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मां सरस्वती की आराधना से ये 3 भक्त बन गए थे विद्वान, आप भी जानिए

Webdunia
Vasant Panchmi 2021
 
16 फरवरी को वसंत पंचमी है। यह दिन देवी सरस्वती के जन्मोत्सव यानी वसंत पंचमी के नाम से प्रसिद्ध है। पौराणिक शास्त्रों इस दिन उनकी पूजा-अर्चना करने का विधान बताया गया है। हिंदू धर्मग्रंथों में देवी सरस्वती के 3 ऐसे भक्त रहे हैं। जो पहले मंद बुद्धि थे, लेकिन मां सरस्वती की आराधना के बाद वह विद्वानों की श्रेणी में वरिष्ठ क्रम में आते हैं। यह तीन भक्त कालिदास, वरदराजाचार्य और वोपदेव हैं, जो बचपन में अत्यल्प बुद्धि के थे। 
 
कालिदासः महाकवि कालिदास ने हिंदू पौराणिक कथाओं और दर्शन को आधार बनाकार संस्कृत में रचनाएं कीं। अभिज्ञानशाकुंतलम् कालिदास की सबसे प्रसिद्ध रचना है। मेघदूतम् कालिदास की सर्वश्रेष्ठ रचना है जिसमें कवि की कल्पनाशक्ति की विलक्षणता पढ़ी जा सकती है। उन्होंने अपने श्रृंगार रस प्रधान साहित्य में भी आदर्शवादी परंपरा और नैतिक मूल्यों का समुचित ध्यान रखा है।
 
वरदराज: वरदराज जिन्हें वरदराजाचार्य भी कहा जाता है। वह संस्कृत व्याकरण के महापंडित थे। वे महापंडित भट्टोजि दीक्षित के शिष्य थे। भट्टोजि दीक्षित की सिद्धांत कौमुदी पर आधारित उन्होंने तीन ग्रंथ रचे जो क्रमशः मध्यसिद्धान्तकौमुदी, लघुसिद्धान्तकौमुदी तथा सारकौमुदी हैं।
 
वोपदेव: वोपदेव जी विद्वान्, कवि, वैद्य और वैयाकरण ग्रंथाकार थे। इनके द्वारा रचित व्याकरण का प्रसिद्ध ग्रंथ 'मुग्धबोध' है। इनका लिखा कविकल्पद्रुम तथा अन्य अनेक ग्रंथ प्रसिद्ध हैं। ये 'हेमाद्रि' के समकालीन थे और देवगिरि के यादव राजा के दरबार के मान्य विद्वान थे।

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