जनरल बिपिन रावत: हेलिकॉप्टर हादसे के चश्मदीद ने क्या-क्या देखा

BBC Hindi
गुरुवार, 9 दिसंबर 2021 (08:01 IST)
"मैंने अपनी आंखों से सिर्फ़ एक आदमी को देखा। वो जल रहे थे और फिर वो नीचे गिर गए। मैं हिल गया।" ये जानकारी कृष्णास्वामी ने दी। वो बुधवार को हुए उस हेलिकॉप्टर हादसे के प्रत्यक्षदर्शी हैं, जिसमें देश के पहले चीफ़ ऑफ़ डिफेंस स्टॉफ़ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत की मौत हो गई।
 
इस हादसे में जनरल रावत की पत्नी मधुलिका रावत और हेलिकॉप्टर में सवार रहे 11 अन्य लोगों की भी मौत हो गई। हादसे में जीवित बचे इकलौते शख्स हैं ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह। उनका इलाज चल रहा है।
 
वायुसेना ने बताया है कि हादसे के कारणों की जांच की जा रही है हादसे के गवाह रहे कृष्णास्वामी 68 साल के हैं। जहां हादसा हुआ, वो उस जगह के क़रीब रहते हैं। उन्होंने पूरी घटना को बयान किया।
 
प्रत्यक्षदर्शी ने क्या देखा?
उन्होंने बताया, "मेरा नाम कृष्णास्वामी है। मैं नानजप्पा सैथिराम का रहने वाला हूं। मैं घर के लिए लकड़ी लेने निकला था। घर में पानी नहीं था क्योंकि पाइप टूटा हुआ था। चंद्रकुमार और मैं इसकी मरम्मत कर रहे थे। तभी हमें ज़ोर की आवाज़ सुनाई दी।"
 
वो आगे बताते हैं, "धमाके से बिजली के खंबे तक हिल गए। पेड़ उखड़ गए। जब हमने देखा कि ये क्या हुआ तब धुआं उठ रहा था, जिसने सारे इलाके को ढक लिया था। वहां धुंध भी छाई थी। पेड़ के ऊपर आग की लपटें उठ रही थीं। मैंने अपनी आंखों से सिर्फ़ एक आदमी को देखा। वो जल रहे थे और फिर वो नीचे गिर गए। मैं हिल गया। मैं दौड़ता हुआ वापस आया और मैंने लोगों से कहा कि वो दमकल और पुलिस को बुलाएं। कुछ देर बाद अधिकारी भी आ गए। उसके बाद मैंने शव को ले जाते नहीं देखा। मैं सदमें था। घर आया और लेट गया।"
 
आखिरी सफ़र
जनरल रावत और उनकी पत्नी समेत 14 लोग भारतीय वायु सेना के एमआई-17वी5 (Mi-17V5) हेलिकॉप्टर में सवार थे। ये हेलिकॉप्टर तमिलनाडु के कुन्नूर में क्रैश हो गया। ये हेलिकॉप्टर सुलुर के आर्मी बेस से निकला था और जनरल रावत को लेकर वेलिंगटन सैन्य ठिकाने की ओर बढ़ रहा था।
 
पहले सीडीएस
जनरल बिपिन रावत को 31 दिसंबर 2019 को भारत का पहला सीडीएस नियुक्त किया गया था और उन्होंने 1 जनवरी 2020 को कार्यभार संभाला।
 
बतौर सीडीएस जनरल रावत की ज़िम्मेदारियों में भारतीय सेना के विभन्न अंगों में तालमेल और सैन्य आधुनिकीकरण जैसी महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारियां शामिल थीं।
 
जनरल रावत इससे पहले भारतीय सेना के प्रमुख रह चुके थे। वे 31 दिसंबर 2016 से 1 जनवरी 2017 तक भारत के 26 वें थल सेना प्रमुख रहे।
 
पिता थे लेफ़्टिनेंट जनरल
जनरल रावत का जन्म 16 मार्च 1958 को उत्तराखंड के पौड़ी ज़िले में एक सैन्य परिवार में हुआ। उनके पिता सेना में लेफ़्टिनेंट जनरल थे।
 
भारतीय सेना की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार जनरल रावत 1978 में सेना में शामिल हुए थे। शिमला के सेंट एडवर्ड्स स्कूल से पढ़ाई के बाद उन्होंने खड़कवासला के नेशनल डिफ़ेंस एकेडमी में सैन्य प्रशिक्षण लिया था।
 
देहरादून की इंडियन मिलिट्री एकेडमी से ट्रेनिंग के बाद वे 11वीं गोरखा राइफ़ल्स टुकड़ी की पाँचवीं बटालियन में सेकंड लेफ़्टिनेंट बनाए गए। गोरखा ब्रिगेड से सेना के सर्वोच्च पद पर पहुँचने वाले वो चौथे अफ़सर थे।
 
चार दशक से लंबे सैन्य जीवन में जनरल रावत को सेना में बहादुरी और योगदान के लिए परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, सेना मेडल और विशिष्ट सेवा मेडल के अलावा और कई प्रशस्तियों से सम्मानित किया गया।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

8 बार डाला वोट, वायरल वीडियो पर अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग से पूछा सवाल

कब तक पड़ेगी भीषण गर्मी, कितने दिन झेलनी होगी लू की तपिश, IMD ने दी जानकारी

अब CISF करेगी संसद की सुरक्षा, कल से संभालेगी कमान

PM मोदी बोले- सामाजिक और धार्मिक संगठनों को धमका रहीं ममता बनर्जी, TMC लांघ रही शालीनता की हदें

टूरिस्टों पर हमले से चिंता में कश्मीरी, पाकिस्तान को रास नहीं आ रही पर्यटकों की बाढ़

50MP कैमरा, 5000mAh बैटरी के साथ भारत में लॉन्च हुआ Motorola Edge 50 Fusion, जानिए क्या है कीमत

iQOO Z9x 5G : लॉन्च हुआ सबसे सस्ता गेमिंग स्मार्टफोन, धांसू फीचर्स

Realme का सस्ता 5G स्मार्टफोन, रोंगटे खड़े कर देंगे फीचर्स, इतनी हो सकती है कीमत

15000 में दुनिया का सबसे पतला स्मार्टफोन, 24GB तक रैम और 60 दिन चलने वाली बैटरी

53000 रुपए की कीमत का Google Pixel 8a मिलेगा 39,999 रुपए में, जानिए कैसे

अगला लेख