केतु ग्रह की शुभता के लिए प्रस्तुत है मंत्र और उपाय ...
एकाक्षरी बीज मंत्र- 'ॐ कें केतवे नम:।'
तांत्रिक मंत्र- 'ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम:।'
जप संख्या- 17,000 (17 हजार)।
(कलियुग में 4 गुना जाप एवं दशांश हवन का विधान है।)
दान सामग्री- काला वस्त्र, काले तिल, लहसुनिया, कंबल, सुगंधित तेल, उड़द, कालीमिर्च, सप्त धान्य, लोहा, छाता।
(उक्त सामग्री को वस्त्र में बांधकर उसकी पोटली बनाएं तत्पश्चात उसे मंदिर में अर्पण करें अथवा बहते जल में प्रवाहित करें।)
दान का समय- रात्रि।
हवन हेतु समिधा- कुशा।
औषधि स्नान- रक्त चंदन मिश्रित जल से।
अशुभ प्रभाव कम करने हेतु अन्य उपयोगी उपाय।
* काले या चितकबरे कुत्ते को दूध-रोटी खिलाएं।
* पक्षियों को 7 प्रकार का अनाज चुगने के लिए डालें।
* बुधवार को प्याज व लहसुन बहते जल में प्रवाहित करें।
* 5 कील, चूने के 5 पत्थर, काले-सफेद रंग मिश्रित वस्त्र में बांधकर अपने ऊपर से उतारकर बहते जल में प्रवाहित करें।
* भिखारियों को कंबल दान करें।
* बकरा/ बकरी दान करें।
* केतु यंत्र को अष्टधातु के पत्र पर उत्कीर्ण करवाकर नित्य उसकी पूजा करें।
नोट : इस लेख में व्यक्त विचार/विश्लेषण लेखक के निजी हैं। इसमें शामिल तथ्य तथा विचार/विश्लेषण वेबदुनिया के नहीं हैं और वेबदुनिया इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
साभार : ज्योतिष : एक रहस्य