भृगु ऋषि ने पहले ही कर दी थी ये भविष्यवाणी, ग्रहों के एक ही सीध में आने से क्या होगा?

WD Feature Desk
शनिवार, 3 मई 2025 (17:21 IST)
भृगु ने ही भृगु संहिता की रचना की। उसी काल में उनके भाई स्वायंभुव मनु ने मनुस्मृति की रचना की थी। इनके रचित कुछ ग्रंथ हैं- 'भृगु स्मृति' (आधुनिक मनुस्मृति), 'भृगु संहिता' (ज्योतिष), 'भृगु संहिता' (शिल्प), 'भृगु सूत्र', 'भृगु उपनिषद', 'भृगु गीता' आदि। 'भृगु संहिता' आज भी उपलब्ध है जिसकी मूल प्रति नेपाल के पुस्तकालय में ताम्रपत्र पर सुरक्षित रखी है। इस विशालकाय ग्रंथ को कई बैलगाड़ियों पर लादकर ले जाया गया था। भारतवर्ष में भी कई हस्तलिखित प्रतियां पंडितों के पास उपलब्ध हैं किंतु वे अपूर्ण हैं। भृगु संहिता में व्यक्ति के कई जन्मों की जानकारी भी दी गई है, जिससे उसे अपने पिछले जन्मों के कर्मों के बारे में पता चलता है। 
 
कुछ भृगु ग्रंथों में यह दावा भी मिलता है कि उन्होंने आने वाले कलयुग, भारत में राजनीतिक उथल-पुथल, महान युद्धों और धर्म-परिवर्तन की घटनाओं की भी भविष्यवाणी की थी। उन्होंने सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग के गुण, दोष और मानव प्रवृत्तियों के बारे में भी पहले से लिखा है। हालांकि इस तरह के दावों की पुष्टि नहीं की जा सकती।
 
बृहस्पति, सूर्य और शनि के एक ही सीध में आने से क्या होगा?
ब्रह्माजी के पुत्र भृगु ऋषि ने अपने त्रिकाल नेत्र और ज्योतिष गणना से भृगु संहिता में लाखों लोगों के जीवन का उल्लेख किया है। उनके अनुसार युग चक्र परिवर्तन के कई संकेत मिलते हैं। उन्होंने कलयुग समाप्त एक विशेष खगोलीय घटना के अनुसार युग परिवर्तन के बारे में लिखा है। उनके अनुसार एक विशेष समय पर कलयुग का अंत होगा और सतयुग का प्रारंभ होगा। 
 
वर्ष 2025 में एक विशेष खगोलीय घटना होगी जहां पर शनि, बृहस्पति और सूर्य विशेष स्थिति में होंगे। हालांकि ऐसी स्थिति हर 100 साल में होती है, परंतु वर्ष 2025 में जो खगोलीय स्थिति बन रही है वही महाभारत काल में भी बनी थी। महाभारत काल में एक ओर जहां कुछ ग्रह एक ही सीध में थे वहीं बृहस्पति ग्रह अतिचारी गति से 7 वर्षों तक गोचर कर रहे थे। ऐसी ग्रह परिस्थिति में कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध हुआ था। आज भी ऐसी परिस्थिति बन रही है। ज्योतिष के अनुसार अब 14 मई 2025 से गुरु के अतिचारी होने से बड़े पैमाने पर जलवायु परिवर्तन के चलते धरती के मौसम और तापमान में बदलाव हो जाएगा। लोगों की मानसिक स्थिति गड़बड़ा जाएगी। इसी के साथ ही महायुद्ध का बिगुल बज जाएगा।
 
विद्वानों के अनुसार वर्ष 2025 में एक ऐसा समय आएगा जबकि सकारात्मक और नकारात्मक में सूक्ष्म युद्ध होगा। भृगु संहिता में ऐसे संकेत मिलते हैं कि वर्ष 2025 में ऐसा योग बनेगा जबकि 3 ग्रह विशेष रूप एक सीध में रहेंगे। तब एक नया चक्र आरंभ होगा। यह विनाश के बाद युग परिवर्तन का संकेत होगा। आज की परिस्थिति ऐसी ही है। कलयुग के अंत की भविष्यवाणी में ऐसी स्थिति का वर्णन मिलता है। भृगु संहिता के अनुसार जब कलयुग अपने अंतिम समय में होगा तब कल्कि भगवान होंगे।
 
ग्रहों का एक ही सीध में होना: 21 जनवरी को ग्रहों की परेड के बाद 28 फरवरी 2025 को, सात ग्रह (शनि, बुध, नेपच्यून, शुक्र, अरुण, बृहस्पति और मंगल) एक ही सीधी रेखा में दिखाई दिए थे। यह परेड 8 मार्च तक चली। इसे ग्रहों का महाकुंभ कहा गया। इसी के साथ आशंका व्यक्त की गई की इस परेड के चलते देश और दुनिया में बड़े बदलाव होंगे। इस परेड को ज्योतिष में युति कहते हैं। मीन राशि में ग्रहों का कुंभ चल रहा था जो कि देश और दुनिया में तबाही मचा रहा है। यह स्थिति अभी एक वर्ष तक और चलेगी। कभी 6 तो कभी 4 ग्रह एक ही सीध में रहेंगे।
 
1. 1962 में सूर्य, चंद्रमा, बृहस्पति, शनि, शुक्र और बुध सभी एक सीध में आए थे। उस समय भारत-चीन युद्ध हुआ था।
2. 2020 में भी शनि-बृहस्पति की युति हुई थी तब कोविड-19 के चरम काल में।

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