वास्तुदोष बन सकता है अनिष्ट का कारण

Webdunia
ND

किसी भवन का वास्तुशास्त्र के नियमों के अनुसार निर्माण नहीं किए जाने पर वह निर्माणकर्ता और गृहस्वामी दोनों के लिए अनिष्ट का कारण बन सकता है। मुगल बादशाह शाहजहाँ ने वास्तुदोष के कारण ही ताजमहल का निर्माण करने वाले राजमिस्त्री के दोनों हाथ कटवा दिए थे और मुम्बई में ताज होटल में आतंकवादी वारदात भी उसकी बनावट में वास्तुदोष की वजह से हुई थी।

देश के प्रसिद्ध वास्तुशास्त्री सुखदेवसिंह ने विशेष बातचीत में अपने इन दावों के प्रमाण में कहा कि मकान या कार्यालय के निर्माण के दौरान निर्माण से जुड़ी दिक्कतों का आना मुख्यतः वास्तुदोष के कारण ही होता है। मकान बनाते समय वास्तुशास्त्र के नियमों का ध्यान नहीं रखे जाने पर उसके निर्माण में लगे श्रमिकों और मिस्त्री पर तत्काल किसी न किसी तरह की मुसीबत आ जाती है। इसके बाद गृहस्वामी को भी कोई न कोई हानि उठानी पड़ती है।

राजस्थान के गंगानगर निवासी सिंह ने कहा कि उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति अपने मकान का निर्माण वास्तुशास्त्र के अनुसार नहीं कराता है तो मिस्त्री को चोट लग सकती है या उसका गृहस्वामी से झगड़ा हो सकता है अथवा निर्माण कार्य में विघ्न पड़ सकता है।

ND
सिंह ने बताया कि वास्तुशास्त्र और ज्योतिषशास्त्र का चोली-दामन का साथ है लेकिन जब व्यक्ति ज्योतिष को ही महत्व देता है तभी वह अपने साथ घटी किसी विपरीत घटना को भगवान् का कोप मानता है जबकि ईश्वर किसी का बुरा नहीं चाहता है। जिस तरह ईश्वर ने आत्मा का घर शरीर बनाया है, उसी तरह घर का शरीर भी यदि सभी अंगों से पूर्ण नहीं होगा तो मनुष्य को उस घर में रहने में परेशानी होगी।

उन्होंने मकान के निर्माण में वास्तुशास्त्र की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि आदर्श घर की बनावट के आधार पर ही उसके गृहस्वामी की दिनचर्या, आय, चरित्र और भविष्य तथा बच्चों की पढ़ाई आदि से जुडी तमाम व्यवस्थाएँ निर्धारित होती हैं। यहाँ तक कि मनुष्य के साथ घटने वाली छोटी-बड़ी तमाम घटनाएँ और दुर्घटनाएँ भी घर की बनावट पर ही निर्भर हैं।

उन्होंने कहा कि यदि कार्यालय का निर्माण वास्तुशास्त्र के अनुसार किया जाए तो व्यक्ति की आय पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है। जिस तरह मनुष्य की जन्मपत्री होती है उसी तरह घर की भी एक कुंडली होती है। वास्तुशास्त्र के अनुसार मकान बनाने के नियमों के बारे में उन्होंने बताया कि वायव्य कोण बच्चों के लिए बेहद शुभ होता है। गृहस्वामी का कमरा नैऋत्य कोण पर होना चाहिए। अग्नि कोण में निर्मित रसोईघर कम खर्चीली होती है लेकिन यदि वह वायव्य कोण में बनी हो तो बेहद खर्चीली साबित होती है।

सिंह ने बताया कि मकान या कार्यालय के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का खराब रहने की समस्या भी वास्तुशास्त्र से जुड़ी है। यदि कार्यालय में प्रमुख के बैठने स्थान नैऋत्य कोण में है तो उसे आदर्श कार्यालय कहा जाएगा। किसी घर में यदि कोई महिला या पुरुष अथवा बच्चा नहीं है तो निश्चित मानिए कि मकान का निर्माण वास्तुदोष से प्रभावित है।

वास्तुशास्त्र के अनुसार आदर्श मकान की पहचान यह है कि उसके ईशान-नैऋत्य कोण पर 'कटिंग गेट' नहीं होना चाहिए लेकिन यदि ऐसा होता है तो मनुष्य के साथ कभी भी कोई बड़ी घटना हो सकती है।

सिंह ने कहा कि वास्तु से शारीरिक, मानसिक और आर्थिक परेशानियों पर नियंत्रण किया जा सकता है। उत्पादन कार्य करने वाली मशीनों को भी यदि वास्तुशास्त्र के अनुसार रखा जाए तो उत्पादन और बिक्री पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
Show comments

Oldest religion in the world: दुनिया का सबसे पुराना धर्म कौनसा है?

Shukra Gochar : शुक्र करेंगे अपनी ही राशि में प्रवेश, 5 राशियों के लोग होने वाले हैं मालामाल

Mahabharat : महाभारत में जिन योद्धाओं ने नहीं लड़ा था कुरुक्षेत्र का युद्ध, वे अब लड़ेंगे चौथा महायुद्ध

Daan punya: यदि आप भी इस तरह से दान करते हैं तो कंगाल हो जाएंगे

Lakshmi prapti ke upay: माता लक्ष्मी को करना है प्रसन्न तो घर को इस तरह सजाकर रखें

Mohini ekadashi 2024: मोहिनी एकादशी व्रत का प्रारंभ और पारण जानें

Lakshmi prapti ke achuk upay: यदि घर की महिला रोज ये काम करें तो घर में मां लक्ष्मी का होगा प्रवेश

Aaj Ka Rashifal: 18 मई का दिन क्या लाया है आपके लिए, पढ़ें अपनी राशि

18 मई 2024 : आपका जन्मदिन

18 मई 2024, शनिवार के शुभ मुहूर्त