साल 2021 : शीर्ष अदालत को मिले 9 जज, पेगासस जासूसी मामले की जांच के हुए आदेश

Webdunia
रविवार, 26 दिसंबर 2021 (21:32 IST)
नई दिल्ली। जासूसी के लिए पेगासस स्पाइवेयर के इस्तेमाल की जांच के आदेश देने और चीन सीमा के पास सामरिक रूप से महत्वपूर्ण चारधाम राजमार्ग परियोजना के चौड़ीकरण और सेंट्रल विस्टा के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने के आदेश 2021 में उच्चतम न्यायालय के प्रमुख निर्णयों में शुमार रहे।

शीर्ष अदालत को भी पहली बार एक बार में नौ न्यायाधीश मिले, जिनमें न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना भी शामिल हैं, जिनके 2027 में भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनने की संभावना है। आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पोन्नावरम गांव के एक कृषक परिवार से ताल्लुक रखने वाले जस्टिस एनवी रमण ने अप्रैल में तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की सेवानिवृत्ति के बाद 48वें सीजेआई के रूप में कार्यभार संभाला।

न्यायमूर्ति रमण के नेतृत्व वाले कॉलेजियम ने शीर्ष अदालत में नौ रिक्त पदों और उच्च न्यायालयों में 100 से अधिक पदों को भरने के लिए कई सिफारिशें कीं। पहली बार विभिन्न उच्च न्यायालयों की तीन महिला न्यायाधीशों (न्यायमूर्ति हिमा कोहली, न्यायमूर्ति नागरत्ना और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी) को एक साथ शीर्ष अदालत में पदोन्नति मिली।

न्यायमूर्ति रमण के नेतृत्व वाले कॉलेजियम ने शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की नियुक्ति पर 21 महीने से चल रहे गतिरोध को समाप्त कर दिया, क्योंकि 17 नवंबर, 2019 को तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की सेवानिवृत्ति के बाद से किसी भी न्यायाधीश की नियुक्ति नहीं हुई थी।

देश में कोविड-19 की तीव्र दूसरी लहर के मद्देनजर शीर्ष अदालत ने नागरिकों के दुखों को दूर करने के लिए कई निर्देश पारित किए, लेकिन न्यायपालिका ने कोरोनोवायरस के कारण विधि विशेषज्ञ सोली सोराबजी को खो दिया। एक और दुखद खबर उस वक्त आई जब अप्रैल में शीर्ष अदालत के मौजूदा न्यायाधीश मोहन एम शांतनगौदर को कोरोना ने काल कवलित कर दिया।

एक महत्वपूर्ण फैसले में शीर्ष अदालत ने मंडल आयोग मामले में अपने 29 साल पुराने फैसले पर फिर से विचार करने के लिए एक बड़ी पीठ को संदर्भित करने से इनकार कर दिया, जिसमें आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत निर्धारित की गई थी। शीर्ष अदालत ने मराठों को सरकारी शिक्षण संस्थानों में प्रवेश और सरकारी नौकरियों में मराठों को आरक्षण देने वाले महाराष्ट्र कानून को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि इससे समानता के अधिकार के सिद्धांत का उल्लंघन हुआ है।

केंद्र सरकार को शीर्ष अदालत में 2021 में मिश्रित परिणाम मिले, क्योंकि न्यायालय ने सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में रखते हुए चीन सीमा के पास सामरिक रूप से महत्वपूर्ण चारधाम राजमार्ग परियोजना को हरी झंडी दे दी। शीर्ष अदालत ने और महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा परियोजना को रोकने संबंधी याचिकाएं भी खारिज कर दीं।

शीर्ष अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक के रूप में संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल को बढ़ाने की केंद्र की शक्ति को बरकरार तो रखा, लेकिन स्पष्ट किया कि सेवानिवृत्ति की आयु के बाद अधिकारियों का कार्य विस्तार यदाकदा और असाधारण मामलों में किया जाना चाहिए।

उच्चतम न्यायालय ने जासूसी के लिए इसरायली स्पाइवेयर पेगासस के उपयोग की जांच के लिए सरकार के विरोध को खारिज कर दिया और शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश आरवी रवींद्रन की निगरानी में जांच के लिए साइबर विशेषज्ञों का एक तीन सस्‍यीय पैनल गठित किया।

इस वर्ष शीर्ष अदालत ने लखीमपुर खीरी हिंसा की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए भी हस्तक्षेप किया, जिसमें एक विरोध प्रदर्शन के दौरान चार किसान सहित आठ लोग मारे गए थे। इसने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन को उत्तर प्रदेश एसआईटी की जांच की निगरानी के लिए नियुक्त किया था। जिसमें तीन आईपीएस अधिकारी भी होंगे।

कोविड मामलों में बढ़ोतरी को ‘राष्ट्रीय संकट’ करार देते हुए, सीजेआई ने शीर्ष अदालत की गर्मी की छुट्टी को भी आगे बढ़ा दिया और 2020 में जमानत या पैरोल दिए गए कैदियों की तत्काल रिहाई का आदेश देकर जेलों की भीड़भाड़ कम करने का आदेश भी दिया।

शीर्ष अदालत ने कहा कि महत्वपूर्ण कोविड-19 दवाओं और ऑक्सीजन की कालाबाजारी लोगों के दुख का फायदा उठाने का एक निंदनीय प्रयास है और केंद्र को अपराधियों की पहचान करने तथा उन पर मुकदमा चलाने के लिए एक विशेष टीम गठन पर विचार करने का निर्देश दिया।

ग्रामीण और शहरी भारत के बीच डिजिटल विभाजन को उजागर करते हुए, सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र को कोविड टीकाकरण के लिए कोविन पर अनिवार्य पंजीकरण, वैक्सीन खरीद नीति और अंतर मूल्य निर्धारण को लेकर महत्वपूर्ण सवाल पूछे तथा कहा कि नीतिनिर्माताओं को अभूतपूर्व संकटों से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए जमीनी हकीकत से रू-ब-रू होना चाहिए।

साल के अंत में, अदालत दिल्ली-एनसीआर में खराब वायु गुणवत्ता को लेकर निराश नजर आई और केंद्र द्वारा नियुक्त पैनल को इस खतरे का स्थाई समाधान खोजने पर काम करने को कहा। इस साल शीर्ष अदालत ने तीन विवादित कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगा दी और प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों की शिकायतों को सुनने के लिए एक समिति गठित करने का आदेश दिया। किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर एक साल से अधिक समय तक विरोध प्रदर्शन किया था।

शीर्ष अदालत ने केरल तट पर फरवरी 2012 में दो मछुआरों की हत्या के आरोपी दो इतालवी नौसैनिकों के खिलाफ भारत में शुरू की गई नौ साल पुरानी आपराधिक कार्यवाही को भी बंद कर दिया, क्योंकि इटली द्वारा मृतकों के उत्तराधिकारियों और नाव मालिक को 10 करोड़ रुपए का मुआवजा दिया गया था।

एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में शीर्ष अदालत ने कहा कि दिल्ली विधानसभा और उसकी समिति के पास विशेषाधिकार के आधार पर सदस्यों और बाहरी लोगों को पेश होने के लिए बुलाने का अधिकार है।(भाषा)

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