Shraddha paksha 2023: नवमी के श्राद्ध की खास बातें, जानिए शुभ मुहूर्त

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Pitru Shradh Paksha 2023: इस बार पितृ पक्ष के अंतर्गत नवमी तिथि का श्राद्ध 7 अक्टूबर 2023, शनिवार के दिन किया जाएगा। नवमी पर किन लोगों का श्राद्ध होता है यह जानना आपके लिए बहुत आवश्‍यक है।

श्राद्ध के दिनों में इन कार्यों को करने की सख्त मनाही है। जैसे इन दिनों गृह कलह न करें, चरखा, मांसाहार, बैंगन, प्याज, लहसुन, बासी भोजन, सफेद तील, मूली, लौकी, काला नमक, सत्तू, जीरा, मसूर की दाल, सरसो का साग, चना आदि वर्जित माना गया है। कोई यदि इनका उपयोग करता है तो पितृगण नाराज हो जाते हैं। इसके साथ ही शराब पीना, मांस खाना, श्राद्ध के दौरान मांगलिक कार्य करना, झूठ बोलना और ब्याज का धंधा करने से भी पितृ नाराज होते हैं।
 
आइए अब यहां जानते हैं नवमी श्राद्ध तिथि की महत्वपूर्ण बातें और शुभ मुहूर्त के बारे में-
 
• जिन लोगों का देहांत इस दिन अर्थात तिथि अनुसार दोनों पक्षों यानी कृष्ण या शुक्ल नवमी तिथि हो हुआ है उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है।
 
• यदि माता की मृत्यु हो गई हो तो उनका श्राद्ध मृत्यु तिथि के अलावा नवमी तिथि को भी करना चाहिए। जिन महिलाओं की मृत्यु की तिथि मालूम न हो, उनका भी श्राद्ध नवमी को किया जाता है। इस दिन माता एवं परिवार की सभी स्त्रियों का श्राद्ध किया जाता है। इसे मातृ नवमी श्राद्ध भी कहा जाता है।
 
• यदि आपको अपनी पितरों की मृत्यु तिथि नहीं याद है तो आप सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध कर सकते हैं। सर्वपितृ अमावस्या पर ज्ञात-अज्ञात सभी पितरों का श्राद्ध करने की परंपरा है। इसे पितृविसर्जनी अमावस्या, महालय समापन आदि नामों से जाना जाता है।
 
• श्रद्धा पूर्वक तर्पण और पिंडदान करने से पितृ प्रसन्न होते हैं।
 
• श्राद्ध पक्ष में पंचबलि कर्म अर्थात देव, पीपल, गाय, कुत्ते और कौवे को अन्न जल देने से पितृदेव प्रसन्न होते हैं। इसी के साथ ही चीटीं और मछलियों को भी अन्न देना चाहिए।
 
• श्राद्ध में 10 तरह के दान दिए जाते हैं। 1.जूते-चप्पल, 2.वस्त्र, 3.छाता, 4.काला तिल, 5.घी, 6.गुड़, 7.धान्य, 8.नमक, 9.चांदी-स्वर्ण और 10.गौ-भूमि। आप चाहे तो सिर्फ आटा, गुड़, घी, नमक और शक्कर का दान कर सकते हैं।
 
• ब्राह्मण भोज भी कराना चाहिए। इस दिन सभी को अच्छे से पेटभर भोजन खिलाकर दक्षिणा दी जाती है। ब्राह्मण का निर्वसनी होना जरूरी है और ब्राह्मण नहीं हो तो अपने ही रिश्तों के निर्वसनी और शाकाहार लोगों को भोजन कराएं। खासकर जमाई, भांजा, मामा, गुरु और नाती को भोजन करूर कराएं।
 
• पितृ पक्ष के दौरान प्रतिदिन अपने द्वारा पर पितरों के निमित्त एक दीप जरूर जालाएं। दक्षिण दिशा में पितरों के निमित्त 2, 5, 11 या 16 दीपक जरूर जलाएं। आप अपनी गैलरी में भी जला सकते हैं या आप प्रतिदिन पीपल के पेड़ के पास भी दीप जलाकर पितरों की मुक्ति हेतु प्रार्थना कर सकते हैं।
 
• परिवार के सभी सदस्यों से बराबर मात्रा में सिक्के इकट्ठे करके उन्हें मंदिर में दान करें।
 
• गुड़ घी को मिलाकर सुगंधित धूप दें, जब तक वह जले तब तक 'ॐ पितृदेवताभ्यो नम': का जप करें और इसी मंत्र से आहुति दें।
 
• भगवान विष्णु सहित इन दिव्य पितरों की पूजा करें। जैसे यमराज, काव्यवाडनल, सोम, अर्यमा, अग्निष्व, सोमसद, बहिर्पद, चित्रगुप्तजी, अग्रिष्वात्त, बहिर्पद आज्यप, सोमेप, रश्मिप, उपदूत, आयन्तुन, श्राद्धभुक व नान्दीमुख, आदित्य, वसु, रुद्र तथा दोनों अश्विनी कुमार आदि।
 
• सर्वपितृ अमावस्या के दिन शास्त्रों में मृत्यु के बाद और्ध्वदैहिक संस्कार, पिण्डदान, तर्पण, श्राद्ध, एकादशाह, सपिण्डीकरण, अशौचादि निर्णय, कर्म विपाक आदि के द्वारा पापों के विधान का प्रायश्चित कहा गया है।
 
• पितृसुक्त या गीता का पाठ करें। श्राद्ध पक्ष में 16 दिन गीता का पाठ करना चाहिए। आप चाहे तो संपूर्ण गीता का पाठ करें नहीं तो पितरों की शांति के लिए और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए और उन्हें मुक्ति प्रदान का मार्ग दिखाने के लिए गीता के 2रे और 7वें अध्याय का पाठ जरूर करें।
 
नवमी श्राद्ध : शनिवार, 7 अक्टूबर 2023 के मुहूर्त 
 
नवमी तिथि का प्रारंभ- 6 अक्टूबर 2023 को 11.38 पी एम से
नवमी तिथि की समाप्ति- 8 अक्टूबर 2023 को 01.42 ए एम बजे
 
कुतुप मुहूर्त- 10.52 ए एम से 11.41 ए एम
अवधि- 00 घंटे 49 मिनट्स
 
रौहिण मुहूर्त- 11.41 ए एम से 12.30 पी एम
अवधि- 00 घंटे 49 मिनट्स
 
अपराह्न काल- 12.30 पी एम से 02.57 पी एम
अवधि- 02 घंटे 27 मिनट्स
 
आज का शुभ समय
ब्रह्म मुहूर्त- 03.36 ए एम से 04.23 ए एम 
प्रातः सन्ध्या 03.59 ए एम से 05.10 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 10.52 ए एम से 11.41 ए एम 
विजय मुहूर्त- 01.19 पी एम से 02.08 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 05.24 पी एम से 05.47 पी एम 
सायाह्न सन्ध्या 05.24 पी एम से 06.34 पी एम
अमृत काल 12.48 पी एम से 02.34 पी एम 
निशिता मुहूर्त- 10.53 पी एम से 11.40 पी एम
 
लाभ :  मातृ नवमी का श्राद्ध कर्म करने से श्राद्धकर्ता की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। धन, संपत्ति, ऐश्वर्य प्राप्त होता है और सौभाग्य हमेशा बना रहता है। सभी तरह के संकट दूर होकर जीवन में शांति आती है।
 
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