बहुत फलदायी है माघी चतुर्थी का व्रत, जानिए व्रत का महत्व

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* तिलकुंद चौथ कैसे मनाएं, जानिए व्रत का महत्व 
 
सभी देवताओं में श्रेष्ठ भगवान श्रीगणेश को प्रथम पूज्य देवता माना गया है। कहा जाता है कि जो श्रद्घालु चतुर्थी का व्रत कर श्री गणेशजी की पूजा-अर्चना करता है, उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। वर्षभर के सभी चतुर्थियों में माघी/तिल चौथ का विशेष महत्व है। 
 
जो श्रद्घालु नियमित रूप से चतुर्थी का व्रत नहीं कर सकते, वो यदि माघी चतुर्थी का व्रत कर लें, तो ही साल भर की चतुर्थी व्रत का फल प्राप्त हो जाता है। माघी तिल (तिल चौथ) चतुर्थी पर गणेश मंदिरों में भक्तों का तांता लगता है। श्रद्घालु लंबोदर के समक्ष शीश नवाएंगे और आशीष पाकर अपने संकटों को दूर करेंगे।
 
माघी चौथ के अवसर पर व्रतधारी श्रद्घालुओं को चंद्रदर्शन और गणेश पूजा के बाद व्रत समाप्त करना चाहिए। इसके अलावा पूजा के समय भगवान गणेश के इन बारह नामों का जाप करने से फल अवश्य मिलता है। माघी चतुर्थी का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत करने वाले श्रद्घालुओं की समस्त मनोकामना अवश्य पूरी होती है। इस दिन व्रतधारी यह अवश्य करें। 
 
जानिए काम की बातें - 
 
- सुबह गणेश पूजा करें।
 
- पूजा के साथ यदि अथर्वशीर्ष का पाठ किया जाए तो अति उत्तम।
 
- गणेश द्वादश नामावली का पाठ करें।
 
- दिन में अथवा गोधूली वेला में गणेश दर्शन अवश्य करें।
 
- शाम को सहस्र मोदक या स्वेच्छानुसार लड्डुओं का भोग अर्पित करें।
 
- सहस्र दुर्वा अर्पण करें।
 
- हो सके तो सहस्र मोदक से हवन अवश्य करें।
 
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आज पढ़ें चिंतामण श्रीगणेश के 12 नाम
 
1- वक्रतुंड
 
2- एकदंत
 
3- कृष्णपिंगाक्ष
 
4- गजवक्त्र
 
5- लंबोदर
 
6- विकट
 
7- विघ्नराज
 
8- धूम्रवर्ण
 
9- भालचंद्र
 
10-विनायक
 
11- गणपति
 
12- गजानंद।

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