ये हैं 113 वर्षीय भारत की वृक्ष माता सालुमरादा थिमक्का, बच्चे नहीं हुए तो पेड़ों को दिया जीवन, मिला पद्मश्री सम्मान

गरिमा मुद्‍गल
शुक्रवार, 10 जनवरी 2025 (09:33 IST)
Inspirational story of Saalumarada Thimmakka: कर्नाटक की 113 वर्षीय सालुमरादा थिमक्का। एक ऐसी महिला हैं जिन्होंने अपने जीवन को पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित कर दिया। अपने जीवनकाल में हजारों पेड़ लगाए और लोगों को प्रेरित किया। थिमक्का ने न केवल पर्यावरण बचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया बल्कि उन्होंने यह भी साबित किया कि एक व्यक्ति भी समाज में बड़ा बदलाव ला सकता है। सालुमरादा ने अपने जीवनकाल में 8000 से अधिक पेड़ लगाए। उनके इस अद्भुत काम के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। वेबदुनिया हिंदी में आइए जानते हैं उनकी प्रेरणादायी कहानी।

बच्चों के न होने का दर्द पेड़ों से कम किया
जब थिमक्का को बच्चे नहीं हुए, तो उन्होंने अपने ससुराल में काफी ताने सुने। लेकिन उन्होंने अपनी संतान ना होने की कमी दूसरी तरह से पूरी की। उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर सड़कों के किनारे बरगद के पेड़ लगाए और बच्चों की तरह उनकी देखभाल की। आज उनके द्वारा लगाए गए ये पेड़ हजारों लोगों को छाया और ऑक्सीजन प्रदान कर रहे हैं।

पति की मौत के बाद भी जारी रखे प्रयास 
थिमक्का ने अपने इस काम के लिए खुद पैसे खर्च किए और पौधों की दिन-रात देखभाल की। साल 1991 में उनके पति की मौत हो गई, लेकिन अपनी इस नेक काम को उन्होंने पति की मौत के बाद भी जारी रखा। थिमक्का ने 8000 से अधिक पेड़ लगाए हैं, जिसमें बरगद के पेड़ 400 से ज्यादा हैं। रिकॉर्ड पेड़ लगाने के वजह से ही साल्लुमरादा टिकम्मा को यह नाम मिला है, जिसका अर्थ है 'पेड़ों की एक कतार'।


राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मान
थिमक्का के काम को देखते हुए उन्हें कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा जा चुका है। उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया है। बीबीसी की 100 मोस्ट इंफ्लुएंशियल लिस्ट में भी उनका नाम शामिल है। 

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थिमक्का का संदेश
थिमक्का का संदेश स्पष्ट है - हमें पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए। पेड़ लगाना न केवल पर्यावरण के लिए अच्छा है बल्कि यह समाज के लिए भी फायदेमंद है। थिमक्का ने हमें सिखाया है कि एक व्यक्ति भी पर्यावरण में बदलाव ला सकता है। सालुमरादा थिमक्का एक प्रेरणादायी महिला हैं जिन्होंने अपने जीवन को पर्यावरण के लिए समर्पित कर दिया। उनकी कहानी हमें प्रेरित करती है कि हम भी अपने आसपास के पर्यावरण को बचाने के लिए कुछ कर सकते हैं।

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