सावन में रुद्राक्ष पहनने से क्या सच में होता है फायदा, जानिए क्या है ज्योतिष और अध्यात्म में रुद्राक्ष का महत्व

WD Feature Desk
शुक्रवार, 11 जुलाई 2025 (17:49 IST)
sawan me rudraksh pahnane ke fayde: सावन का पवित्र महीना भगवान शिव की आराधना के लिए समर्पित होता है। इस दौरान शिव भक्त विभिन्न तरीकों से महादेव को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं, और इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण तरीका है रुद्राक्ष धारण करना। रुद्राक्ष को भगवान शिव का ही स्वरूप माना जाता है और इसे धारण करने के कई आध्यात्मिक, औषधीय और ज्योतिषीय लाभ बताए गए हैं। लेकिन, क्या सच में रुद्राक्ष पहनने से फायदा होता है, और आखिर यह रुद्राक्ष क्या होता है? आइए जानते हैं इस रहस्यमय मनके के बारे में विस्तार से।

क्या होता है रुद्राक्ष? उत्पत्ति और महत्व
रुद्राक्ष एक विशेष पेड़ का फल होता है, जिसकी गुठली का उपयोग आध्यात्मिक और औषधीय प्रयोजनों के लिए किया जाता है। 'रुद्राक्ष' शब्द 'रुद्र' (भगवान शिव का एक नाम) और 'अक्ष' (आँसू) से मिलकर बना है। ऐसी मान्यता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई थी। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने हजारों वर्षों तक गहरे ध्यान में लीन रहने के बाद जब अपनी आँखें खोलीं, तो उनकी आँखों से कुछ अश्रु बूंदें पृथ्वी पर गिरीं। उन्हीं अश्रु बूंदों से रुद्राक्ष के वृक्षों का जन्म हुआ। इसी कारण रुद्राक्ष को अत्यंत पवित्र और भगवान शिव का साक्षात् स्वरूप माना जाता है।

रुद्राक्ष का औषधीय और आध्यात्मिक महत्व
रुद्राक्ष का केवल आध्यात्मिक ही नहीं, बल्कि औषधीय महत्व भी है। आयुर्वेद में इसे कई रोगों के उपचार में लाभकारी बताया गया है। माना जाता है कि रुद्राक्ष धारण करने से रक्तचाप नियंत्रित रहता है, हृदय संबंधी रोगों में लाभ मिलता है और मानसिक तनाव कम होता है। इसकी विद्युतीय और चुंबकीय विशेषताएं शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं।
आध्यात्मिक रूप से, रुद्राक्ष ध्यान, मंत्र जाप और साधना में एकाग्रता बढ़ाने में सहायक होता है। यह नकारात्मक ऊर्जाओं से रक्षा करता है और व्यक्ति के आभा मंडल को शुद्ध करता है। इसे धारण करने से व्यक्ति पर भगवान शिव की कृपा बनी रहती है और उसे आत्मिक बल प्राप्त होता है।

रुद्राक्ष धारण करने के फायदे
रुद्राक्ष धारण करने के कई लाभ बताए गए हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
अकाल मृत्यु तथा शत्रु बाधा से रक्षा: मान्यता है कि रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता और वह शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है। यह एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है।
मानसिक शांति और एकाग्रता: यह मन को शांत करता है, तनाव और चिंता को कम करता है, जिससे एकाग्रता बढ़ती है और निर्णय लेने की क्षमता में सुधार होता है।
ग्रह दोषों का शमन: विभिन्न मुखी रुद्राक्ष विभिन्न ग्रहों से संबंधित होते हैं और उन्हें धारण करने से कुंडली में मौजूद अशुभ ग्रहों के प्रभाव कम होते हैं।
स्वास्थ्य लाभ: यह रक्तचाप को नियंत्रित करने, हृदय रोगों से बचाव और तंत्रिका तंत्र को शांत करने में सहायक माना जाता है।
आध्यात्मिक उन्नति: यह आध्यात्मिक जागरण, अंतर्ज्ञान और आंतरिक ऊर्जा के संतुलन में मदद करता है।
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कितने प्रकार के होते हैं रुद्राक्ष?
रुद्राक्ष मुख्यतः एक मुखी से लेकर चौदह मुखी तक पाए जाते हैं, और प्रत्येक मुखी रुद्राक्ष का अपना विशिष्ट महत्व और लाभ होता है। इसके अलावा कुछ विशेष प्रकार के रुद्राक्ष भी होते हैं:
गौरी-शंकर रुद्राक्ष: यह दो रुद्राक्षों का प्राकृतिक रूप से जुड़ा हुआ स्वरूप होता है, जो भगवान शिव और माता पार्वती का प्रतीक माना जाता है। इसे धारण करने से वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि आती है और रिश्तों में मधुरता बनी रहती है।

गणेश रुद्राक्ष: इस रुद्राक्ष पर प्राकृतिक रूप से गणेश जी की सूंड जैसी आकृति बनी होती है। इसे धारण करने से बुद्धि, ज्ञान और रिद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है, तथा सभी बाधाएं दूर होती हैं।
सावन के महीने में रुद्राक्ष धारण करना अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि इस दौरान भगवान शिव धरती पर ही वास करते हैं। यदि आप रुद्राक्ष धारण करने का विचार कर रहे हैं, तो किसी योग्य ज्योतिषी या पंडित से सलाह लेकर अपनी आवश्यकतानुसार सही मुखी रुद्राक्ष का चुनाव करें और उसे विधि-विधान से धारण करें। यह निश्चित रूप से आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।

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