जब बच्चा स्कूल जाना नहीं चाहे

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'मुझे नहीं जाना स्कूल, मुझे वहां बिल्कुल अच्छा नहीं लगता!' ऐसा अक्सर ही बच्चों के मुंह से सुनने को मिलता है हालांकि यह काफी समय तक नहीं चलता। परंतु क्या हो अगर बच्चा यह जिद छोड़े ही न? स्कूल जाना हर किसी के लिए जरूरी है। आइए जानें क्या करें जब बच्चा स्कूल नहीं जाना चाहे। 


 
 
स्कूल स्ट्रेस की निशानी 
 
जब बच्चा स्कूल को लेकर किसी चिंता से घिरा हुआ होता है तो यह उसके शरीर पर नजर आता है। बच्चा पेटदर्द या सिरदर्द की शिकायत कर सकता है। उसे उल्टी आने जैसी समस्या भी हो सकती है। रात को सोने में परेशानी भी हो सकती है। सुबह भी थका हुआ लग सकता है। 
 
ऐसे में आपको समस्या गंभीर लगेगी। बच्चे को क्या खाने को दें उसके लंचबॉक्स में क्या हो। नतीजा यह है कि समस्या इतनी बढ़ चुकी है कि आप उसे स्कूल भेजने को लेकर भी संशय में हैं। इसी संशय के बीच स्कूल बस का समय भी निकल गया। बच्चे को घर ही रौक लें क्या परंतु अगले दिन भी तो यही सब समस्याएं आपको झेलना पड़ेगी। 
 
 
आखिर क्यों कुछ बच्चे स्कूल जाना पसंद नहीं करते? 
 
अगर बच्चे को स्कूल में बुरा लग रहा है तो जानें कि आखिर समस्या क्या है। हो सकता है कोई क्लासमेट, कोई अपर क्लास स्टूडेंट आपके बच्चे को किसी तरह से परेशान कर रहा है। इसके अलावा बच्चा किसी खास टीचर से भयभीत हो। कुछ बच्चे दोस्त न होने की कमी से जूझते हैं। 
 
कुछ बच्चे स्कूल से मिलने वाले काम और क्लास में सही समझ ना आने से परेशान होते हैं। काम कठिन लगने पर उनका मन इससे हटने लगता है। पढ़ना मुश्किल हो जाता है और आपका बच्चा अन्य बच्चों से खुद को पिछड़ा हुआ पाता है। ऐसा लगता है उनके लेवल तक आपका बच्चा कभी भी नहीं पहुंच पाओगे। 
 
बच्चे की मदद कैसे करें 
 
बच्चे से बात करें। उसकी समस्या जानने की कोशिश करें। उसके दोस्तों, सहपाठी, टीचर, भाई बहन और स्कूल काउंसलर से भी बात करें। बच्चे की सही तकलीफ का पता लगाएं। ये बहुत जरूरी है। समस्या जानने के बाद थी समाधान हो सकता है। 
 
बच्चे को प्रेरित करें कि वह स्कूल के बारे में कुछ लिखे। उसे जैसा लगता है उसे कागज पर खोले। हर दिन के बारे में आपको बताए या उसे डायरी में लिखे। 
 
जब आपका बच्चा स्कूल की तरफ रूखा लगे तो ये करें 
 
उससे पूछे कि उसे स्कूल के बारे में क्या नहीं पसंद। 
 
बच्चे को स्कूल की अच्छी बातों की एक लिस्ट बनाने के लिए कहें। भले ही यह लंच (रिसेस) में बिताया हुआ टाइम ही क्यों न हो। 
 
वह जिस विषय में कमजोर है उसे वह सिखाने के लिए मनोरंजक तरीके पता लगाएं। 
 
बच्चे से उसकी पसंद की बात करें। उसे किस चीज का शौक है जानें। बच्चे को उसका प्रदर्शन स्कूल में करने के लिए प्रेरित करें। वह स्कूल में अपना समय इंजॉय करने लगेगा। 
 
मानकर चलें कि बच्चे को स्कूल जो कुछ भी ना पसंद है, हर चीज़ को बदला नहीं जा सकता परंतु आपकी मदद बच्चे की स्कूल लाइफ को बहुत बेहतर बना सकती है। 
 
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