International Womens Day : आखिर तुम करती क्या हो? का जवाब...

प्रज्ञा पाठक
ये भारतीय पतियों द्वारा अपनी गृहिणी पत्नी को बोला जाने वाला आम जुमला है - "तुम करती क्या हो घर में। बस, खाना बनाना और बच्चों की देखभाल। "मुझे हैरानी के साथ बेहद कोफ़्त होती है ऐसे पतियों की सोच पर। वे ये देखते हुए भी कैसे अनदेखा कर देते हैं कि गृहिणी सिर्फ एक काम (बाहर नौकरी पर जाना) को छोड़कर बाकी सारे छोटे बड़े कामों का बोझ प्रतिदिन स्वयं पर लादे रहती है। 
 
आपकी नौकरी में एक संडे आता है, लेकिन उसकी जिम्मेदारियों को कभी संडे देखना नसीब नहीं होता। वो सुबह से रात तक पति, बच्चों और बुज़ुर्गों(यदि साथ में हों तो)के बीच बंटी होती है। स्वयं के लिए उसके पास या तो वक़्त होता नहीं अथवा इतना कम होता है,जिसमें वो अपना एक शौक, एक रुचि, एक इच्छा भी ठीक से जी नहीं पाती। 
उदाहरण के लिए, यदि उसे किताबें पढ़ने का शौक है और जरा से अवकाश के समय वो पढ़ रही है, तो घर का कोई भी सदस्य अपनी जरूरत के लिए उसे आवाज देकर डिस्टर्ब करना अपना जन्मसिद्ध अधिकार मानता है। अपनी पसंदीदा फिल्म या सीरियल देखते वक़्त भी उसके साथ ये हरकत की जाती है और किसी अपने से फोन पर बात करते हुए भी ऐसा करने में कोई शर्म महसूस नहीं की जाती।
 
 
कुल मिलाकर ये कि गृहिणी को कोई स्पेस नहीं दिया जाता गोया कि वो एक कठपुतली या मशीन हो,जिसे जब जो चाहे निर्देश देकर काम लिया जा सके। 
 
वस्तुतः ये व्यवहार उसे इंसान का दर्जा दिये जाने तक को खारिज करता है। इस बात को कोई स्वीकार नहीं करेगा। विशेषकर वो पति, जो ऐसे व्यवहार के अगुआ हैं। उनके द्वारा इन वाहियात तर्कों की झड़ी लग जायेगी, जिनमें वे बतायेंगे कि वे अपनी पत्नी के लिए कितना खाने-पीने का सामान लाये, कितने कपड़े, कितने आभूषण और कितनी जगह घुमाने ले गए। 
 
 
ऐसे पतिदेव कभी ये स्वीकार नहीं करेंगे कि उस खाने पीने में उनकी खुदकी कितनी हिस्सेदारी थी और पत्नी को सजा, संवार के रखने में उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा में कितनी अभिवृद्धि हुई और विभिन्न स्थानों पर पत्नी को घुमाने में स्वयं उन्होंने कितना आनंद लिया क्योंकि उस समय वह कोई नौकर की मुद्रा या हैसियत में तो थे नहीं । 
बहरहाल,गृहिणी के विषय में ये तथ्य है कि वो घर का एकमात्र ऐसा प्राणी होता है, जो अन्य सभी सदस्यों के काम करते हुए भी इस ताने को आजीवन सुनते हुए अपनी यात्रा को संपूर्ण करता है कि ' तुम करती क्या हो? 
 
"
अरे संवेदनहीन पुरुषों, जरा अपनी उस बुद्धि पर थोड़ा जोर डालकर विचार करो, जिस पर तुम लोगों को अत्यंत गर्व है(क्योंकि तुम्हारी दृष्टि में महिलाओं की अक्ल तो चोटी में होती है अर्थात् वे मूर्ख होती हैं) कि तुम्हें सुबह बिस्तर से उठते ही गर्म चाय कौन हाथों में देता है? तुम्हारे स्नान के लिए पानी कौन गर्म करता है? कौन तुम्हारे कपड़ों को धोकर उन्हें इस्त्री कर तुम्हारे ऑफिस जाने के समय पर तैयार रखता है? किसकी कृपा से तुम्हें ताज़ा गर्म भोजन नसीब होता है? कौन तुम्हें अलग अलग वैरायटी का ऑफिस में लंच या कभी देर रात वहां रुकना हो, तो डिनर उपलब्ध कराता है? तुम्हारी अस्वस्थता में कौन अपनी नींदें खराब कर स्वस्थ होने तक तुम्हारी सेवा करता है? किसके अनुग्रह से तुम अपने बच्चों के स्वास्थ्य,स्कूल, कोचिंग, कैरियर आदि के अत्यंत जटिल मुद्दों पर सिवाय फीस दे देने के अतिरिक्त शेष सारी भागादौड़ी, माथापच्ची और तनाव से मुक्त रहते हो? 
 
कौन है, जो तुम्हारे माता पिता की सेवा-सुश्रुषा के लिए दिन-रात एक कर देता है? किसकी वजह से विविध सामाजिक आयोजनों की सूक्ष्म से सूक्ष्म तैयारी की ओर से तुम चिंतामुक्त रहते हो? कौन तुम्हें दैनंदिन घरेलू पचड़ों से निश्चिंत रखता है? किसके दम पर तुम अपने बीसियों मित्रों, सहकर्मियों, अधिकारियों को गाहे बगाहे भोजन पर न्यौत लेते हो? किसकी अहैतुक कर्मठता से तुम्हारे पर्व - त्यौहार संवरते हैं? कौन है, जो स्वयं की बीमारी की दशा में भी तुम्हें कम से कम तकलीफ देकर अपने घरेलू दायित्वों को मौन भाव से पीड़ा सहते हुए पूर्ण करता है? किसके सहकार में तुम दाम्पत्य का व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों सुख भोगते हो? 
 
 
इन सभी प्रश्नों का एकमात्र जवाब है - गृहिणी। 
तो जरा सोचिए कि जो ये सब करती है, से ये कहना कि ' तुम करती क्या हो 'उसका घोरतम अपमान ही है ना? 
एक दिन भी गृहिणी का जीवन पुरुष को जीना पड़े, तो मेरा दावा है कि वो घबरा जायेगा। उसके और अपने कामों की ईर्ष्या के बीच अपना काम ही उसे हल्का मालूम होगा। हाल ही में टीवी पर भी इसी आशय का एक विज्ञापन प्रसारित हो रहा है। 
 
 
 
वैसे तो पुरुषों की ये ईर्ष्या अनंतकाल से चली आ रही है, लेकिन अफसोस इस बात का है कि अब तो शिक्षा का इतना प्रसार हो गया है, लेकिन बावजूद इसके इस मामले में उनकी सोच में अंतर कमोबेश रूप में कम ही आया है। उनकी शिक्षा उनके प्रोफेशन में दिखाई देती है, मगर  मानसिकता में आज भी वे अत्यंत निर्धन नज़र आते हैं। 
सच में जब भी कभी ये जुमला कि 'करती क्या हो' सुनती हूँ, तो पूछने वाले पुरुष को एक करारा थप्पड़ रसीद कर उपर्युक्त सभी प्रश्नों का खड़े दम जवाब लेने की इच्छा होती है। 
 
 
जानती हूं कि ऐसा करना मेरे संस्कारों और स्वभाव के विरुद्ध होगा, लेकिन घर, बाहर सभी स्थानों पर महिलाओं के प्रति नित्य बढ़ती नाइंसाफी ने मन में घोर आक्रोश भर दिया है। 
 
आज महिला दिवस जरूर है, लेकिन इस एक दिन भी ऐसे घर उंगलियों पर गिने जा सकते होंगे, जहाँ की गृहिणियों के श्रम को यथोचित सम्मान मिल रहा होगा अन्यथा तो वे सभी जगह अपनी क्षमता से अधिक ही काम कर जब रात को बिस्तर पर निढाल होकर गिरेंगी, तब उन्हें पतिदेव आभारस्वरूप सिर पर हाथ फेरकर एक ग्लास पानी पिलाने तक का विचार न करेंगे। 
 
इसलिए महिला दिवस पर जो भी पुरुष कहीं किसी आयोजन में, अखबार में,मंच पर नारीहित में अपने उद्गार व्यक्त करने के लिए आमंत्रित हों, वे ये करने से पहले उन्हें अपने आचरण में जीयें और जो ऐसा कर रहे हैं, वे समाज के अन्य कूपमंडूक पुरुषों की अंतःप्रज्ञा को जागृत करें। जब वे गृहिणी को सम्मान देना सीखेंगे, तब इस महिला दिवस का अनौचित्य उन्हें समझ आएगा क्योंकि तब वे दिल से इस बात को स्वीकारेंगे कि हर दिन ही महिला दिवस है चूंकि सुबह से रात तक उनसे संबंधित लगभग हर कार्य के व्यवस्थित संपादन में गृहिणी की केंद्रीय भूमिका है। 
 
पुरुष समाज ये न भूले कि महिला मात्र स्वयं में एक संपूर्ण व्यक्ति है और वह पुरुषों से किसी भी लिहाज से एक इंच भी कम नहीं है बल्कि कई मोर्चों पर उनसे बेहतर भी है। ये तो उसके भावनाशील ह्रदय की विशालता है कि वह दो हाथों से हजार हाथों का काम करके भी उसे जताती नहीं और पुरुष का बेवजह प्रभुत्व सिर झुकाकर स्वीकार भी करती है।
 
कृपया उसकी इस स्नेहमयी उदारता को उसकी कमजोरी न समझें और  'करती क्या हो' के अहंकारपूर्ण ताने के स्थान पर 'तुम बहुत करती हो' जैसे मृदु वचन उसे बोलकर देखें। आप पाएंगे कि जो घर उसकी वजह से आपके लिए स्वर्ग बना हुआ है, उसका वो जो एक छोटा सा, छिपा हुआ सा पीड़ा, दुःख,क्लेश,आंसू से भीगा हुआ कोना है, वह अब सुख, प्रसन्नता, उत्साह और आपके प्रति आभार से भरकर इस स्वर्ग में चार चाँद लगा रहा है। 
महिला दिवस के बहाने ही सही, एक बार इतना-सा करके तो देखिये। शायद यही इतना-सा बहुत बड़े-से सुख का बायस बन जाए। 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ग्लोइंग स्किन के लिए चेहरे पर लगाएं चंदन और मुल्तानी मिट्टी का उबटन

वर्ल्ड लाफ्टर डे पर पढ़ें विद्वानों के 10 अनमोल कथन

गर्मियों की शानदार रेसिपी: कैसे बनाएं कैरी का खट्‍टा-मीठा पना, जानें 5 सेहत फायदे

वर्कआउट करते समय क्यों पीते रहना चाहिए पानी? जानें इसके फायदे

सिर्फ स्वाद ही नहीं सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है खाने में तड़का, आयुर्वेद में भी जानें इसका महत्व

इन विटामिन की कमी के कारण होती है पिज़्ज़ा पास्ता खाने की क्रेविंग

The 90's: मन की बगिया महकाने वाला यादों का सुनहरा सफर

सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है नारियल की मलाई, ऐसे करें डाइट में शामिल

गर्मियों में ये 2 तरह के रायते आपको रखेंगे सेहतमंद, जानें विधि

क्या आपका बच्चा भी चूसता है अंगूठा तो हो सकती है ये 3 समस्याएं

अगला लेख