क्या भारत बांग्लादेश को संकट से निपटने में मदद कर सकता है?

BBC Hindi
बुधवार, 7 अगस्त 2024 (07:54 IST)
सौतिक बिस्वास, बीबीसी न्यूज़
बांग्लादेश की सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहीं शेख़ हसीना के नाटकीय ढंग से इस्तीफ़ा देने के बाद सीधे भारत आने से दोनों मुल्कों के संबंधों की गहराई भी सामने आई है। शेख़ हसीना ने 17 करोड़ की आबादी वाले बांग्लादेश में क़रीब 15 साल तक सरकार चलाई है।
 
हालांकि, सरकारी नौकरी में आरक्षण हटाने की मांग को लेकर विरोध कर रहे छात्रों का आंदोलन व्यापक और हिंसा में तब्दील होने के बाद शेख़ हसीना को पद और देश दोनों छोड़ने पड़े हैं। अभी तक पुलिस और सरकार-विरोधी प्रदर्शनकारियों में हुई झड़प में कम से कम 280 लोगों की जान जा चुकी है। इसी साल जून महीने में शेख़ हसीना दो सप्ताह के भीतर दो बार भारत दौरे पर आई थीं।
 
पहले वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथग्रहण समारोह में हिस्सा लेने आई थीं। इसके बाद शेख़ हसीना दो दिवसीय आधिकारिक दौरे पर भारत आईं। पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल के शुरू होने के बाद शेख़ हसीना भारत का दौरा करने वाली पहली विदेशी नेता थीं।
 
इस दौरे के बाद संयुक्त प्रेस कॉन्फ़्रेंस में पीएम मोदी ने कहा था, "बीते एक साल में हम 10 बार मिले हैं। हालांकि, ये मुलाक़ात ख़ास है क्योंकि हमारी सरकार के तीसरे कार्यकाल में शेख़ हसीना पहली मेहमान हैं।"
 
इसी मैत्रीपूर्ण लहजे में शेख़ हसीना ने कहा, "भारत के साथ संबंध बांग्लादेश के लिए बेहद अहमियत रखते हैं। हमने क्या किया है और आगे क्या योजनाएं हैं ये देखने के लिए बांग्लादेश आइए।"
 
भारत और बांग्लादेश की 'स्पेशल दोस्ती'
भारत का बांग्लादेश के साथ हमेशा से एक ख़ास नाता रहा है। दोनों पड़ोसी मुल्कों के बीच 4 हज़ार 96 किलोमीटर लंबी सीमा है। लेकिन दोनों के भाषाई, आर्थिक और सांस्कृतिक हित भी एक से हैं।
 
कभी पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाने वाला बांग्लादेश, साल 1971 में पाकिस्तान में हुई जंग के बाद एक अलग देश बना। इस जंग में बांग्लादेश को भारत का साथ मिला था। दोनों देशों के बीच 16 अरब डॉलर यानी करीब 1342 अरब रुपये का कारोबार है। एशिया में भारत के सबसे अधिक आयात करने वालों में बांग्लादेश शीर्ष पर है।
 
हालांकि, इन सबके बावजूद दोनों देशों के रिश्ते 'परफ़ेक्ट' नहीं कहे जा सकते। चीन के साथ बांग्लादेश की क़रीबी ने कई बार उसके और भारत के बीच मतभेद पैदा किए हैं। इसके अलावा सीमा सुरक्षा, पलायन जैसे मुद्दों पर अलग-अलग रुख़ और कुछ बांग्लादेशी अधिकारियों की मोदी सरकार की हिंदू राष्ट्रवादी राजनीति को लेकर असहजता भी समय-समय पर सामने आती रही है।
 
शेख़ हसीना के इस्तीफ़े के बाद बांग्लादेश आर्मी चीफ़ वक़ार-उज़-ज़मां ने देश में अंतरिम सरकार के गठन की बात कही। वह इसको लेकर राष्ट्रपति मोहम्मद शाहबुद्दीन से मिलेंगे।
 
कई मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अगुवाई में विपक्षी दलों से वार्ता के बाद आज इस पर अंतिम फ़ैसला ले लिया जाएगा। हालांकि, अंतरिम सरकार का चेहरा कौन होगा, इस पर अभी भी कोई स्पष्टता नहीं है।
 
बांग्लादेश पर अब तक चुप क्यों भारत?
अभी तक भारत ने हिंसक प्रदर्शनों को बांग्लादेश का 'घरेलू मामला' बताया है। लेकिन क्या भारत तेज़ी से बदलते घटनाक्रम के बीच कोई और बयान देगा या कोई क़दम उठाएगा?
 
भारतीय विदेश नीति के जानकार हैपीमॉन जैकब ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर इस बारे में लिखा, "कुछ भी नहीं। फ़िलहाल तो नहीं। अभी भी परतें खुल रही हैं और ये भारत के बारे में नहीं है, ये तो बांग्लादेश की राजनीति के बारे में है। इसलिए उन्हें ही इस मसले को सुलझाने दें।"
 
अमेरिकी थिंक-टैंक विल्सन सेंटर के माइकल कुगलमैन का मानना है कि हसीना का इस्तीफ़ा देना और देश छोड़ना "भारत के लिए बहुत बड़े झटके जैसा है क्योंकि वह (भारत) लंबे समय से शेख़ हसीना या उनकी पार्टी के किसी भी विकल्प को भारतीय हितों के लिए ख़तरे के तौर पर देखता आया है।"
 
कुगलमैन ने बीबीसी से कहा कि भारत जल्द ही बांग्लादेश की सेना से संपर्क कर के उसे अपनी चिंताओं से अवगत करा सकता है। भारत को ये भी उम्मीद रहेगी कि अंतरिम सरकार के गठन में उसके हितों को भी ध्यान में रखा जाए।
 
वह कहते हैं, "इसके अलावा भारत को बस अब इंतज़ार करना होगा और आगे की स्थिति पर नज़र रखनी होगी। हो सकता है कि वह स्थिरता के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी चुनावों को समर्थन दे लेकिन वह किसी भी सूरत में बीएनपी की सत्ता में वापसी नहीं चाहेगा। फिर वह पहले से कमज़ोर और बंटे हुए दल के तौर पर ही वापसी क्यों न करे। ये ऐसी वजह है, जिसके लिए भारत पड़ोसी देश में लंबे समय तक अंतरिम सरकार चलने का भी विरोध नहीं करेगा।"
 
शेख़ हसीना के अचानक हुए इस पतन ने उनके सहयोगियों को भी मुश्किल स्थिति में डाल दिया है। बांग्लादेश के संस्थापक की बेटी शेख़ हसीना दुनिया में किसी भी देश के सर्वोच्च नेता के पद पर सबसे लंबे समय तक रहने वाली महिला भी हैं। शेख़ हसीना क़रीब 15 सालों तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रही हैं।
 
इस दौरान बांग्लादेश दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में रहा है और अन्य दक्षिण एशियाई देशों की तुलना में यहां लोगों का जीवनस्तर भी काफ़ी बेहतर हुआ है।
 
लेकिन उनके शासन पर विपक्षियों के दमन, विरोधी आवाज़ों के लापता होने, ग़ैर-न्यायिक हत्याओं जैसे आरोप भी झेलने पड़े हैं। शेख़ हसीना और उनकी पार्टी आवामी लीग ने इन आरोपों को ख़ारिज किया है। उनकी सरकार ने विपक्षी दलों पर विरोध प्रदर्शनों को बल देने का आरोप लगाया है।
 
बांग्लादेश में भारत विरोधी भावनाएं
इसी साल जनवरी में शेख़ हसीना लगातार चौथी बार चुनाव जीतीं। हालांकि, ये बांग्लादेश का विवादित आम चुनाव था। विपक्षी दल बीएनपी ने इसका बहिष्कार किया था और चुनाव में धांधली, बड़े पैमाने पर विपक्षियों की गिरफ़्तारी जैसे आरोप भी लगे थे।
 
बांग्लादेश में भारत विरोधी भावनाओं की जड़ें कुछ हद तक शेख़ हसीना सरकार को भारत के समर्थन की वजह से भी है। आलोचकों की नज़र में ये भारत का बांग्लादेश की घरेलू राजनीति में दख़लअंदाज़ी करने जैसा है।
 
इलिनॉई स्टेट यूनिवर्सिटी में बांग्लादेशी-अमेरिकी पॉलिटिकल साइंटिस्ट अली रियाज़ ने बीबीसी को बताया कि इस पूरे मामले पर भारत की चुप्पी 'हैरान करने वाली नहीं है क्योंकि पिछले 14 साल से वह शेख़ हसीना सरकार को समर्थन देने वाला सबसे बड़ा देश था और असल में उसने बांग्लादेश से लोकतंत्र को कमज़ोर करने में योगदान दिया है।'
 
वह कहते हैं, "शेख़ हसीना सरकार को मिले इस आपार समर्थन की वजह से ही वह मानवाधिकार हनन के आरोपों के बावजूद दबाव में नहीं आईं। इसके एवज़ में भारत को आर्थिक मोर्चे पर फ़ायदा हुआ और उसकी नज़र में बांग्लादेश में अपना प्रभाव बनाए रखने के लिए शेख़ हसीना की सरकार ही एकमात्र ज़रिया थी।"
 
बांग्लादेश का मौजूदा विपक्षी दल और उसके सहयोगियों को भारत 'ख़तरनाक इस्लामी ताक़तों' के तौर पर देखता है। शेख़ हसीना सरकार ने अपनी ज़मीन पर भारत-विरोधी चरमपंथियों पर कार्रवाई की और बांग्लादेश से सीमा साझा करने वाले भारत के पाँच राज्यों के ज़रिए सुरक्षित व्यापार मार्ग को भी मंज़ूरी दी।
 
भारत के पूर्व विदेश सचिव और बांग्लादेश में उच्चायुक्त रह चुके हर्षवर्द्धन श्रृंगला ने शेख़ हसीना के इस्तीफ़े से चंद घंटों पहले ही बीबीसी से कहा था, "एक शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध बांग्लादेश भारत के हित में है। इस स्थिति को बनाए रखने के लिए भारत को हर संभव प्रयास करना चाहिए।"
 
फ़िलहाल स्थिति अनिश्चितताओं से घिरी है। एक वरिष्ठ राजनयिक ने बीबीसी से कहा, "इस वक़्त भारत के पास बहुत ज़्यादा विकल्प नहीं हैं। हमें अपनी सीमाओं पर कड़ा नियंत्रण करना होगा। इसके अलावा कुछ भी दखलअंदाज़ी करना माना जाएगा।"
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Chandrayaan-3 को लेकर ISRO का बड़ा खुलासा, क्या सच होगा आशियाने का सपना

Disha Salian Case से Maharashtra में सियासी भूचाल, अब नारायण राणे का बयान, उद्धव ठाकरे का 2 बार आया कॉल

Airlines ने लंदन हीथ्रो Airport पर फिर शुरू कीं उड़ानें, आग लगने से 18 घंटे बाधित था परिचालन

नागपुर हिंसा पर CM फडणवीस का नया बयान, दंगाइयों से होगी नुकसान की वसूली, नहीं चुकाने पर चलेगा बुलडोजर

Microsoft और Google को टक्कर देने की तैयारी में मोदी सरकार, बनाएगी Made in India वेब ब्राउजर

सभी देखें

मोबाइल मेनिया

48MP के AI कैमरे के साथ iPhone 16e को टक्कर देने आया Google का सस्ता स्मार्टफोन

Realme P3 5G : 6000mAh बैटरी वाला सस्ता 5G स्मार्टफोन, पानी में डूबने पर नहीं होगा खराब

Samsung के अब तक सबसे सस्ते स्मार्टफोन लॉन्च, साथ ही खरीदी पर धमाकेदार ऑफर्स भी

क्या वाकई सबसे सस्ता है iPhone 16E, जानिए क्या है कीमत

सस्ते Realme P3 Pro 5G और Realme P3x 5G हुए लॉन्च, जानिए फीचर्स

अगला लेख