 2 जुलूस प्रमुख होते हैं। इन जुलूस में सुरक्षा के लिए बड़े लाट साहब के जुलूस को 3 जोन तथा 8 सेक्टरों में बांटा गया है जिनमें लगभग 100 मजिस्ट्रेटों की ड्यूटी लगाई गई है।
 
उन्होंने बताया कि पुलिस द्वारा 2423 लोगों पर निरोधात्मक कार्रवाई की गई है। उनके मुताबिक इसके अलावा दोनों जुलूस की सुरक्षा व्यवस्था में 10 पुलिस क्षेत्राधिकारी व 250 उपनिरीक्षक समेत लगभग 1500 पुलिसकर्मी लगाए गए हैं और पीएसी की 2 कंपनियां भी जुलूस मार्ग पर तैनात रहेंगी। किसी को भी कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी। होली का त्योहार लोग सद्भाव के साथ मनाएं। हंगामा करने वालों पर पुलिस की नजर रहेगी।ALSO READ: योगी के मंत्री बोले, जिसे होली के रंग से बचना है, हिजाब पहन लें
 
नगर आयुक्त डॉ. विपिन कुमार मिश्रा ने बताया की लाट साहब के जुलूस के लिए मार्ग पर लगभग 350 कैमरे तथा स्टिल कैमरे लगवाए हैं। जुलूस मार्ग पर पड़ने वाली लगभग 20 मस्जिदों को तिरपाल डालकर ढंक दिया गया है ताकि उन पर रंग ना पड़े। मिश्रा के मुताबिक इसके साथ ही मस्जिद के तथा विद्युत ट्रांसफार्मर के पास अवरोधक लगाए गए हैं।
 
मिश्रा ने बताया कि जुलूस के आगे तथा पीछे 2 ट्रैक्टर ट्रॉलियां चलेंगी, जो रोड पर पड़े हुए जूता-चप्पल तथा फटे कपड़े उठाएंगी। 16 पुलिस पिकेट पॉइंट के पास स्टिल कैमराधारी भी मौजूद रहेंगे, जो पूरे जुलूस की वीडियोग्राफी करेंगे जिसे लाइव देखा जा सकेगा।
 
स्वामी सुकदेवानंद कॉलेज के इतिहासकार डॉ. विकास खुराना ने बताया कि शाहजहांपुर में रहने वाले नवाब अब्दुल्ला खान नाराज होकर फर्रुखाबाद चले गए थे और बाद में 1728 में जब ये शाहजहांपुर वापस आए तो उस दिन होली का त्योहार था, तब इन्होंने शहर में घूम-घूमकर सभी लोगों के साथ होली खेली।
 
खुराना ने बताया कि बाद में यह हर साल का क्रम बन गया जिसके बाद 1930 में यह जुलूस ऊंटगाड़ी पर निकलने लगा और इसके बाद से इसका स्वरूप बिगड़ता चला गया। उन्होंने बताया कि 1990 के दशक में इस जुलूस को रोकने के लिए उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई जिसमें न्यायालय ने इसे पुरानी परंपरा मानते हुए हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया।
 
जुलूस के एक आयोजक मंडल के हरनाम कटिहार ने बताया कि लाट साहब का यह जुलूस कुंचा लाला से शुरू होकर फूलमती मंदिर पर जाता है, जहां फूलमती मंदिर में लाट साहब पूजा-अर्चना करते हैं। इसके बाद जुलूस कोतवाली में पहुंचता है। कोतवाली में कोतवाल से पूरे साल में हुए अपराधों का ब्योरा मांगते हैं। इसके बाद कोतवाल उन्हें बतौर रिश्वत एक शराब की बोतल तथा कुछ नकद धनराशि प्रदान करते हैं।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

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