Dharma Sangrah

विश्व हिन्दी दिवस पर विशेष: लोकमंगल की कामना की भाषा है 'हिन्दी'

डॉ. अर्पण जैन 'अविचल'
शुक्रवार, 10 जनवरी 2025 (09:08 IST)
World Hindi Day: भाषाएं परस्पर संवाद और संचार की माध्यम होती हैं, जिनकी व्यापकता इस बात से सिद्ध होती है कि उनमें कितना सृजन लोकमंगल को समर्पित है। वैश्विक रूप से हिन्दी वर्तमान ही नहीं अपितु कालातीत रूप से सुदृढ़, सुस्थापित और सुनियोजित संपदा का बाहुल्य है। वर्षों से हिन्दी को हीनता बोधक दिखाने की यह कुदृष्टि वर्तमान में जाकर कमजोर हो रही है, जब अमेरिका या जापान का कोई व्यापारी हिन्दुस्तान में दुनिया का सबसे महंगा फोन बेचना चाहता है तो उसका विज्ञापन हिन्दी में तैयार करवाता है, जब सोशल मीडिया की अलग दुनिया बसाई जाती है तो उसके भी भाषाई तरकश में हिन्दी का तूणीर अनिवार्यत: रखा जाता है।
 
सिलिकॉन वैली में बैठने वाले इंजीनियर भी हिन्दी भाषा के घटकों को एकत्रित करने के लिए प्रोग्रामिंग करते हैं और गूगल जैसा दुनिया का सबसे तेज सर्च इंजन भी हिन्दी की महत्ता को स्वीकार करता है। यूएन अपनी मौलिक भाषाओं में हिन्दी को भी स्थान देता है, ताकि विश्व के सबसे बड़े देश तक अपनी बात आसानी से पहुंचा सके, बीबीसी जैसी सर्वोच्च समाचार एजेंसी भी हिन्दी संस्करण बाजार में लाती है ताकि हिन्दुस्तान में जगह बना सके।
 
सैंकड़ों ऐसे उदाहरण मौजूद हैं, फिर भी हिन्दुस्तानी शैक्षणिक मठाधीशों को कार्यव्यवहार में उसी गुलामी की भाषा अंग्रेजी स्वीकार है जिसने भारत को गिरमिटियों और सपेरों का देश साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आज जब सरकारें और यूं कहें कि सारा देश भारत की आजादी का अमृत महोत्सव मना कर अमृत काल की ओर बढ़ रहा है, देश से गुलामी के प्रतीकों को हटाया जा रहा है, ऐसे शहरों और स्थानों का नाम बदला जा रहा है जो गुलाम भारत की यादों को ताजा करते हैं, उस दौर में गुलामी की भाषा को कंठहार बनाना कौन-सी समझदारी है!
 
बहरहाल, यदि हिन्दी की वैश्विक स्थिति देखी जाए तो गर्व करने के सैंकड़ों अवसर उपलब्ध हैं, जैसे कि वर्तमान में हिन्दी, एशियाई भाषाओं से ज्यादा एशिया की प्रतिनिधि भाषा है। साथ ही, भारत की राजभाषा होने के साथ-साथ फिजी की भी राजभाषा है। मॉरिशस, त्रिनिदाद, गुयाना, और सूरीनाम में हिन्दी को क्षेत्रीय भाषा के रूप में मान्यता प्राप्त है।
 
एथनोलॉग के मुताबिक, हिन्दी दुनिया की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है और आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो 140 करोड़ लोगों की भाषा होने के कारण हिन्दी विश्व में अग्रणीय भाषा है। अमेरिका के 80 से ज्यादा विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई की सुविधा है। हिन्दी का कथा साहित्य, फ़्रेंच, रूसी और अंग्रेजी से अव्वल है।
 
भारत इस समय विश्व का सबसे बड़ा बाजार है और सबसे बड़े बाजार की भाषा सबसे बड़ी होती है, उसके बावजूद भी भारतीय सरकार या कहें तथाकथित गुलामी से प्रेरित लोगों को आज भी अंग्रेजी में अपना भविष्य नजर आता है जबकि अंग्रेजी विश्व बाजार में पांचवें स्थान से भी नीचे है।
हिन्दी हेय की नहीं, बल्कि गर्व की भाषा है। समृद्ध साहित्य में वसुधैव कुटुंबकम् जैसी लोकमंगल की कामनाएं विपुल हैं। किन्तु भारत के कई राज्यों में यहां तक कि कई हिन्दी भाषी राज्यों में भी अंग्रेजी विद्यालयों में बच्चों को हिन्दी बोल भर देने पर दंडित कर दिया जाता है, यह दुर्भाग्य है।
 
आज मध्य प्रदेश सहित छत्तीसगढ़ इत्यादि राज्यों में मेडिकल व इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी अब हिन्दी में होने लग गई, लोकाचार की भाषा के रूप में हिन्दी की लोक स्वीकृति है। समग्रता के झंडे को थामे चलने वाली एकमात्र जनभाषा हिन्दी होने के बाद भी अपने ही देश में आज हिन्दी के साथ दुर्व्यवहार जारी है। अब जबकि विश्व ने भी भारतीय संस्कृति की पहचान और परिचय के रूप में हिन्दी को स्वीकृति दे ही दी है, फिर हमें क्या आवश्यकता है गुलामी के मुकुट को माथे पर धारण करने की?
 
अब तो तत्काल हिन्दी को स्वीकार कर भारतीय भाषाओं के वैभव को उन्नत करना चाहिए। अंग्रेजी, फ्रेंच, मैंडरिन, जर्मनी अथवा अन्य विदेशी भाषाओं को सीखना-सिखाना चाहिए, किन्तु उन्हीं भाषाओं को सबकुछ मानकर अपनी जनभाषा से दूरी बनाना न तो तार्किक है और न ही न्यायोचित।
 
हिन्दी की वैश्विक स्थिति को और अधिक मजबूत करने के लिए, विधि, विज्ञान, वाणिज्य और नई तकनीक के क्षेत्र में पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराने की जरूरत है। इसके लिए सभी को मिलकर हिन्दी के विकास में योगदान देना होगा। साथ ही, गुलाम देश की तरह नहीं, बल्कि आजाद और विश्व गुरु देश की तरह व्यवहार करते हुए लोकमंगल की भाषा को राष्ट्र भाषा के रूप में स्वीकार करना चाहिए।
 
[लेखक डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं तथा देश में हिन्दी भाषा के प्रचार हेतु हस्ताक्षर बदलो अभियान, भाषा समन्वय आदि का संचालन कर रहे हैं]
 
(इस लेख में व्यक्त विचार/विश्लेषण लेखक के निजी हैं। 'वेबदुनिया' इसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेती है।)

ALSO READ: कल्याण सिंह ने श्री राम जन्मभूमि और धर्म के लिए सत्ता का त्याग किया

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

Diwali 2025: क्या होते हैं ग्रीन पटाखे? पर्यावरण की दृष्टि से समझिए कैसे सामान्य पटाखों से हैं अलग

Diwali 2025: धनतेरस से लेकर दिवाली तक, जानें हर दिन के लिए 5 खास वास्तु टिप्स

Diwali vastu tips: दिवाली पर अपनाएं ये 11 वास्तु टिप्स, घर में आएगी सुख-शांति और समृद्धि

Diwali 2025: दिवाली की रात क्या नहीं करना चाहिए और क्या करें, पढ़ें 18 काम की बातें

Diwali Sweets: घर पर बनाएं ये खास पारंपरिक दीपावली मिठाई, पढ़ें आसान रेसिपी

सभी देखें

नवीनतम

Diwali Lakshmi Puja: दिवाली पर लक्ष्मी पूजा के लिए खास प्रसाद: क्या बनाएं और क्यों?

Diwali Special Namkeen: दीपावली के स्वाद: पोहा चिवड़ा खट्टा-मीठा नमकीन, जानें कैसे बनाएं Poha Chivda

Annakut ki sabji: अन्नकूट की सब्जी कैसे बनाएं

Diwali 2025: दिवाली की रात क्या नहीं करना चाहिए और क्या करें, पढ़ें 18 काम की बातें

Diwali Sweets: घर पर बनाएं ये खास पारंपरिक दीपावली मिठाई, पढ़ें आसान रेसिपी

अगला लेख