आज भी प्रासंगिक है भर्तृहरि का यह नीति वाक्य

Webdunia
भर्तृहरि नीति शतक में लगभग 110 श्लोक हैं, उन सभी का खास महत्व है। भर्तृहरि का निम्न श्लोक वर्तमान परिस्थिति को दर्शाता है। आइए जानें...

'दानं भोगो नाशस्तिस्त्रो गतयो भवन्ति वित्तस्य । 
यो न ददाति न भुङ्क्ते तस्य तृतीया गतिर्भवति ॥
 
ALSO READ: कई रहस्य बयां करती है राजा भर्तृहरि की गुफा
 
धन की यह तीन गति होती हैं - दान, भोग और नाश.. लेकिन जो न तो धन को दान में देता है और न ही उस धन का भोग करता है, उसके धन की तीसरी गति तो निश्चित है.....!

वर्तमान परिस्थिति में यह पंक्तियां प्रासंगिक हैं।

ALSO READ: राजा भर्तृहरि की सम्पूर्ण कहानी : अपनी सुंदर पत्नी से आहत होकर बने बैरागी
 
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

भारत में कहां की है सबसे प्रसिद्ध गणगौर, कहां लगता है गणगौर मेला, जानिए तिथि, परंपराएं और महत्व

हिन्दू नववर्ष को किस राज्य में क्या कहते हैं, जानिए इसे मनाने के भिन्न भिन्न तरीके

कब मनेगी ईद 31 मार्च या 1 अप्रैल, जानिए सही तारीख

नवरात्रि की प्रथम देवी मां शैलपुत्री की कथा

नवरात्रि की दूसरी देवी मां ब्रह्मचारिणी की कथा

सभी देखें

नवीनतम

29 मार्च 2025 : आपका जन्मदिन

29 मार्च 2025, शनिवार के शुभ मुहूर्त

सूर्य ग्रहण और शनि के मीन राशि में प्रवेश का दुर्लभ संयोग, क्या होगा देश दुनिया का हाल? कौनसी 6 राशियां रहेंगी बेहाल?

इन तीन तारीखों पर जन्मे लोगों पर शनि देव रहते हैं मेहरबान, दुनिया जीतने का रखते हैं दम

सूर्य ग्रहण के दौरान क्या करें क्या नहीं? | Do n Donts of Surya grahan

अगला लेख