14 अप्रैल : डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर की जयंती, जानिए 10 खास बातें

Webdunia
Ambedkar Jayanti 2023 
 
 
 
डॉ॰ भीमराव रामजी अम्बेडकर (डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर) बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने अपने बहुआयामी व्यक्तित्व के कारण न केवल भारत में, बल्कि विश्व में भारत की नाम अलौकित किया। आओ जानते हैं उनके संबंध में 10 खास बातें।

1. भारतीय अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक रहे भीमराव रामजी अम्बेडकर लोगों के बीच में बाबा साहेब अम्बेडकर (B.R. Ambedkar) नाम से लोकप्रिय थे। वे भारतीय इतिहास के ऐसे महान व्यक्ति हैं जिन्होंने दलितों को सामाजिक अधिकार दिलाने के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।
 
2. 14 अप्रैल 1891 को डॉ. भीमराव अम्बेडकर का जन्म महू में सूबेदार रामजी शकपाल एवं भीमाबाई की चौदहवीं संतान के रूप में हुआ था। 
 
3. सयाजीराव गायकवाड़ (बड़ौदा के महाराजा) ने डॉ. अम्बेडकर को मेधावी छात्र के नाते छात्रवृत्ति देकर विदेश में उच्च शिक्षा के लिए भेजा, जहां उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान, समाजशास्त्र, मानव विज्ञान, दर्शन और अर्थ नीति का गहन अध्ययन प्राप्त किया था, जहां उन्हें अमेरिका में एक नई दुनिया के दर्शन हुए।
 
 
4. वे एक महानायक, विद्वान, दार्शनिक, वैज्ञानिक, समाजसेवी एवं धैर्यवान व्यक्तित्व के धनी थे। उनके व्यक्तित्व में स्मरण शक्ति की प्रखरता, बुद्धिमत्ता, ईमानदारी, सच्चाई, नियमितता, दृढ़ता, संग्रामी स्वभाव ये सभी गुण उनकी अद्वितीय प्रतिभा को खास बनाते हैं। 
 
5. डॉ. अम्बेडकर ने अपना समस्त जीवन समग्र भारत की कल्याण कामना में लगा दिया, खास तौर पर भारत के 80 फीसदी दलित सामाजिक एवं आर्थिक तौर से अभिशप्त थे, उन्हें इस अभिशाप से मुक्ति दिलाना ही अम्बेडकर का जीवन संकल्प था।
 
 
6. डॉ. अम्बेडकर के अनुसार, हिन्दुत्व की गौरव वृद्धि में वशिष्ठ जैसे ब्राह्मण, राम जैसे क्षत्रिय, हर्ष की तरह वैश्य और तुकाराम जैसे शूद्र लोगों ने अपनी साधना का प्रतिफल जोड़ा है। उनका हिन्दुत्व दीवारों में घिरा हुआ नहीं है, बल्कि ग्रहिष्णु, सहिष्णु व चलिष्णु है। 
 
7. डॉ. अम्बेडकर ने समाज को श्रेणीविहीन और वर्णविहीन करने के लिए बहुत कोशिश की, क्योंकि इसी श्रेणी ने इंसान को दरिद्र और वर्ण ने इंसान को दलित बना दिया था, जिनके पास कुछ भी नहीं है, वे लोग दरिद्र माने गए और जो लोग कुछ भी नहीं है वे दलित समझे जाते थे।
 
 
8. डॉ. अम्बेडकर का संकल्प था कि वर्गहीन समाज गढ़ने से पहले समाज को जातिविहीन करना होगा तथा समाजवाद के बिना दलित और मेहनती इंसानों की आर्थिक मुक्ति संभव नहीं। अत: उन्होंने संघर्ष का बिगुल बजाया और आह्वान किया कि, छीने हुए अधिकार भीख में नहीं मिलते, अधिकार वसूल करना होता है। 
 
9. भारतीय संविधान की रचना हेतु डॉ. अम्बेडकर के अलावा और कोई अन्य विशेषज्ञ भारत में नहीं था। अतः सर्वसम्मति से डॉ. अम्बेडकर को संविधान सभा की प्रारूपण समिति का अध्यक्ष चुनकर 26 नवंबर 1949 को डॉ. अम्बेडकर द्वारा रचित (315 अनुच्छेद का) संविधान पारित किया गया।
 
10. डॉ. अम्बेडकर की मृत्यु 6 दिसंबर 1956 (Dr. B.R. Ambedkar Death) को दिल्ली स्थित उनके आवास में नींद के दौरान हो गई। वे मधुमेह से पीड़ित थे। मरणोपरांत सन् 1990 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

BR Ambedkar

ALSO READ: Ambedkar Jayanti 2023: जानिए बाबासाहब भीमराव अम्बेडकर के अनमोल विचार
 
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

चलती गाड़ी में क्यों आती है नींद? जानें इसके पीछे क्या है वैज्ञानिक कारण

सर्दियों में नाखूनों के रूखेपन से बचें, अपनाएं ये 6 आसान DIY टिप्स

क्या IVF ट्रीटमेंट में नॉर्मल डिलीवरी है संभव या C - सेक्शन ही है विकल्प

कमर पर पेटीकोट के निशान से शुरू होकर कैंसर तक पहुंच सकती है यह समस्या, जानें कारण और बचाव का आसान तरीका

3 से 4 महीने के बच्चे में ये विकास हैं ज़रूरी, इनकी कमी से हो सकती हैं समस्याएं

सभी देखें

नवीनतम

नैचुरल ब्यूटी हैक्स : बंद स्किन पोर्स को खोलने के ये आसान घरेलू नुस्खे जरूर ट्राई करें

Winter Skincare : रूखे और फटते हाथों के लिए घर पर अभी ट्राई करें ये घरेलू नुस्खा

Kaal Bhairav Jayanti 2024: काल भैरव जयंती पर लगाएं इन चीजों का भोग, अभी नोट करें

चाहे आपका चेहरा हो या बाल, यह ट्रीटमेंट करता है घर पर ही आपके बोटोक्स का काम

डायबिटीज के लिए फायदेमंद सर्दियों की 5 हरी सब्जियां ब्लड शुगर को तेजी से कम करने में मददगार

अगला लेख