वट पूर्णिमा व्रत के महत्वपूर्ण नियम: क्या करें और क्या नहीं?
वट पूर्णिमा का व्रत रखने वाली महिलाओं को कुछ विशेष नियमों का पालन करना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है, ताकि उन्हें व्रत का पूर्ण फल प्राप्त हो सके।
1. व्रत का संकल्प: व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। इसके बाद हाथ में जल लेकर वट पूर्णिमा व्रत का संकल्प लें।
2. पूजा सामग्री: पूजा के लिए एक बांस की टोकरी में सत्यवान और सावित्री की मूर्ति या तस्वीर, धूप, दीप, रोली, चावल, हल्दी, मेहंदी, सिंदूर, लाल धागा, फल (विशेषकर आम और केला), मिठाई, भीगे हुए चने, जल और दक्षिणा रख लें।
3. वट वृक्ष की पूजा: वट वृक्ष के पास जाकर सबसे पहले जल चढ़ाएं। फिर रोली, चावल, हल्दी और सिंदूर से पूजन करें।
4. परिक्रमा और धागा बांधना: वट वृक्ष के चारों ओर 108 बार परिक्रमा करें और प्रत्येक परिक्रमा के साथ वट वृक्ष पर लाल धागा बांधते जाएं। परिक्रमा करते समय पति की लंबी आयु और सौभाग्य की कामना करें।
5. कथा श्रवण: पूजा के बाद वट सावित्री व्रत की कथा अवश्य सुनें या पढ़ें। यह कथा व्रत के महत्व और फल को बढ़ाती है।
6. फलाहार: वट पूर्णिमा का व्रत निर्जला या फलाहार दोनों तरह से रखा जा सकता है। अपनी क्षमता के अनुसार व्रत का पालन करें।
7. ब्राह्मण को दान: व्रत के समापन पर ब्राह्मणों को भोजन कराएं या दान-दक्षिणा दें।
8. सात्विक भोजन: व्रत के दिन तामसिक भोजन (प्याज, लहसुन, मांसाहार) और शराब का सेवन बिल्कुल न करें।
9. क्रोध और अपशब्द: व्रत के दौरान क्रोध करने या किसी को अपशब्द बोलने से बचें। मन को शांत और पवित्र रखें।
10. शुभ विचार: पूरे दिन शुभ विचारों में लीन रहें और भगवान का स्मरण करें।
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