Astrology and Health : आपकी जन्म पत्रिका बता देती है आप कब होंगे बीमार, पढ़ें Interesting जानकारी

पं. हेमन्त रिछारिया
Health Astrology in Hindi

जन्म पत्रिका बता देती है आप कब होंगे बीमार, आपको चौंका देगी यह जानकारी 
 
सुप्रसिद्ध उक्ति है- 'पहला सुख निरोगी काया...' अर्थात स्वस्थ रहना, निरोगी रहना पहला सुख माना गया है। लेकिन कभी-कभी जन्म पत्रिका में ऐसी ग्रह स्थिति का निर्माण हो जाता है कि जातक निरोगी नहीं रह पाता व सदैव रोगग्रस्त रहता है।
 
आज हम इसी विषय पर 'वेबदुनिया' के पाठकों को कुछ प्रामाणिक जानकारी प्रदान करेंगे। जन्म पत्रिका का 6ठा भाव रोग का होता है। 6ठे भाव का अधिपति, जिसे ज्योतिष की भाषा में षष्ठेश कहते हैं, रोग का प्रतिनिधि होता है।

 
यदि किसी जातक की जन्म पत्रिका में 6ठे भाव पर किसी शुभ ग्रह का प्रभाव हो एवं षष्ठेश कुंडली के शुभ भावों में स्थित हो तो ऐसा जातक अक्सर रोगग्रस्त रहता है। उसे रोग शीघ्र प्रभावित करते हैं किंतु इसके विपरीत यदि 6ठे भाव पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव एवं षष्ठेश अशुभ भावों में स्थिति हो तो ऐसा जातक अधिकांश निरोगी व स्वस्थ रहता है।
 
दशा बता देती है कि आप बीमार होने वाले हैं?
 
जन्म पत्रिका में केवल रोगकारक ग्रह स्थितियां होने मात्र से ही आप निरोगी या रोगी नहीं हो जाते, बल्कि इसमें विंशोत्तरी व योगिनी दशा भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं। जब किसी जातक पर षष्ठेश की महादशा व अंतरदशा के साथ अशुभ ग्रहों का प्रत्यंतर अथवा मारकेश की दशा हो इस अवधि में जातक के रोगग्रस्त होने की पूर्ण आशंका रहती है।
 
भावेश संकेत करता है, रोग कौन सा है?
 
आपकी जन्म पत्रिका केवल रोग का समय ही नहीं, अपितु रोग की प्रकृति भी बताने में सक्षम है। यदि आपकी कुंडली में षष्ठेश चतुर्थेश की युति है अथवा चतुर्थेश पर षष्ठेश की दृष्टि हो एवं चतुर्थ भाव पर अशुभ ग्रहों या मारकेश का प्रभाव हो तो यह ग्रह स्थिति हृदय रोग की ओर संकेत करती है।
 
ठीक इसी प्रकार पंचम भाव एवं पंचमेश, सप्तम भाव एवं सप्तमेश, सूर्य, चंद्र, बुध, शुक्र, गुरु, शनि लग्न आदि पर पड़ रहे षष्ठेश के प्रभाव को देखकर एक विद्वान दैवज्ञ आपके रोग की प्रकृति एवं उस रोग से निवृत्ति का उपाय व अवधि बताने में समर्थ होता है।

 
अत: जब भी आप रोगग्रस्त हों, चिकित्सकीय उपचार के साथ-साथ किसी विद्वान ज्योतिषी से परामर्श अवश्य लें। चिकित्सकीय उपचार के साथ ज्योतिषी मार्गदर्शन प्राप्त करने से लाभ में वृद्धि होने की संभावना बढ़ जाती है। 
 
आइए, जानते हैं कि किस ग्रह से षष्ठेश से प्रभावित होने पर कौन सा रोग होने की आशंका होती है-
 
1. सूर्य- नेत्र व सिर संबंधी रोग
 
2. चंद्र- सर्दी-जुकाम, अनिद्रा, फेफड़ों में संक्रमण

 
3. मंगल- उच्च रक्तचाप, एनीमिया, रक्त संबंधी रोग, हृदय संबंधी रोग
 
4. बुध- त्वचा संबंधी रोग, वाणी संबंधी दोष
 
5. गुरु- पेट संबंधी रोग, गैस, बुद्धिहीनता
 
6. शुक्र- यौन रोग, मूत्र संबंधी रोग
 
7. शनि- वात संबंधी, घुटनों में दर्द, पैर में चोट, हड्डी का टूटना, मानसिक अवसाद (डिप्रेशन) आदि
 
8. राहु- पागलपन, मानसिक अवसाद (डिप्रेशन), दुर्घटनाजनित चोट
 
9. केतु- शल्य चिकित्सा, गुदा संबंधी रोग, बवासीर, दंत रोग
 
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
संपर्क : प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केंद्र
संपर्क : astropoint_hbd@yahoo.com
 
ALSO READ: Lal kitab : चांदी की डिब्बी के 2 उपाय, धनवान बनाए

सम्बंधित जानकारी

इस बार हनुमान जयंती पर बन रहे हैं शुभ संयोग, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त

Holi 2025: 13 को होलिका दहन के बाद 14 को छोड़कर 15 मार्च को क्यों कह रहे हैं होली खेलने का?

मीन मलमास 2025: कब से शुरू होगा मीन मलमास? क्या होगा इसका 3 राशियों पर प्रभाव?

Lunar eclipse 2025: 14 मार्च को पूर्ण चंद्र ग्रहण, भारत पर इसका असर होगा या नहीं, जानिए 12 राशियों का राशिफल

महाकाल के आंगन में क्यों जलती है सबसे पहले होलिका, जानिए क्यों नहीं होती मुहूर्त की जरूरत

खरमास यानी मलमास में किए जा सकते हैं कौनसे शुभ कार्य?

11 मार्च 2025 : आपका जन्मदिन

11 मार्च 2025, मंगलवार के शुभ मुहूर्त

Lunar eclipse 2025: चंद्र ग्रहण कहां पर नजर आएगा, कौनसी 4 राशियों को होगा इससे फायदा

नृसिंह द्वादशी 2025: होली के पहले पड़ता है यह व्रत, जानें महत्व, पूजा विधि और कथा

अगला लेख