वसंत पंचमी विशेष : सरस्वती वंदना दोहे

Webdunia
- संदीप सृजन
संपादक शब्द प्रवाह

 

 
हे वाणी वरदायिनी, करिए हृदय निवास।
नवल सृजन की कामना, यही सृजन की आस।।
 
मात शारदा उर बसो, धरकर सम्यक रूप।
सत्य सृजन करता रहूं, लेकर भाव अनूप।।
 
सरस्वती के नाम से, कलुष भाव हो अंत।
शब्द सृजन होवे सरस, रसना हो रसवंत।।
 
वीणापाणि मां मुझको, दे दो यह वरदान।
कलम सृजन जब भी करे, करे लक्ष्य संधान।।
 
वास करो वागेश्वरी, जिव्हा के आधार।
शब्द सृजन हो जब झरे, विस्मित हो संसार।।
 
हे भव तारक भारती, वर दे सम्यक ज्ञान।
नित्य सृजन करते हुए, रचे दिव्य अभिधान।।
 
भाव विमल विमला करो, हो निर्मल मति ज्ञान।
निर्विकार होवे सृजन, दो ऐसा वरदान।।
 
विंध्यवासिनी दीजिए, शुभ श्रुति का वरदान।
गुंजित होती दिव्य ध्वनि, सृजन करे रसपान।।
 
महाविद्या सुरपुजिता, अवधि ज्ञानस्वरूप।
लोकानुभूति से सृजन, रचे जगत अनुरूप।।
 
शुभ्र करो श्वेताम्बरी, मन:पर्यव प्रकाश।
मन शक्ति सामर्थ्य से, सृजन करे आकाश।।
 
शुभदा केवल ज्ञान से, करे जगत कल्याण।।
सृजन करे गति पंचमी, पाए पद निर्वाण।।
 
 
 
 
Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

अक्षय तृतीया पर बनेंगे 3 अद्भुत संयोग, धन और सुख की प्राप्ति के लिए जरूर करें ये उपाय

महाभारत के अनुसार कब युद्ध करना चाहिए?

अक्षय तृतीया पर परशुराम जयंती, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

युद्ध के संबंध में क्या कहती है चाणक्य नीति?

पाकिस्तान में कितने हैं हिंदू मंदिर और कितने तोड़ दिए गए?

सभी देखें

धर्म संसार

Weekly Calendar 2025: नए सप्ताह के सर्वश्रेष्ठ शुभ मुहूर्त, जानें साप्ताहिक पंचांग में

बाजीराव बल्लाल और उनकी पत्नी मस्तानी की रोचक कहानी

अक्षय तृतीया के दिन करें 10 शुभ काम, 14 महादान, पूरे वर्ष बरसेगा धन

भारत कब करेगा पाकिस्तान पर हमला, जानिए ज्योतिष की सटीक भविष्यवाणी

Aaj Ka Rashifal: आज का राशिफल: जानिए 28 अप्रैल के दिन आपके सितारों की दिशा