क्या हैं ज्योतिष की वैज्ञानिक कसौटियां जानकर हैरत में पड़ जाएंगे

पं. हेमन्त रिछारिया
'ज्योतिष' को विज्ञान कहने पर अक्सर तार्किकों और ज्योतिषियों में बहस होती है। मेरे देखे ज्योतिष एक विशुद्ध विज्ञान है लेकिन उस रूप में नहीं, जिस रूप में तथाकथित ज्योतिष इसे सिद्ध करने की असफल कोशिश करते रहते हैं।

ज्योतिष को उसके व्यावहारिक रूप में समझना अतिआवश्यक है तभी हम उसके वैज्ञानिक रूप को भलीभांति समझ पाएंगे। इस संबंध में कई वैज्ञानिकों और विद्वानों ने अनुसंधान कर कुछ निष्कर्ष निकाले हैं, जो यह सि‍द्ध करते हैं कि ज्योतिष एक विज्ञान है। हम यहां उनमें से कुछ निष्कर्षों पर पाठकों का ध्यान आकृष्ट करेंगे।
 
1. प्रसिद्ध चिकित्सा शास्त्री पैरासेलीसस ने अपने अनुसंधानों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है कि कोई व्यक्ति तब बीमार पड़ता है, जब उसके वर्तमान नक्ष‍त्र और जन्म नक्षत्र के बीच अंतरसंबंध बिगड़ जाता है। पैरासेलीसस किसी भी मरीज को दवा देने से पूर्व उसकी जन्म कुंडली का अध्ययन करते थे।


उनका कहना था कि जब तक वे यह न जान लें कि मरीज किस नक्षत्र में पैदा हुआ है, उसका अंतरसंगीत पकड़ना संभव नहीं और बिना अंतरसंगीत जाने वे उसकी गड़बड़ी ठीक नहीं कर सकते। पैरासेलीसस के बारे में मशहूर था कि वे ऐसे मरीजों को भी ठीक कर देते थे जिन्हें बड़े से बड़े चिकित्सक भी ठीक नहीं कर पाते थे।
 
 
2. ईसा से 500 वर्षों पूर्व यूनान में पाइथोगोरस ने प्लेनेटरी हार्मनी (ग्रहीय अंतरसंगीत) के बहुमूल्य सिद्धांत को जन्म दिया। पाइथोगोरस का मानना था कि प्रत्येक ग्रह या नक्षत्र जब अं‍तरिक्ष में यात्रा करता है तो उसकी यात्रा से एक विशेष ध्वनि पैदा होती है।

जब कोई मनुष्य जन्म लेता है, तब उस जन्म के क्षण में इन नक्षत्रों व ग्रहों के बीच जो संगीत व्यवस्था है, वह उस जातक के चित्त पर अंकित हो जाती है, जो उसे जीवनपर्यंत प्रभावित करती है।

 
3. सन् 1950 में जियाजारजी गिआरडी ने एक नए विज्ञान को जन्म दिया जिसका नाम है- कास्मिक केमिस्ट्री अर्थात ब्रह्मांड विज्ञान। इस वै‍ज्ञानिक ने अपने प्रयोगों से यह सिद्ध कर दिया कि समस्त जगत एक ऑर्गेनिक यूनिटी है। गिआरडी के अनुसार समस्त जगत अंतरसंबंधित है, ठीक एक मानवीय शरीर‍ की भांति।

जिस प्रकार यदि किसी मनुष्य के पैर के अंगूठे को चोट लगती है, तो उस चोट के कारण पूरा शरीर प्रभावित होता है, ठीक उसी प्रकार यदि ब्रह्मांड में ग्रहों का परिवर्तन होता है, तो उससे भी मनुष्य और प्रकृति दोनों प्रभावित होते हैं।

 
4. ब्राउन, पिकॉडी, तोमातो इन सारे वैज्ञानिकों की खोज का एक अद्भुत निष्कर्ष यह है कि ग्रह-नक्षत्रों से जीवन प्रभावित होता है।
 
-ज्योतिर्विद् पं हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
सम्पर्क: astropoint_hbd@yahoo.com
 
(ओशो : ज्योतिष विज्ञान से साभार)
 
नोट : इस लेख में व्यक्त विचार/विश्लेषण लेखक के निजी हैं। इसमें शामिल तथ्य तथा विचार/विश्लेषण वेबदुनिया के नहीं हैं और वेबदुनिया इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

Shardiya navratri 2025: इस बार शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर से, जानिए किस पर सवार होकर आ रही है मां दुर्गा

Sarvapitri amavasya 2025: वर्ष 2025 में श्राद्ध पक्ष की सर्वपितृ अमावस्या कब है?

September 2025: सितंबर माह में कैसा रहेगा भारत का भविष्य, क्या रहेगी राजनीतिक उठापटक

Shradh paksh 2025: श्राद्ध के 15 दिनों में करें ये काम, पितृ दोष से मिलेगी मुक्ति

Shradh Paksha 2025: श्राद्ध कर्म नहीं करने पर क्या होता है?

सभी देखें

नवीनतम

Mangal Gochar 2025: तुला राशि में मंगल का प्रवेश, इन 4 राशियों के लिए चुनौतीपूर्ण समय

13 September Birthday: आपको 13 सितंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 13 सितंबर, 2025: शनिवार का पंचांग और शुभ समय

Solar eclipse 2025: सूर्य ग्रहण 2025: क्या 21 सितंबर का ग्रहण भारत में दिखेगा?

Vastu tips: घर में सुख-शांति और समृद्धि लाने के लिए आजमाएं ये 5 वास्तु टिप्स और प्रभावी उपाय

अगला लेख