Sarvapitri amavasya : सर्वपितृ अमावस्या के 10 रहस्य जानकर आप सोच में पड़ जाएंगे

Webdunia
Sarva pitru moksha amavasya 2023: 29 सितंबर 2023 से पितृ श्राद्ध पक्ष चल रहा है। 14 अक्टूबर 2023 को सर्वपितृ अमावस्या रहेगी। इस दिन का खास महत्व रहता है। पितृ पक्ष का समापन इस दिन होता है। इस अमावस्या को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या, पितृविसर्जनी अमावस्या, महालय समापन और महालय विसर्जन भी कहते हैं। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि अर्थात सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या के 10 रहस्य जानिए।
 
1. सर्वपितृ अमावस्या पितरों को विदा करने की अंतिम तिथि होती है। 15 दिन तक पितृ घर में विराजते हैं और हम उनकी सेवा करते हैं फिर उनकी विदाई का समय आता है। 
 
2. कहते हैं कि जो नहीं आ पाते हैं या जिन्हें हम नहीं जानते हैं उन भूले-बिसरे पितरों का भी इसी दिन श्राद्ध करते हैं। अत: इस दिन श्राद्ध जरूर करना चाहिए। सर्वपितृ अमावस्या पर ज्ञात-अज्ञात सभी पितरों का श्राद्ध करने की परंपरा है। 
 
3. अगर कोई श्राद्ध तिथि में किसी कारण से श्राद्ध न कर पाया हो या फिर श्राद्ध की तिथि मालूम न हो तो सर्वपितृ श्राद्ध अमावस्या पर श्राद्ध किया जा सकता है। मान्यता है कि इस दिन सभी पितर आपके द्वार पर उपस्थित हो जाते हैं।
 
4. सर्वपितृ अमावस्या पर पितृ सूक्तम् पाठ, रुचि कृत पितृ स्तोत्र, पितृ गायत्री पाठ, पितृ कवच पाठ, पितृ देव चालीसा और आरती, गीता पाठ और गरुढ़ पुराण का पाठ करने का अत्यधिक महत्व है।
 
5. सर्वपितृ अमावस्या पर तर्पण, पिंडदान और ऋषि, देव एवं पितृ पूजन के बाद पंचबलि कर्म करके 16 ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है या यथाशक्ति दान किया जाता है।
 
6. शास्त्र कहते हैं कि "पुन्नामनरकात् त्रायते इति पुत्रः" जो नरक से त्राण (रक्षा) करता है वही पुत्र है। इस दिन किया गया श्राद्ध पुत्र को पितृदोषों से मुक्ति दिलाता है।
 
7. श्राद्ध आप घर में, किसी पवित्र नदी या समुद्र तट पर, तीर्थ क्षेत्र या वट-वृक्ष के नीचे, गौशाला, पवित्र पर्वत शिखर और सार्वजनिक पवित्र भूमि पर दक्षिण में मुख करके श्राद्ध किया जा सकता है।
 
8. इस दिन गृह कलह करना, शराब पीना, चरखा, मांसाहार, बैंगन, प्याज, लहसुन, बासी भोजन, सफेद तील, मूली, लौकी, काला नमक, सत्तू, जीरा, मसूर की दाल, सरसो का साग, चना आदि वर्जित माना गया है।
 
9. शास्त्रों के अनुसार कुतुप, रोहिणी और अभिजीत काल में श्राद्ध करना चाहिए। प्रात:काल देवताओं का पूजन और मध्याह्न में पितरों का, जिसे 'कुतुप काल' कहते हैं।
 
10. आप चाहे तो संपूर्ण गीता का पाठ करें या सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए और उन्हें मुक्ति प्रदान का मार्ग दिखाने के लिए गीता के दूसरे और सातवें अध्याय का पाठ करने का विधान भी है।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

दीपावली 2024: जानें कब है दिवाली, 1 नवंबर या 31 अक्टूबर को? तिथि, मुहूर्त और ज्योतिषीय जानकारी

दीपावली 2024: जानें कब है दिवाली, 1 नवंबर या 31 अक्टूबर को? लाला रामस्वरूप के पंडित जी ने बताई तिथि, मुहूर्त और ज्योतिषीय जानकारी

Shardiya navratri 2024 date: शारदीय नवरात्रि के व्रत का समापन कब करें, 11 या 12 अक्टूबर को?

Karwa Chauth 2024: करवा चौथ कब है, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि, कथा और मंत्र सहित चांद निकलने का समय

Shardiya navratri 2024: शारदीय नवरात्रि में गरबा उत्सव के दौरान क्या करें और क्या नहीं

सभी देखें

नवीनतम

Aaj Ka Rashifal: कैसा रहेगा 12 राशियों के लिए 05 अक्टूबर 2024 का दिन

05 अक्टूबर 2024 : आपका जन्मदिन

05 अक्टूबर 2024, शनिवार के शुभ मुहूर्त

Lalita panchami date time: उपांग ललिता व्रत कब रखा जाएगा, जानिए महत्व, पूजा का मुहूर्त और विधि

Diwali date 2024: विभिन्न पंचांग, पंडित और ज्योतिषी क्या कहते हैं दिवाली की तारीख 31 अक्टूबर या 1 नवंबर 2024 को लेकर?

अगला लेख