किस दिशा के कौन हैं देवता...जरूर पढ़ें

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हवा के चलने को आज भी भारत में उसे उसी दिशा का नाम दे दिया जाता है जैसे- पूर्व से चलने वाली हवा को पुरवाई इसी प्रकार अन्य दिशाओं में चलने वाली हवाओं का नाम होता है। प्रत्येक मानव जब भी चलता है किसी न किसी दिशा में ही चलता है बिना दिशा वह कभी चल ही नहीं सकता या तो वह सही दिशा में जाएगा या गलत दिशा में, गलत दिशा में चलने वाले को दिशाहीन, पथ भ्रष्ट की संज्ञा दी जाती है। फिलहाल हम बात कर रहे हैं वास्तु की दिशा और उनके देवताओं की.... 
 

 
- उत्तर दिशा के देवता कुबेर हैं जिन्हें धन का स्वामी कहा जाता है और सोम को स्वास्थ्य का स्वामी कहा जाता है। जिससे आर्थिक मामले और वैवाहिक व यौन संबंध तथा स्वास्थ्य प्रभावित होता है।


 
 
- उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) के देवता सूर्य हैं जिन्हें रोशनी और ऊर्जा तथा प्राण शक्ति का मालिक कहा जाता हैं। इससे जागरूकता और बुद्धि तथा ज्ञान मामले प्रभावित होते हैं।

- पूर्व दिशा के देवता इंद्र हैं जिन्हें देवराज कहा जाता है। वैसे आम तौर पर सूर्य ही को इस दिशा का स्वामी माना जाता जो प्रत्यक्ष रूप से सम्पूर्ण विश्व को रोशनी और ऊर्जा दे रहे हैं। लेकिन वास्तुनुसार इसका प्रतिनिधित्व देवराज करते हैं। जिससे सुख-संतोष तथा आत्मविश्वास प्रभावित होता है।
- दक्षिण-पूर्व (अग्नेय कोण) के देवता अग्नि देव हैं जो अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं। जिससे पाचन शक्ति तथा धन और स्वास्थ्य मामले प्रभावित होते हैं।

- दक्षिण दिशा के देवता यमराज हैं जो मृत्यु देने के कार्य को अंजाम देते हैं। जिन्हें धर्मराज भी कहा जाता है। इनकी प्रसन्नता से धन, सफलता, खुशियाँ व शांति प्राप्ति होती है।
 

 

 
- दक्षिण-पश्चिम दिशा के देवता निरती हैं जिन्हे दैत्यों का स्वामी कहा जाता है। जिससे आत्मशुद्धता और रिश्तों में सहयोग तथा मजबूती एव आयु प्रभावित होती है।

- पश्चिम दिशा के देवता वरूण देव हैं जिन्हें जलतत्व का स्वामी कहा जाता है। जो अखिल विश्व में वर्षा करने और रोकने का कार्य संचालित करते हैं। जिससे सौभाग्य, समृद्धि एवं पारिवारिक ऐश्वर्य तथा संतान प्रभावित होती है।
 

 
- उत्तर-पश्चिम के देवता पवन देव है। जो हवा के स्वामी हैं। जिससे सम्पूर्ण विश्व में वायु तत्व संचालित होता है। यह दिशा विवेक और जिम्मेदारी योग्यता, योजनाओं एवं बच्चों को प्रभावित करती है।
 
इस प्रकार यह ज्ञात होता है कि वास्तु शास्त्र में जो दिशा निर्धारण किया गया है वह प्रत्येक पंच तत्वों के संचालन में अहम भूमिका निभाते हैं। जिन पंच तत्वों का यह मानव का पुतला बना हुआ है अगर वह दिशाओं के अनुकूल रहे तो यह दिशाएं आपको रंक से राजा बना जीवन में रस रंग भर देती हैं। 

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