Women’s Day 2023: सभी को जानना चाहिए भारत की पहली महिला डॉक्‍टर की ये कहानी

Webdunia
बुधवार, 1 मार्च 2023 (13:24 IST)
फोटो सोशल मीडिया 
हमारे समाज में महिलाओं को आमतौर पर कम कर के आंका जाता है। लेकिन कुछ महिलाएं ऐसी हुईं हैं, जो न सिर्फ भविष्‍य की महिलाओं के लिए मिसाल बनीं, बल्‍कि इतिहास में उनका नाम भी स्‍वर्ण अक्षरों में दर्ज है।

ऐसा ही एक नाम है आनंदी गोपाल जोशी। आनंदी गोपाल जोशी का जन्म महाराष्ट्र में ठाणे के कल्याण में 31 मार्च 1865 में हुआ था। वो एक ब्राह्मण परिवार में पैदा हुई थीं। उनके बचपन का नाम यमुना था। जब वे महज 9 साल की थीं तो 20 साल बड़े गोपालराव जोशी से उनकी शादी हो गई। शादी के बाद उनका नया नाम आनंदी हो गया।

जानकर हैरानी होगी कि 14 साल की उम्र में आनंदी मां बन गईं। हालांकि उनके पति गोपालराव खुले विचारों के थे और आनंदी का सम्‍मान करते थे। यह आनंदी के लिए अच्‍छी बात थी कि उनके पति दूसरों की तरह दकियानुसी नहीं थे। लेकिन 10 दिन के बाद ही उनके बच्‍चे की मौत हो गई। दरअसल, उनके बच्‍चे को ठीक से इलाज नहीं मिल सका था। इस घटना से वे काफी व्‍यथित हुईं और उन्होंने डॉक्टर बनने का संकल्प ले लिया।

उन्‍होंने कसम खाई कि इलाज के अभाव में वो किसी की मौत नहीं होने देगीं। उनके पति गोपालराव ने उन्हें मिशनरी स्कूल में एडमिशन दिलाने का प्रयास किया, लेकिन एडमिशन नहीं मिल सका। इसके बाद उन्हें कोलकाता ले गए, जहां आनंदी ने संस्कृत और अंग्रेजी भाषा में शिक्षा ली।

आनंदी के पति गोपालराव ने 1980 में एक लोकप्रिय अमेरिकी मिशनरी रॉयल वाइल्डर को खत भेज कर अमेरिका में पढ़ाई की जानकारी ली। इस पत्राचार को वाइल्डर ने उनके प्रिंसटन की मिशनरी समीक्षा में पब्लिश किया। जिसे पढ़कर न्यू जर्सी के रहने वाले शख्स थॉडिसीया कार्पेन्टर काफी प्रभावित हुए और आनंदीबाई को अमेरिका जाने की अनुमति मिल गई।

खराब स्‍वास्‍थ्‍य के बावजूद आनंदी अमेरिका पहुंची। थॉडिसीया ने अमेरिका से उनके लिए दवाएं भेजी। 1883 में गोपालराव ने पत्नी को अमेरिका में मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए भेजा। उन्होंने पेनसिल्वेनिया की वुमन मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया। 19 साल की उम्र में मेडिकल की पढाई शुरू की। ठंडे मौसम में वो तपेदिक की शिकार हो गईं। बावजूद इसके उन्होंने 11 मार्च 1885 को एमडी से स्नातक की डिग्री हासिल कीं।

1886 में जब वो डॉक्टर बनने का सपना पूरा कर भारत लौंटी तो उनकी सेहत और बिगड़ गई। 26 फरवरी 1887 में उनकी मृत्यु हो गई। 21 साल की उम्र में वो इस दुनिया को छोड़ गई। इलाज करने का उनका संकल्प तो पूरा नहीं हुआ, लेकिन भारत समेत दुनियाभर की लड़कियों के लिए वे एक मिसाल बन गईं।
edited by navin rangiyal

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