वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा कैसा होना चाहिए

वास्तु के अनुसार करें घर का निर्माण

अनिरुद्ध जोशी
शनिवार, 24 फ़रवरी 2024 (17:27 IST)
House for vastu: घर को वास्तु शास्त्र के अनुसार बनाया जाना चाहिए और यह तब संभव होता है जबकि आप प्लाट का चयन भी वास्तु के अनुसार करते हैं। इसके बाद ही आप वास्तु के अनुसार घर का नक्क्षा बना सकते हैं। प्लाट पर जब घर बनाने जा रहे हैं तो जानते हैं कि किस दिशा में कौन सा रूम बनाना चाहिए और शौचालय एवं बाथरूम कहां होना चाहिए।
ALSO READ: Fridge Vastu: वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में फ्रिज कहां रखना चाहिए?
घर की दिशा : यदि प्लाट खरीद रहे हैं तो उत्तर या पूर्वमुखी खरीदें। सबसे उत्तम दिशा- पूर्व, ईशान और उत्तर है। वायव्य और पश्‍चिम सम है। आग्नेय, दक्षिण और नैऋत्य दिशा सबसे खराब होती है।
 
घर के अंदर किस दिशा में क्या हो?
किस दिशा में हो कौनसा रूम:-
शौचालय:- स्नानगृह में चंद्रमा का वास है तथा शौचालय में राहू का। शौचालय और बाथरूम एकसाथ नहीं होना चाहिए। शौचालय मकान के नैऋत्य (पश्चिम-दक्षिण) कोण में अथवा नैऋत्य कोण व पश्चिम दिशा के मध्य में होना उत्तम है। इसके अलावा शौचालय के लिए वायव्य कोण तथा दक्षिण दिशा के मध्य का स्थान भी उपयुक्त बताया गया है। शौचालय में सीट इस प्रकार हो कि उस पर बैठते समय आपका मुख दक्षिण या उत्तर की ओर होना चाहिए।
ALSO READ: TV Vastu: वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में टीवी कहां रखना चाहिए?
स्नानघर : स्नानघर पूर्व दिशा में होना चाहिए। नहाते समय हमारा मुंह अगर पूर्व या उत्तर में है तो लाभदायक माना जाता है। पूर्व में उजालदान होना चाहिए। बाथरूम में वॉश बेशिन को उत्तर या पूर्वी दीवार में लगाना चाहिए। दर्पण को उत्तर या पूर्वी दीवार में लगाना चाहिए। दर्पण दरवाजे के ठीक सामने नहीं हो।
ALSO READ: वास्तु के अनुसार बेडरूम किस दिशा में होना चाहिए
शयन कक्ष : शयन कक्ष अर्थात बेडरूम हमारे निवास स्थान की सबसे महत्वपूर्ण जगह है। इसका सुकून और शांतिभरा होना जरूरी है। कई बार शयन कक्ष में सभी तरह की सुविधाएं होने के कारण भी चैन की नींद नहीं आती। मुख्य शयन कक्ष, जिसे मास्टर बेडरूम भी कहा जाता हें, घर के दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य) या उत्तर-पश्चिम (वायव्य) की ओर होना चाहिए। अगर घर में एक मकान की ऊपरी मंजिल है तो मास्टर बेडरूम ऊपरी मंजिल के दक्षिण-पश्चिम कोने में होना चाहिए। शयन कक्ष में सोते समय हमेशा सिर दीवार से सटाकर सोना चाहिए। पैर उत्तर या पश्चिम दिशा की ओर करने सोना चाहिए।
ALSO READ: वास्तु के अनुसार घर में उजालदान कहां होना चाहिए?
अध्ययन कक्ष : पूर्व, उत्तर, ईशान तथा पश्चिम के मध्य में अध्ययन कक्ष बनाया जा सकता है। अध्ययन करते समय दक्षिण तथा पश्चिम की दीवार से सटाकर पूर्व तथा उत्तर की ओर मुख करके बैठें। अपनी पीठ के पीछे द्वार अथवा खिड़की न हो। अध्ययन कक्ष का ईशान कोण खाली हो।
ALSO READ: वास्तु के अनुसार किचन में 6 प्रकार के बर्तन न रखें, होगा नुकसान
रसोईघर : यदि रसोई कक्ष का निर्माण सही दिशा में नहीं किया गया है तो परिवार के सदस्यों को भोजन से पाचन संबंधी अनेक बीमारियां हो सकती हैं। रसोईघर के लिए सबसे उपयुक्त स्थान आग्नेय कोण यानी दक्षिण-पूर्वी दिशा है, जो कि अग्नि का स्थान होता है। दक्षिण-पूर्व दिशा के बाद दूसरी वरीयता का उपयुक्त स्थान उत्तर-पश्चिम दिशा है। 
 
अतिथि कक्ष : अतिथि देवता के समान होता है तो उसका कक्ष उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) या उत्तर-पश्चिम (वाव्यव कोण) दिशा में ही होना चाहिए। यह मेहमान के लिए शुभ होता है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

धन और वैभव पाने के लिए मां लक्ष्मी के प्रभावशाली 10 महामंत्र

रात में नहीं आती है नींद तो इसके हैं 3 वास्तु और 3 ज्योतिष कारण और उपाय

धन के लिए मां लक्ष्मी की प्रार्थना कैसे करें?

मंगल राहु की युति से बना अंगारक योग, कोई हो जाएगा कंगाल और कोई मालामाल

भूलकर भी ये 7 चीजें ले ली फ्री में तो घर में कंगाली शुरू हो जाएगी

10 मई 2024 : आपका जन्मदिन

10 मई 2024, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

Gaj kesari yog: 100 साल बाद अक्षय तृतीया पर बनने जा रहा गजकेसरी राजयोग, इन 4 राशियों का सितारा रहेगा बुलंदी पर

Vastu Tips : किचन की ये 10 गलतियां आपको कर्ज में डुबो देगी

Akshaya tritiya 2024: अक्षय तृतीया पर पढ़ें विशेष सामग्री (यहां क्लिक करें)

अगला लेख