जनवरी 2020 का दूसरा पंचक काल शुरू, जानिए कब होगी समाप्ति

Webdunia
वर्ष 2020 का नए साल में पहला पंचक काल जहां 4 जनवरी तक रहा, वहीं दूसरा पंचक 26 जनवरी से लग गया है। रविवार, 26 जनवरी 17:39:48 बजे से शुरू हुआ यह पंचक शुक्रवार, 31 जनवरी 18:10:15 बजे तक जारी रहेगा। 
 
ज्योतिष में पंचक को शुभ नक्षत्र नहीं माना जाता है। इसे अशुभ और हानिकारक नक्षत्रों का योग माना जाता है। घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को पंचक कहा जाता है। जब चंद्रमा, कुंभ और मीन राशि पर रहता है, तब उस समय को पंचक कहते हैं। 
 
प्राचीन ज्योतिष शास्त्र में घनिष्ठा से रेवती तक जो 5 नक्षत्र (घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती) होते हैं, उन्हे पंचक कहा जाता है। ज्योतिष में आमतौर पर माना जाता है कि पंचक में कुछ कार्य विशेष नहीं किए जाते हैं। रविवार को शुरू होने वाला पंचक रोग पंचक कहलाता है। इसके प्रभाव से ये 5 दिन शारीरिक और मानसिक परेशानियों वाले होते हैं। इस पंचक में किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। हर तरह के मांगलिक कार्यों में ये पंचक अशुभ माना गया है।
 
जानिए नक्षत्र के अनुसार पंचक का प्रभाव :- 
 
* पंचक के प्रभाव से घनिष्ठा नक्षत्र में अग्नि का भय रहता है। 
 
* शतभिषा नक्षत्र में कलह होने के योग बनते हैं। 
 
* पूर्वा भाद्रपद रोग कारक नक्षत्र होता है। 
 
* उत्तरा भाद्रपद में धन के रूप में दंड होता है। 
 
* रेवती नक्षत्र में धन हानि की संभावना होती है।
 
अत: पंचक के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें भी जान लीजिए :- 
 
* पंचक के दौरान जिस समय घनिष्ठा नक्षत्र हो उस समय घास, लकड़ी आदि ईंधन एकत्रित नहीं करना चाहिए, इससे अग्नि का भय रहता है।
 
* पंचक के दौरान दक्षिण दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि दक्षिण दिशा, यम की दिशा मानी गई है। इन नक्षत्रों में दक्षिण दिशा की यात्रा करना हानिकारक माना गया है।
 
* पंचक के दौरान जब रेवती नक्षत्र चल रहा हो, उस समय घर की छत नहीं बनाना चाहिए, ऐसा विद्वानों का मत है। इससे धन हानि और घर में क्लेश होता है। मान्यता है कि पंचक में पलंग बनवाना भी बड़े संकट को न्यौता देना है।
 
* जो सबसे ज्यादा प्रचलित मान्यता है वो है कि पंचक में किसी की मृत्यु होने से और पंचक में शव का अंतिम संस्कार करने से उस कुटुंब या निकटजनों में पांच मृत्यु और हो जाती है। 
 
इस स्थिति से बचने के लिए यदि किसी की मृत्यु पंचक अवधि में हो जाती है, तो शव के साथ 5 पुतले आटे या कुश (एक प्रकार की घास) से बनाकर अर्थी पर रखें और इन पांचों का भी शव की तरह पूर्ण विधि-विधान से अंतिम संस्कार करें, तो पंचक दोष समाप्त हो जाता है। अत: इस समय काल में सभी शुभ कार्य वर्जित रखना उचित रहेगा।

ALSO READ: वसंत पंचमी के सरल मंत्र : मां शारदा की कठिन पूजा नहीं कर सकते तो ये मंत्र आपके लिए हैं

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Akshay Tritiya 2024: अक्षय तृतीया पर क्या है खरीदारी का सबसे शुभ मुहूर्त?

अक्षय तृतीया का जैन धर्म से क्या है कनेक्शन, जानें महत्व

Akshaya tritiya 2024: अक्षय तृतीया पर घटी थी ये 10 पौराणिक घटनाएं

Akshaya tritiya 2024: अक्षय तृतीया पर सोने के अलावा भी खरीद सकते हैं ये 5 चीजें

Akshaya tritiya 2024 : 23 साल बाद अक्षय तृतीया पर इस बार क्यों नहीं होंगे विवाह?

Maa laxmi : रूठी हुई मां लक्ष्मी को कैसे मनाएं?

Aaj Ka Rashifal: आज किसे मिलेंगे धनलाभ के अवसर, जानें 07 मई का राशिफल

07 मई 2024 : आपका जन्मदिन

07 मई 2024, मंगलवार के शुभ मुहूर्त

ChaturSagar Yog : चतुरसागर योग क्या होता है, जातक बन सकता है विश्व प्रसिद्ध

अगला लेख