क्या दर्शाते हैं 12 राशियों के 12 प्रतीक चिह्न

Webdunia
आदिकाल पूर्व मानव गुफाओं में रहा करता था, तब वैचारिक आदान-प्रदान सांकेतिक भाषा द्वारा प्रस्तुत किया जाता रहा होगा। संस्कृति का विकास होने के क्रम में लिपिबद्ध भाषा का जन्म कई चरणों उपरांत ही संभव हो सका। सर्वप्रथम प्रतीक चिन्हों सूर्य, चांद, भाला, तीर, सर्प, उल्लू इत्यादि भाषा का माध्यम बने। इस प्रकार प्रतीक चिह्नों का जन्म हुआ यानी जो प्रकृति ने मानव को दिखलाया, मानव ने वैचारिक आदान-प्रदान हेतु इसे सांकेतिक चिह्नों के रूप में अपनाया। 
 
जहाज का लंगर, लौंग (चार पत्ती), गठान लगी रस्सी, एलबो, तीर-ढाल तथा तलवार, उल्लू, स्वस्तिक, ओम, त्रिशूल, मछली, बांस तथा सर्प, सूर्य, चाबी, बाज, पैनी, माला, चूड़ी, घंटी इत्यादि प्रतीक चिह्नों का अनादिकाल से मानव अपने कल्याण हेतु प्रयुक्त करता रहा है। प्रतीक चिह्नों का ज्योतिष से भी सीधा संबंध है। जातक के जन्म के अवसर पर गोचर चंद्र जिस राशि पर होता है, जातक की वही जन्म राशि मानी जाती है। 
 
चंद्र मन का द्योतक होने से यह माना जाता है कि उसी राशि के अनुरूप मानव का स्वभाव मोटे तौर पर रहता है। प्रत्येक राशि का एक प्रतीक चिह्न निर्धारित है, जैसे मेष राशि का 'मेड़ा' जातक स्वभाव से अड़ियल तथा उत्साही मगर धुनी होता है। 
 
वृषभ राशि का चिह्न 'बैल' जातक परिश्रमी होते हैं, कार्य में सतत लगे रहना इनका स्वभाव होता है। 
 
मि‍थुन- कल्पनाशील तथा बुद्धिमान होते हैं। 

कर्क- इस राशि के व्यक्ति का केकड़े की भांति स्वभाव होता है। अवसरों को ये चारों तरफ से लपकते हैं। 
 
सिंह- प्रतीक चिह्न शेर का मुख जातक गर्म स्वभाव के कुछ आलसी एवं राजसी प्रकृति के होते हैं। 
 
कन्या- इसके जातक प्रतीक चिह्न 'कन्या अनुसार' कलात्मक रूपी तथा शांत प्रकृति के होते हैं। 
 
तुला राशि- प्रतीक चिह्न 'तराजू' जातक स्‍थि‍र वृत्ति के प्रेमी होते हैं, अत्यंत व्यावहारिक वृत्ति के होते हैं। 
 
वृश्चिक राशि- 'बिच्छू' जातक गर्म स्वभाव के होते हैं तथा न्यायप्रिय रहते हैं। 
 
धनु राशि प्रतीक चिह्न 'धनुष-तीर' स्वभाव के गंभीर तथा न्यायप्रिय वृत्ति के दृढ़ निश्चयी होते हैं। 
 
मकर राशि प्रतीक चिह्न 'मगर' जातक अत्यंत चालाक, परिस्थिति के अनुरूप व्यवहार करने वाले तथा चौकन्ने रहते हैं। 
 
कुंभ के जातक स्थिर वृत्ति के व्यावहारिक होते हैं। 
 
मीन राशि प्रतीक चिह्न 'मछली' जातक कलात्मक वृत्ति के, सात्विक बुद्धि वाले तथा वैभव तथा वैभवप्रिय होते हैं।
 
प्रत्येक चिह्न निर्धारित हैं। उसका अपना महत्व है तथा उसके अनुरूप जातक का व्यवहार रहता है। मोटे तौर पर यह माना जाता है कि प्रतीक चिह्नों को विशेष धातु चांदी, सोना, तांबा इत्यादि में विशेष काल में ढलवाकर मंत्रित करने के उपरांत धारण करने से उस राशि ग्रह के कुप्रभाव से रक्षा होती है, यह मान्यता है। राशि चिह्नों के अतिरिक्त कुछ अन्य भी चिह्न हैं जिनके धारण करने से मनुष्य को उत्तम भाग्य, सर्व सुख प्राप्त होंगे ऐसी मान्यता आदिकाल से चली आ रही है, उदाहरण- 
 
लंगर- इसे सुरक्षा तथा सुंदर भविष्य हेतु प्रयुक्त किया जाता है।
 
एंगल- इसे शास्त्रों के जानकार उत्तम ज्ञान प्राप्ति हेतु धारण करते हैं।
 
लौंग- चार पत्तियों वाली लौंग उत्तम भाग्य, कीर्ति, स्वास्थ्य, संपत्ति का संकेत देती है। इसे उत्तम भाग्य तथा सुंदर भविष्य हेतु धारण किया जाता है।
 
मछली- इसको मीन राशि का प्रतीक चिह्न माना गया है। इसे संगीत, कला तथा साहित्य के क्षेत्र के जिज्ञासु धारण करते हैं।
 
आंख- सूर्य का प्रतीक चिह्न है। बौद्धिकता एवं संपूर्णता हेतु धारण किया जाता है। 

-आलोक व्यास (खंडवा) 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

ज्योतिष की नजर में क्यों है 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

Indian Calendar 2025 : जानें 2025 का वार्षिक कैलेंडर

Vivah muhurat 2025: साल 2025 में कब हो सकती है शादियां? जानिए विवाह के शुभ मुहूर्त

रावण का भाई कुंभकरण क्या सच में एक इंजीनियर था?

शुक्र का धन राशि में गोचर, 4 राशियों को होगा धनलाभ

सभी देखें

नवीनतम

Vrishchik Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: वृश्चिक राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

Kaal Bhairav Jayanti 2024: काल भैरव जयंती कब है? नोट कर लें डेट और पूजा विधि

Tula Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: तुला राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

Job and business Horoscope 2025: वर्ष 2025 में 12 राशियों के लिए करियर और पेशा का वार्षिक राशिफल

क्या आप नहीं कर पाते अपने गुस्से पर काबू, ये रत्न धारण करने से मिलेगा चिंता और तनाव से छुटकारा

अगला लेख