हंसी मुद्रा योग से पाएं सो‍चने की शक्ति

अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'
'हंसी मुद्रा' जैसा की इसके नाम से ही पता चलता है कि यह कैसी मुद्रा होगी। सोचने और त्वरित निर्णय की क्षमता बढ़ाने में यह मुद्रा लाभदायक मानी गई है। मस्तिष्क के विकास में यह मुद्रा सहायक है। इसे हरिध्यान मुद्रा योग भी कहते हैं।
मुद्रा की विधि - सुखासन या उत्कटासन में बैठकर अपने हाथ की सभी सबसे छोटी अंगुली को छोड़कर अंगुलियों को अंगूठे के आगे के भाग को दबाने से 'हंसी मुद्रा' बन जाती है।
 
अवधि- इस मुद्रा को प्ररंभ में 5-8 मिनट से करके 30-48 मिनट तक कर सकते हैं।
 
मुद्रा का लाभ- इस मुद्रा नियमित अभ्यास से विवेक बढ़ता है अर्थात इससे सोचने-समझने की शक्ति बढ़ती है और इससे शरीर का भारीपन समाप्त हो जाता है। 
 
विशेषता- माना जाता है कि इस मुद्रा का नियमित अभ्यास करने से राजसिक ताकत बढ़ती है और व्यक्ति धन संपन्न बना रहता है। 
 
सावधानी - इस मुद्रा को करते समय किसी भी प्रकार का मंत्र नहीं जपना चाहिए और ना ही कोई अन्य धार्मिक उपक्रम करें।
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