आगाज अच्छा पर साल के आखिर में गच्चा खा गई कांग्रेस

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
look-back-politics: वर्ष 2024 के राजनीतिक परिदृश्य में यूं तो पूरे समय भाजपा ही छाई रही, लेकिन साल की शुरुआत की बात करें तो कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया। साल के आगाज में कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में अपनी सीटों में इजाफा किया, वहीं तेलंगाना में बड़ी जीत हासिल कर सरकार भी बनाई। लेकिन, वर्ष के उत्तरार्ध में कांग्रेस नेतृत्व चीजों को सही तरीके से 'मैनेज' नहीं कर पाया। इसके चलते उसे हरियाणा और महाराष्ट्र में हार का मुंह देखना पड़ा। साल के अंत में तो इंडिया गठबंधन में ही राहुल के नेतृत्व पर सवाल उठने लगे। सहयोगी दल लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष से किनारा करते दिखे। 
 
साल की शुरुआत में राहुल गांधी ने राहुल गांधी ने भारत जोड़ो न्याय यात्रा से की। यह यात्रा मणिपुर से शुरू होकर मुंबई में खत्म हुई। हालांकि यह यात्रा राहुल की पहली 'भारत जोड़ो यात्रा' के मुकाबले सफल नहीं रही। 60 दिन से ज्यादा चली यह यात्रा 14 जनवरी से शुरू हुई और 16 मार्च को मुंबई में समाप्त हुई। करीब 6700 किलोमीटर लंबी यह यात्रा दर्जनभर से ज्यादा राज्यों से गुजरी। कह सकते हैं कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को इसका फायदा भी मिला।
 
कांग्रेस की सीटों में हुआ इजाफा : मई 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 2019 के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन किया। कांग्रेस इस चुनाव में 99 सीटों पर विजयी रही। बाद में वायनाड उपचुनाव में जीत के बाद उसकी सीटों की संख्‍या बढ़कर 100 हुई। जबकि, भाजपा उस पर यह कहकर कटाक्ष करती थी कि कांग्रेस 40 के आंकड़े के भीतर ही सिमट जाएगी। कांग्रेस ने 329 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ा था। मई माह में ही हुए तेलंगाना विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस ने स्पष्ट बहुमत (119 में से 64 सीट) हासिल दक्षिणी राज्य में सरकार बनाई।  
 
हरियाणा में 'उम्मीदों' की हार : साल का उत्तरार्ध कांग्रेस के लिए अच्छा नहीं रहा। अक्टूबर 2024 में हुए विधानसभा चुनाव में तमाम राजनीतिक अटकलों के विपरीत मुंह की खाई। एग्जिट पोल में भी कांग्रेस की बढ़त दिखाई जा रही थी, लेकिन कांग्रेस 37 सीटों से आगे नहीं बढ़ पाई। हरियाणा में कांग्रेस अति आत्मविश्वास का शिकार हो गई। उसने सहयोगी दलों को भी छिटक दिया। यदि वह आम आदमी पार्टी और सपा को साथ लेकर चुनाव लड़ती तो शायद परिणाम पलट भी सकता था, लेकिन हरियाणा कांग्रेस के नेताओं की आत्ममुग्धता के चलते गठजोड़ नहीं हो पाया। दूसरी अहम बात यह रही कि कांग्रेस के नेता चुनाव जीतने की जुगत लगाने के बजाय पूरे समय इस जोड़तोड़ में थे कि चुनाव के बाद मुख्‍यमंत्री कौन बनेगा। हालांकि कांग्रेस यह सोचकर खुश हो सकती है पिछले चुनाव के मुकाबले उसे ज्यादा सीटें मिलीं। 
 
महाराष्ट्र में नहीं दिखा समन्वय : जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के बाद गठबंधन की सरकार तो बन गई, लेकिन कांग्रेस का प्रदर्शन उल्लेखनीय नहीं रहा। 38 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस मात्र 6 सीटें ही जीत पाई, जबकि सहयोगी जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस 56 सीटों पर चुनाव लड़कर 42 सीटें जीतने में सफल रही थी। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस की मनमानी देखने को मिली। 288 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस 102 सीटों पर चुनाव लड़ी, जबकि महज 16 सीटें ही जीत पाई। शिवसेना यूबीटी ने 92 सीटों पर चुनाव लड़ा और 20 सीटें जीतीं। दरअसल, महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी के नेता आखिरी समय तक सीटों को लेकर ही लड़ाई करते नजर आए। इसका मतदाताओं पर भी नकारात्मक असर पड़ा। 
 
2025 की चुनौतियां : कांग्रेस के लिए आने वाला वर्ष 2025 काफी चुनौतीपूर्ण रहने वाला है। इसके संकेत 2024 में ही मिल गए हैं। इंडिया गठबंधन सहयोगियों का भरोसा राहुल गांधी से उठ गया है। पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी इंडिया ब्लॉक का नेतृत्व करने की इच्छा जताई है। राजद, सपा, आप ने भी उनका समर्थन किया है। फरवरी 2025 में दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इस चुनाव में आप ने अकेले ही दिल्ली में चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। लालू ने भी ममता का समर्थन कर संकेत दे दिए हैं कि वर्ष के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में वे कांग्रेस को ज्यादा भाव नहीं देने वाले हैं। 
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 
 

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