वुहान समेत ख़ूबे प्रांत के अधिकतर इलाक़ों में फैले कोरोना वायरस के कारण स्वास्थ्य कर्मियों ने 40 से ज्यादा मौतों और 1,287 लोगों के इससे पीड़ित होने की पुष्टि की है।
वहीं, चीन में लूनर न्यू ईयर का जश्न शुरू हो गया है लेकिन इस वायरस के कारण कई कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं। वायरस की चपेट में आने के चलते वुहान शहर में एक नया अस्पताल बनाया जा रहा है। इस वायरस के यूरोप तक फैलने की भी ख़बर है। फ़्रांस में इस वायरस से तीन लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि हुई है।
ख़ूबे प्रांत में यात्रा करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है जिसके कारण 10 शहरों में कम से कम 2 करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं। भारत में अभी तक इससे किसी के संक्रमित होने की कोई ख़बर नहीं है।
कई भारतीय वुहान में रहते हैं जिनको यात्रा प्रतिबंधों के कारण दिक़्क़तों का सामना करना पड़ रहा है। बीबीसी संवाददाता गगन सबरवाल ने कुछ भारतीय छात्रों से फ़ोन और वीडियो लिंक के ज़रिए बात की जिन्होंने शहर के हालात के बारे में बताया।
अधिकतर भारतीय छात्रों में घबराहट
ऐसे ही एक छात्र चॉन्गथेम पेपे बिफ़ोजीत हैं। बिफ़ोजीत वुहान में बीते दो सालों से पढ़ाई कर रहे हैं और वुहान यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी से मैनेजमेंट में मास्टर्स कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह स्थिति पूरी तरह स्थिर थी लेकिन बीते 2-3 दिनों से चीज़ें काफ़ी बदल गई हैं। वो कहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय छात्र होने के नाते वो परेशान और घबराए हुए हैं।
वो कहते हैं कि उन्होंने आज तक ऐसी स्थिति नहीं देखी है और उनकी यूनिवर्सिटी एवं स्थानीय प्रशासन अच्छा है, वो सभी को उपचार और स्वास्थ्य को लेकर सलाह दे रहा है। उनका विश्वविद्यालय हर रोज़ सभी छात्रों का शारीरिक तापमान चेक कर रहा है और मुफ़्त में मास्क दे रहा है। ज़रूरत के लिए विश्वविद्यालय का अपना अस्पताल और एंबुलेंस भी है।
हर घंटे हाथ धोएं छात्र
छात्रों को सलाह दी गई है कि वो हर घंटे अपने हाथ धोएं और बाहर खाना खाने से बचें। साथ ही अपने कमरे से बाहर निकलते समय उनको मास्क पहनने के भी आदेश हैं।
बाज़ार और सड़कें सूनी हैं और उन्हें समझ नहीं आ रहा कि यह चीनी नए साल के कारण है या वायरस के कारण। सबवे, मेट्रो बंद हैं और ट्रेन एवं फ़्लाइट को रद्द कर दिया गया है। सभी छात्र अपने कमरों में हैं और सिर्फ़ अपने बगल वाले दोस्तों के कमरों में जा रहे हैं। उनका कहना है कि सभी ठीक हैं लेकिन थोड़ा डरे हुए हैं, इसके साथ ही ज़रूरत की सभी चीज़ें मुहैया कराई जा रही हैं।
अधिकतर मेडिकल छात्र
इसी तरह से एक सौरभ शर्मा नामक छात्र हैं जो 17 जनवरी को वुहान पहुंचे। उसी समय इस वायरस के बारे में पता चला था लेकिन तब इस वायरस को फैले सिर्फ़ शुरुआती दिन हुए थे। वो वुहान में पढ़ते हैं और मैनेजमेंट में पीएचडी कर रहे हैं। सौरभ चीन में ढाई सालों से रह रहे हैं।
वो कहते हैं वुहान में बहुत अधिक संख्या में भारतीय छात्र समुदाय है और अधिकतर मेडिकल के छात्र हैं। वो वुहान यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी में पढ़ते हैं।
उन्होंने लोगों को मास्क पहने हुए देख रहे हैं और उनके विश्वविद्यालय ने भी छात्रों से कहा है कि वो कमरे के अंदर ही रहें और अगर संभव हो तो मास्क पहनें। उन्होंने कहा कि शुरुआती दिनों में उन्होंने लोगों को घबराते हुए नहीं देखा था।
उन्होंने यह भी बताया कि उनके विश्वविद्यालय ने हर छात्र को कहा है कि वो अपने हॉस्टल के रिसेप्शन पर बताकर जाएं कि वो कहां जा रहे हैं और कब तक लौटेंगे। वायरस के बारे में पता चलने के बाद उनके विश्वविद्यालय की कैंटीन में मांसाहारी खाना देना बंद कर दिया गया है।
वुहान में उनके दोस्तों को भी कमरों में रहने के लिए कहा गया है और ज़रूरत पड़ने पर ही हॉस्टल या डॉर्मेटरी छोड़ने को कहा है।
चीनी नया साल होने के कारण छात्रों ने संयोग से हर साल की तरह अपने कमरों में खाना इकट्ठा कर लिया था क्योंकि इन दिनों में खाना मिलना मुश्किल होता है। उनके दोस्त उसी खाने पर निर्भर हैं।
भारतीय दूतावास भी है संपर्क में
देबेश मिश्रा वुहान में बीते चार सालों से रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। वो कहते हैं कि अभी शहर वीरान हो गया है और पिछले 2-3 दिनों से बारिश हो रही है। लोगों को मास्क और दस्ताने पहने देखा जा सकता है।
कुछ दुकानों को ही खुला देखा जा सकता है। पिछले साल की तरह यह चीनी नववर्ष उत्सव के रूप में नहीं मनाया जा रहा है। वो कहते हैं कि यह उदासी भरा है और अधिकतर लोग शहर के बाहर जा चुके हैं।
उनकी तरह कई भारतीय छात्र डरे हुए हैं और बाहर जाने से बच रहे हैं। वो हर घंटे अपने हाथ और मुंह धो रहे हैं और नियमित रूप से सेनिटाइज़र्स इस्तेमाल कर रहे हैं। उनके विश्वविद्यालय ने भी उन्हें सार्वजनिक जगहों पर जाने से बचने को और मास्क पहनने को कहा है। भारत में उनका परिवार परेशान है और देबेश को नहीं पता है कि उन्हें वुहान छोड़कर भारत जाने की कब अनुमति मिलेगी।
भारतीय दूतावास यह देख रहा है कि वो भारतीय छात्रों को वुहान से कैसे बाहर निकाल सकता है। अधिकतर शहर पूरी तरह लॉकडाउन हैं।
बीते तीन दिनों से सभी कमरों के अंदर हैं और वॉट्सअप और दूसरे ऑनलाइन माध्यमों से न्यूज़ प्राप्त कर रहे हैं। वो अपने शोध पर काम कर रहे हैं जिसके कारण वो कहीं नहीं जा सकते। उनको लग रहा था कि वो कल भारत जा पाएंगे लेकिन उनकी फ़्लाइट रद्द हो गई। बाकी लोगों की तरह वो भी अनिश्चितताओं से डरे हुए हैं।
चीनी प्रशासन की छात्र कर रहे तारीफ़
मोनिका सेतुरमन चेन्नई से हैं और वुहान में पढ़ती हैं। वो कहती हैं कि वुहान 500 भारतीय छात्रों का घर है और 173 छात्र यहां फंसे हुए हैं। वो अपने कमरों और डोर्मेटरी में बंद हैं। वो कहती हैं कि वायरस ने एक तबाही सी मचाही दी है और लूनर चीनी नए साल के समय ऐसा होना दुखी करने वाला है।
इस तरह का लॉकडाउन जानलेवा वायरस के लिए अच्छा है। उनके विश्वविद्यालय और चीनी सरकार द्वारा उठाए गए एहतियाती उपाय सराहनीय है। वो कहती हैं कि उन्हें मास्क, दस्ताने और सेनिटाइज़र्स दिए गए हैं।
उनके पास दो सप्ताह का खाने का सामान है और उन्हें उम्मीद है कि यह जल्दी ठीक हो जाएगा। वो कहती हैं कि 173 छात्र अपने कमरों में हैं और अपने परिवारों और भारतीय दूतावास के संपर्क में हैं। मोनिका कहती हैं कि वो सभी की शुक्रगुज़ार हैं और सभी से वुहान और उनके लिए प्रार्थना करने के लिए कहती हैं।
दीदेश्वर मयूम मणिपुर के रहने वाले हैं और वुहान यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी में पढ़ते हैं। वो कहते हैं कि उन्हें भी हॉस्टल में रहने और मास्क पहनने के लिए कहा गया है।
मयूम कहते हैं कि त्योहर के मौसम में ऐसी उदासी निराशाजनक है और मालूम नहीं है कि यह कब तक चलेगा। लेकिन उन्हें उम्मीद है कि कमरे और डोर्मेटरी में रहने से मदद मिलेगी।