अयोध्या। नरेंद्र मोदी भारत के पहले प्रधानमंत्री होंगे, जो रामलला के दरबार में उपस्थित हो रहे हैं। बतौर प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और अटलबिहारी वाजपेयी का अयोध्या आना तो हुआ पर रामलला के दर्शन का संयोग नहीं बना।
मोदी 5 अगस्त को प्रधानमंत्री रहते न सिर्फ रामलला का दर्शन-पूजन करेंगे बल्कि जन्मभूमि पर राम मंदिर निर्माण की आधारशिला भी रखेंगे। उन्होंने प्रधानमंत्री बनने के पहले भी रामलला के दर्शन किए थे। जनवरी 1992 में वे तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष डॉ. मुरलीमनोहर जोशी के साथ अयोध्या आए थे और उनके साथ दर्शन-पूजन किया था।
इससे पहले 9 नवंबर 1989 को राजीव गांधी के प्रधानमंत्री काल में जन्मभूमि पर रामलला के मंदिर के लिए शिलान्यास हुआ था, लेकिन राजीव गांधी अयोध्या नहीं आए थे, बल्कि दिगंबर अखाड़ा के महंत रामचंद्र दास परमहंस गोरक्ष पीठ के तत्कालीन महंत अवैद्यनाथ, विहिप के शीर्ष नेता अशोक सिंघल और कामेश्वर चौपाल आदि ने मंदिर के लिए शिलान्यास किया था।
जहां तक मोदी की बात है वे 2009-2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां सभा कर चुके हैं। उस वक्त वे जन्मभूमि नहीं आए थे। स्वर्गीय इंदिरा गांधी भी अयोध्या आईं, लेकिन रामलला के दर्शन के लिए नहीं गई थीं। 1966 में वे सरयू के पुराने पुल का उद्घाटन करने अयोध्या आई थीं। उसके बाद 1975 में वे आचार्य नरेंद्रदेव प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का शिलान्यास करने अयोध्या आई थीं।
वहीं विपक्ष के नेता के तौर पर भी राजीव गांधी यहां आए थे। 1984 और 89 में चुनावी सभा को संबोधित करने यहां आए थे, उसके बाद 1990 में सद्भावना यात्रा में उनका आना हुआ था, लेकिन उन्होंने रामलला का दर्शन-पूजन नहीं किया था। हालांकि 2016 में राहुल गांधी और 2019 में प्रियंका वाड्रा यहां आए थे और हनुमानगढ़ी जाकर बजरंगबली के दर्शन किए थे।
अटलबिहारी वाजपेयी बतौर प्रधानमंत्री यहां दो बार आए थे। 2002 में मंदिर आंदोलन के मुख्य योद्धा रहे रामचंद्र परमहंस के स्वर्गवास पर वे अयोध्या आए।
उन्होंने परमहंस को श्रद्धांजलि देते हुए कहा था कि परमहंस का सपना पूरा होगा। इसके बाद 2004 में उन्होंने हवाई अड्डे पर चुनावी सभा को संबोधित किया था तब भी दोहराया था कि परमहंसजी का सपना पूरा होगा, लेकिन उन्होंने रामलला और बजरंगबली के दर्शन नहीं किए थे।