फेंगशुई और सीढ़ियों का प्रभाव

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- डॉ. सोनल सिं ह

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भवन में वास्तुदोष हो तो मनुष्य को अपने भाग्य का आधा ही फल मिलता है। अवसाद और मानसिक तनाव बढ़ जाता है तथा आत्मविश्वास में कमी हो जाती है। भवन का निर्माण वास्तु के अनुरूप होने पर मनुष्य को कामयाबी मिलती है।

वास्तु के अनुकूल भवन में 'ची' ऊर्जा प्रवाहित होकर वैभव और सुकून प्रदान करती है। भवन निर्माण में सीढ़ियों का विशेष महत्व है। भवन की सीढ़ियाँ 'ची' को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में सहायक होती हैं। अतः सीढ़ियों की दिशा, बनावट व संख्या को ध्यान में रखकर 'ची' ऊर्जा में वृद्धि की जा सकती है।

* सीढ़ियाँ हमेशा पूर्व से पश्चिम या उत्तर से दक्षिण की ओर ऊँचाई में जाने वाली होनी चाहिए। इस प्रकार पूर्व व उत्तर की 'ची' ऊर्जा भवन में ऊपर तक प्रवाहित होती है।
  भवन में वास्तुदोष हो तो मनुष्य को अपने भाग्य का आधा ही फल मिलता है। अवसाद और मानसिक तनाव बढ़ जाता है तथा आत्मविश्वास में कमी हो जाती है। भवन का निर्माण वास्तु के अनुरूप होने पर मनुष्य को कामयाबी मिलती है।      


* यदि भवन में पूर्व से पश्चिम की तरफ चढ़ने वाली सीढ़ियाँ हों तो भवन मालिक को लोकप्रियता और यश की प्राप्ति होती है।
* यदि भवन में उत्तर से दक्षिण की तरफ चढ़ने वाली सीढ़ियाँ हों तो भवन मालिक को धन की प्राप्ति होती है।

* दक्षिण दीवार के सहारे सीढ़ियाँ धनदायक होती हैं।
* सीढ़ियाँ प्रकाशमान और चौड़ी होनी चाहिए। सीढ़ियों की विषम संख्या शुभ मानी जाती है। सामान्यतः एक मंजिल पर सत्रह सीढ़ियाँ शुभ मानी जाती हैं।
* घुमावदार सीढ़ियाँ श्रेष्ठ मानी जाती हैं। सीढ़ियों का घुमाव क्लॉकवाइज होना चाहिए।

* यदि सीढ़ियाँ सीधी हों तो दाहिनी ओर ऊपर जाना चाहिए।
* भूलकर भी भवन के मध्य भाग में सीढ़ी न बनाएँ अन्यथा बड़ी हानि हो सकती है।
* पूर्व दिशा में सीढ़ियाँ हों, तो हृदय रोग बनाती हैं।

* यदि सीढ़ियाँ चक्राकार सर्पिल हों, तो 'ची' ऊर्जा, ऊपर की ओर प्रवाहित नहीं हो पातीं, जिससे भवन मालिक को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
* ईशान कोण में बनी सीढ़ी पुत्र संतान के विकास में बाधक होती है।
* मुख्य दरवाजे के सामने बनी सीढ़ी आर्थिक अवसरों को समाप्त कर देती है।

* सीढ़ियों के नीचे पूजाघर का निर्माण नहीं करना चाहिए।
* भवन बनाते समय इस बात का ध्यान रखें कि मुख्य दरवाजे पर खड़े व्यक्ति को घर की सीढ़ियाँ दिखाई नहीं देना चाहिए।
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