बहुला चतुर्थी शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व, मंत्र और उपाय

Webdunia
Bahula Chaturthi worship

 

बुधवार, 25 अगस्त को बहुला चतुर्थी पर्व मनाया जाएगा। इस त्योहार का खास आकर्षण गौ माता है। इस दिन गौ पूजन को बहुत महत्व दिया गया है। इस व्रत को गौ पूजा व्रत भी कहा जाता है। बहुला चौथ व्रत की पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन माताएं कुम्हारों द्वारा मिट्टी से भगवान शिव-पार्वती, कार्तिकेय-श्रीगणेश तथा गाय की प्रतिमा बनवाकर मंत्रोच्चारण के साथ विधि-विधान के साथ इसे स्थापित करके पूजा-अर्चना करने पर मनोवांछित फल की प्राप्ति करती हैं। इस दिन श्री कृष्‍ण भगवान का पूजन भी किया जाता है। 
 
बहुला चौथ व्रत के संबंध में यह मान्यता है कि इस दिन गाय का दूध एवं उससे बनी हुई चीजों को नहीं खाना चाहिए। पौराणिक ग्रंथों में चतुर्थी तिथि का स्वामी भगवान श्री गणेश को कहा गया है। भाद्रपद चतुर्थी तिथि को पुत्रवती महिलाएं संतान की रक्षा के लिए व्रत रखती हैं। यह त्‍योहार हमें याद दिलाता है कि हम गौ माता के ऋणी हैं और हमें उनका सम्‍मान और सेवा करनी चाहिए। पौराणिक कथाओं में यह व्‍याख्‍या है कि किस तरह से भगवान कृष्‍ण ने अपनी बाल लीलाओं में गौ माता की सेवा की है।
 
बहुला चतुर्थी व्रत-पूजन- 
 
* बहुला चतुर्थी (चौथ) तिथि को भगवान श्री कृष्ण ने गौ पूजा के दिन के रूप में मान्यता प्रदान की है।
 
* यह व्रत भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है।
 
* इस दिन चंद्रमा के उदय होने तक बहुला चतुर्थी व्रत करने का बहुत ही महत्व है।
 
* इस व्रत में गौ तथा शेर की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर पूजा करने का विधान भी प्रचलित है। 
 
* जो व्यक्ति चतुर्थी को दिनभर व्रत रखकर शाम (संध्या) के समय भगवान कृष्‍ण, शिव परिवार तथा गाय-बछड़े की पूजा करता है उसे अपार धन, सभी तरह के ऐश्वर्य तथा संतान की चाह रखने वालों को संतान सुख की प्राप्ति होती है।
 
* बहुला व्रत माताओं द्वारा अपने पुत्र की लंबी आयु की कामना के लिए रखा जाता है।
 
* इस दिन चाय, कॉफी या दूध नहीं पीना चाहिए, क्योंकि यह दिन गौ पूजन का होने से दूधयुक्त पेय पदार्थों को खाने-पीने से पाप लगता है, ऐसी मान्यता है।
 
* इस चतुर्थी को आम बोलचाल की भाषा में बहुला चतुर्थी के नाम से जाना जाता है।
 
आज पढ़ें गौ माता की यह स्तुति- 
 
लक्ष्मीर्या लोकपालानां धेनुरूपेण संस्थिता। घृतं वहति यज्ञार्थ मम पापं व्यपोहतु।।
 
घृतक्षीरप्रदा गावो घृतयोन्यो घृतोद्भवा:। घृतनद्यो घृतावर्तास्ता मे सन्तु सदा गृहे।।
 
घृतं मे हृदये नित्यं घृतं नाभ्यां प्रतिष्ठितम्। घृतं सर्वेषु गात्रेषु घृतं मे मनसि स्थितम्।।
 
गावो ममाग्रतो नित्यं गाव: पृष्ठत एव च। गावो मे सर्वतश्चैव गवां मध्ये वसाम्यहम्।।
 
सुरूपा बहुरूपाश्च विश्वरूपाश्च मातर:। गावो मामुपतिष्ठन्तामिति नित्यं प्रकीर्तयेत्।।
 
यया सर्वमिदं व्याप्तं जगत् स्थावरजङ्गमम्। तां धेनुं शिरसा वन्दे भूतभव्यस्य मातरम्।।
 
सर्वकामदुधे देवि सर्वतीर्थीभिषेचिनि। पावने सुरभि श्रेष्ठे देवि तुभ्यं नमोस्तुते ।।
 
बहुला चतुर्थी के मंत्र- 
 
भगवान कृष्ण की पूजा करने के लिए 'हरे कृष्ण' महामंत्र का जाप करें। 
 
श्री विष्णु की पूजन के लिए, 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का उच्चारण करें।
 
चतुर्थी के दिन श्रीगणेश के पूजन का विशेष महत्व है। अत: 'ॐ गं गणपतये नमः' जाप करें। 
 
बहुला चतुर्थी पूजन मुहूर्त-

चतुर्थी शुरू 25 अगस्त 16.20 मिनट से 26 अगस्त को 17.25 मिनट पर चतुर्थी तिथि समाप्त होगी।  
चंद्रोदय रात्रि 8.47 मिनट पर होगा। 
 
बहुला चतुर्थी के उपाय- 
 
* गौ माता (गाय) की पूजा करने से कुंडली के दोष समाप्त होंगे।
 
* प्रतिदिन गौ माता के नेत्र के दर्शन करें, जीवन में लाभ ही लाभ होगा।
 
* यदि रास्ते में जाते समय गौ माता आती हुई दिखाई दें तो उन्हें अपने दाहिने से जाने दें, तो निश्‍चित ही आपकी यात्रा सफल होगी।
 
* यदि यात्रा की शुरुआत करते समय गौ माता सामने से आती हुई दिखाई दें या बछड़े को दूध पिलाती हुई दिख जाए तो यात्रा सफल एवं संपन्न होती है।
 
* जिस घर में गौ पालन किया जाता है, वहां का वास्तुदोष स्वत: ही समाप्त हो जाता है।
 
* यदि पितृ दोष के कारण आपका संघर्षमयी जीवन हो तो गौ माता को प्रतिदिन रोटी, गुड़, हरा चारा आदि खिलाएं। अगर प्रतिदिन ना खिला सके तो सिर्फ हर अमावस्या के दिन खिलाने से भी पितृ दोष समाप्त होता है।
 
* यदि आपको भी हमेशा बुरे स्वप्न दिखाई देते हैं तो गौ माता का नाम लें, कुछ ही दिनों में बुरे स्वप्न दिखने बंद हो जाएंगे।
 
* गौ माता के दूध से बने घी का एक अन्य नाम 'आयु' भी है, इसीलिए उसे 'आयुर्वै घृतम्' कहा जाता है। अत: गौ माता के दूध एवं घी का उपयोग करने से व्यक्ति दीर्घायु होता है।
 
बहुला चतुर्थी व्रत के लाभ- 
 
बहुला चतुर्थी व्रत करने से शुभ फल प्राप्त होता है।
 
इस व्रत से घर-परिवार में सुख-शांति आती है।
 
बहुला चतुर्थी व्रत मनुष्‍य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। 
 
बहुला चतुर्थी व्रत करने से परिवार पर आ रहे विघ्न संकट तथा सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं।
 
यह व्रत जन्म-मरण की योनि से मुक्ति भी दिलाता है।

Cow Worship
 
- RK. 
 

ALSO READ: श्री बलदाऊ के जीवन की 20 रोचक जानकारियां

ALSO READ: बहुला चतुर्थी की शुभ कथा पढ़ने से होते हैं कई जन्मों के पाप नष्ट

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Angarak Yog: मंगल राहु की युति से बना अंगारक योग, कोई हो जाएगा कंगाल और कोई मालामाल

Akshaya tritiya 2024: अक्षय तृतीया पर घटी थी ये 10 पौराणिक घटनाएं

नरेंद्र मोदी के सितारे 2028 तक बुलंद, भाजपा की सीटें हो सकती हैं 320 के पार

Parashurama jayanti 2024: भगवान परशुराम जयंती कब है, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

Nautapa 2024 date: कब से लगने वाला है नौतपा, बारिश अच्‍छी होगी या नहीं?

Shukra aditya yoga 2024: शुक्रादित्य राजयोग से 4 राशियों को होगा बेहद फायदा

गंगा सप्तमी का व्रत कब रखा जाएगा, जानें पूजा के शुभ मुहूर्त

Angarak Yog: मंगल राहु की युति से बना अंगारक योग, कोई हो जाएगा कंगाल और कोई मालामाल

मई में कब रखा जाएगा पहला प्रदोष व्रत, जानिए पूजा के मुहूर्त और महत्व

Aaj Ka Rashifal: किसके लिए लाभदायी रहेगा 02 मई 2024 का दिन, पढ़ें 12 राशियां

अगला लेख