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Guru Pushya Yoga 2025: 18 सितंबर को गुरु पुष्य का संयोग क्यों होगा खास, जानें पितृ पक्ष से कनेक्शन

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WD Feature Desk

, बुधवार, 17 सितम्बर 2025 (16:49 IST)
What to do on Guru Pushya Yoga : 18 सितंबर 2025 को एक अत्यंत दुर्लभ और शुभ योग बन रहा है, गुरु पुष्य योग। यह संयोग तब बनता है जब गुरुवार यानी बृहस्पतिवार के दिन पुष्य नक्षत्र पड़ता है। पुष्य नक्षत्र को 'राजा नक्षत्र' माना जाता है और जब यह गुरुवार को हो तो इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।ALSO READ: Shraddha Paksha 2025: श्राद्ध पक्ष में द्वादशी तिथि के श्राद्ध का महत्व, विधि, जानिए कुतुप काल मुहूर्त और सावधानियां

यह दिन नवीन आरंभ, धन-संपत्ति की खरीदारी, व्यापार, रत्न धारण, और आध्यात्मिक साधना के लिए अत्यंत शुभ होता है। इस बार यह संयोग और भी विशेष है क्योंकि यह 'पितृ पक्ष' के दौरान बन रहा है। ऐसे में इस दिन पूर्वजों की शांति और तर्पण के लिए किया गया कार्य कई गुना फल देता है। 
 
आइए नीचे विस्तार से समझते हैं कि यह संयोग क्यों खास है:
 
'क्या है गुरु पुष्य योग?' : 'गुरु पुष्य योग' तब बनता है, जब 'पुष्य नक्षत्र' हो, और वही दिन 'गुरुवार (गुरु वार)' हो। पुष्य नक्षत्र को 'नक्षत्रों का राजा' कहा गया है, और यह 'समृद्धि, व्यापार, खरीदारी, पूजा, दान और शुभ कार्यों के लिए अत्यंत शुभ' माना जाता है। गुरुवार बृहस्पति (गुरु) का दिन है, जो 'धर्म, ज्ञान और शुभता' का प्रतीक है। दोनों के मिलने से यह 'अभूतपूर्व योग' बनता है।
 
18 सितंबर 2025: गुरु पुष्य योग क्यों खास है?'
 
1. 'पितृ पक्ष के दौरान बन रहा है संयोग': 
- पितृ पक्ष में पूर्वजों की आत्मा की शांति और तर्पण के लिए श्राद्ध किए जाते हैं।
- गुरु पुष्य जैसे शुभ योग में किया गया दान, श्राद्ध, जप और तर्पण 'अतुलनीय फल' देता है।
- यह दिन 'पूर्वजों को प्रसन्न करने' और उनके आशीर्वाद को पाने के लिए बेहद प्रभावशाली माना गया है।
 
2. 'खरीदारी और निवेश के लिए उत्तम दिन':
- सोना, चांदी, वाहन, प्रॉपर्टी, इलेक्ट्रॉनिक सामान और व्यापारिक सौदों के लिए बहुत शुभ।
- निवेश या नया व्यापार शुरू करने का संयोग भी उत्तम रहेगा।
 
3. 'सात्त्विक कर्मों के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त':
- जप, तप, ध्यान, मंत्र सिद्धि, रत्न धारण, आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन आदि के लिए उपयुक्त दिन।
- ग्रह दोषों और कुंडली के नकारात्मक प्रभावों को दूर करने का विशेष अवसर।
 
पितृ पक्ष से क्या है संबंध?': 
- गुरु पुष्य योग में 'श्राद्ध कर्म, तर्पण और ब्राह्मण भोज' करने से पितरों को विशेष संतोष मिलता है।
- इस दिन तिल, जल, काले तिल और गाय के भोजन का दान विशेष रूप से फलदायी होता है।
- जिन लोगों की कुंडली में 'पितृ दोष' हो, वे इस दिन 'पितृ शांति पूजा' करवा सकते हैं।ALSO READ: shradh 2025: अर्पण और तर्पण में क्या है अंतर? जानें क्यों पितृपक्ष में तर्पण है सबसे महत्वपूर्ण
 
'18 सितंबर 2025 के दिन: क्या कार्य करें और क्यों करें?' 
 
- सोना-चांदी खरीदें: लक्ष्मी प्राप्ति और आर्थिक वृद्धि के लिए शुभ।
 
- रत्न धारण करें : ज्योतिषीय उपायों को प्रभावशाली बनाने के लिए।
 
- पितृ तर्पण करें: पूर्वजों की आत्मा की शांति और आशीर्वाद हेतु।
 
- ब्राह्मण भोज/दान: पुण्य लाभ और पितृ प्रसन्नता के लिए।
 
- नया व्यापार शुरू करें: सफलता और समृद्धि के लिए।
 
'क्या न करें इस दिन?'
 
- नकारात्मक विचार, क्रोध और अपशब्दों से बचें।
 
- मांसाहार और शराब से दूर रहें।
 
- पितरों की निंदा न करें। 
 
अत: '18 सितंबर 2025 का गुरु पुष्य योग' पितृ पक्ष में होने के कारण 'अत्यंत दुर्लभ और अत्यंत शुभ संयोग' है। यह दिन आत्मिक उन्नति, पूर्वजों की कृपा और भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए सर्वोत्तम है। धार्मिक आस्था और शुभ कर्मों के साथ इस दिन का लाभ जरूर उठाएं।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ: Shradh 2025: विश्व का एकमात्र तीर्थ जहां केवल मातृ श्राद्ध का है विधान, ‘मातृगया’ के नाम से है प्रसिद्द

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