नीला गमछा, लाल टोपी और मायावती-मुलायम: मैनपुरी रैली की आंखोंदेखी

Webdunia
-समीरात्मज मिश्र, मैनपुरी से
मैनपुरी में शुक्रवार को हुई गठबंधन की संयुक्त रैली में गहरे नीले रंग की साड़ी पहने बहुजन समाज पार्टी की एक महिला स्वयंसेवक ने आगे की पंक्ति में समाजवादी पार्टी के झंडे का गमछा पहने एक युवक के कंधे पर डंडे से छूकर उसे बैठने का इशारा किया। युवक ने पीछे मुड़कर देखा, मुस्कराया और फिर चुपचाप अपनी जगह बैठ गया।
 
पास खड़े कुछ पत्रकारों को ये समझने में देर नहीं लगी कि गठबंधन के लिए दोनों दलों के दिल चाहे जिस वजह से मिले हों, लेकिन मिले ज़रूर हैं, न सिर्फ़ ऊपर के नेताओं के स्तर पर बल्कि ज़मीनी कार्यकर्ताओं के स्तर पर भी। रैली का समय दोपहर साढ़े बारह बजे का निर्धारित था, लेकिन दस बजे तक क्रिश्चियन कॉलेज मैदान में काफ़ी भीड़ जमा हो गई थी।
 
पास के ही एक गांव से कुछ महिलाएं एक साथ आई थीं। उनमें से राजमती का कहना था, "माया-मुलायम में जो झगड़ा था, वो ख़त्म हो गया। अब तो गठबंधन हो गया, इसका मतलब सब ख़त्म। बहिन जी ख़ुद नेता जी ख़ातिर वोट मांगने आ रही हैं।"
 
क़रीब दो घंटे बाद मंच पर बीएसपी नेता मायावती ने भी कहा कि गेस्ट हाउस कांड के बावजूद, देश हित में उन्होंने समाजवादी पार्टी से हाथ मिलाया है और मुलायम सिंह के लिए वोट मांगने आईं हैं।
 
वहीं, शहर में एक मोटर पार्ट्स की दुकान के मालिक राजवीर कहते हैं, "देश के लिए ये ज़रूरी है कि गठबंधन हो और गठबंधन में दोनों दलों के कार्यकर्ता एक-दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलाकर रहे हैं।"
 
गठबंधन के नेताओं और उन्हें सुनने आए उनके प्रशंसकों और कार्यकर्ताओं की बातों से ये साफ़ था कि गठबंधन के नेता उन्हें जो संदेश देना चाहते थे और गठबंधन करने की जो वजह बताना चाहते थे, वो बताने में क़ामयाब रहे हैं। लेकिन बात सिर्फ़ यहीं तक नहीं है, उससे आगे भी है।
 
सपा-बसपा में गठबंधन होने और फिर कई चुनावी रैलियों के बावजूद ये अंदेशा बना हुआ था कि क्या मैनपुरी में मायावती और मुलायमसिंह यादव एक मंच पर और एक साथ दिखेंगे और दिखेंगे तो दोनों के हाव-भाव क्या होंगे, एक-दूसरे का सामना कैसे करेंगे, इत्यादि। लेकिन शुक्रवार को दोनों मंच पर दिखे भी, मिले भी और दोनों के कार्यकर्ता ये देखकर खुशी से उछल भी पड़े।
 
रैली में आए लोग ज़्यादातर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी दोनों के ही झंडे लिए थे। कुछ ने गले में गमछा समाजवादी पार्टी के झंडे का पहना था तो टोपी समाजवादी पार्टी की लगा रखी थी तो कुछ ने इसका उल्टा।
 
लोग सपा-बसपा, मायावती-अखिलेश और बीच-बीच में मुलायमसिंह के लिए भी नारे लगा रहे थे। यानी ज़मीन पर कार्यकर्ताओं की ओर से ये जताने की भरपूर कोशिश हो रही थी कि सपा और बसपा पूरी तरह से हाथ मिला चुके हैं और अब उन्हें कोई अलग नहीं कर सकता।
 
आशंकाएं ये भी थीं कि क्या मायावती मुलायमसिंह यादव के लिए वोट मांगेंगी, बावजूद इसके कि 1995 में गेस्ट हाउस कांड का खलनायक वो मुलायमसिंह यादव, उनके परिवार और उनकी पार्टी को ही मानती हैं। रैली में मायावती ने न सिर्फ़ मुलायमसिंह के लिए वोट मांगा बल्कि उनकी तारीफ़ भी की और गेस्ट हाउस जैसा कांड भूलने की वजह भी बताई।
 
मायावती ने मुलायमसिंह यादव और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना करते हुए असली और नकली पिछड़े वर्ग का एक नया विमर्श भी खड़ा कर दिया। उनका कहना था, "मुलायम सिंह यादव ही पिछड़े वर्ग के असली नेता हैं क्योंकि वो ख़ुद पिछड़े वर्ग के हैं, नरेंद्र मोदी की तरह नकली और फ़र्ज़ी नहीं।"
 
मैनपुरी में मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी की ओर से चुनाव लड़ रहे हैं और बसपा उनका समर्थन कर रही है। मुलायम सिंह यादव पिछली बार भी यहां क़रीब साढ़े तीन लाख मतों से जीते थे लेकिन बाद में उन्होंने आज़मगढ़ सीट से ही सांसद बनने का फ़ैसला किया और ये सीट छोड़ दी।
 
मुलायम सिंह यादव मैनपुरी से पांच बार चुनाव जीत चुके हैं और 1996 से अब तक लोकसभा के सभी चुनाव इस सीट से उन्हीं की पार्टी ने जीता है। स्थानीय लोगों के मुताबिक़ इस बार मुलायम सिंह अपना आख़िरी चुनाव बता रहे हैं इसलिए उनके प्रति लोगों की सहानुभूति भी है, बावजूद इसके मुलायम सिंह ने समर्थन के लिए बसपा नेता मायावती का आभार जताया और उन्हें धन्यवाद दिया।
 
ये अलग बात है कि इस बात को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि मैनपुरी जैसी समाजवादी पार्टी के लिए आसान समझी जाने वाली सीट पर गठबंधन की रैली की ज़रूरत ही क्या थी?
 
कुछ लोग मायावती और मुलायम को एक मंच पर लाने के मक़सद को इसके पीछे देख रहे हैं तो कुछ का ये भी कहना है कि मायावती ख़ुद मुलायम को बहुजन समाज पार्टी के झंडे के नीचे देखना चाहती थीं। ऐसा इसलिए क्योंकि गठबंधन के बावजूद मुलायमसिंह अभी तक किसी भी ऐसे कार्यक्रम में नज़र नहीं आए जहां बीएसपी के झंडे और पोस्टर लगे हों।
 
रैली में मौजूद समाजवादी पार्टी के एक नेता तब तक इस बात को लेकर आशंकित थे कि नेताजी कहीं कुछ 'ऐसा-वैसा' न बोल दें। लेकिन नेताजी यानी मुलायमसिंह यादव ने जब अपना संक्षिप्त भाषण समाप्त किया तो उनके चेहरे पर बने संतोष के भाव देखने लायक़ थे।
 
मुलायम सिंह यादव ने मायावती की जमकर तारीफ़ की और ये भी कहा कि 'उनका एहसान कभी नहीं भूलेंगे।' समाजवादी पार्टी के लोग शायद यही चाहते भी थे कि नेताजी कुछ ऐसा ही बोलें।
 
शुक्रवार को गठबंधन की रैली के दौरान कार्यक्रम स्थल पर जगह-जगह झंडे और बैनर तो दोनों पार्टियों या कहें कि तीनों पार्टियों- राष्ट्रीय लोकदल के भी, नज़र आ रहे थे लेकिन संयुक्त रैली का मंच बिल्कुल नीला दिख रहा था।
 
इस बात की चर्चा वहां मौजूद समाजवादी पार्टी के तमाम कार्यकर्ता भी करते मिले। मंच पर अपनी बात को जल्दी और संक्षिप्त रखने संबंधी अखिलेश को मायावती की हिदायत की चर्चा भी रैली में लोग करते नज़र आए।
 
गठबंधन की संयुक्त रैली में लगे बैनरों और कटआउट्स में राष्ट्रीय लोकदल का भी निशान था और अजीत सिंह की तस्वीर भी लगी थी लेकिन अजीत सिंह मौजूद नहीं थे।
 
रैली में आए बहुजन समाज पार्टी के एक कार्यकर्ता एहसान अली कहने लगे, "उनके आने से कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा। सबको पता है कि आरएलडी भी गठबंधन में है। नेता कहीं और व्यस्त होंगे, इसलिए नहीं आ पाएं होंगे।"
 
रैली में समाजवादी पार्टी से निकले नेता और मुलायम सिंह के भाई शिवपाल सिंह यादव की चर्चा यूं तो किसी ने नहीं की लेकिन पार्टी के ज़्यादातर कार्यकर्ता उनकी ग़ैर-मौजूदगी पर अफ़सोस जता रहे थे। वहीं मायावती के इस वाक्य के भी जमकर मायने तलाशे गए कि 'अखिलेश यादव ही मुलायम सिंह के असली उत्तराधिकारी हैं।'
 
गठबंधन से कई लोग काफ़ी खुश दिख रहे थे। ये उम्मीद जता रहे थे कि इसका पूरे प्रदेश पर असर पड़ेगा। जगह-जगह दोनों पार्टियों के लोग साथ खड़े दिख रहे थे।
 
करहल से राम प्रसाद यादव भी गठबंधन की सफलता को लेकर काफ़ी आशान्वित दिखे, लेकिन उन्हें इस बात का मलाल भी था कि 'जो बहनजी नेताजी को कभी देखना नहीं चाहती थीं और उन्हें हमेशा अपमानित करती थीं, आज नेता जी को उन्हीं बहनजी का स्वागत करना पड़ रहा है।'

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Gold Rate : सस्ता हुआ सोना, कीमतों में 1200 से ज्यादा की गिरावट

भारत को चीन से कोई खतरा नहीं, Sam Pitroda के बयान से Congress का किनारा, BJP ने बताया गलवान के शहीदों का अपमान

Apple का सस्ता मोबाइल, iphone 15 से कम कीमत, मचा देगा तूफान, जानिए क्या होंगे फीचर्स

दिल्ली में आज क्‍यों आया भूकंप, वरिष्‍ठ वैज्ञानिक ने दिया यह जवाब

Vivo V50 price : दमदार AI फीचर्स, 50 MP कैमरा, वीवो का सस्ता स्मार्टफोन मचाने आया धमाल, जानिए फीचर्स

सभी देखें

मोबाइल मेनिया

Apple का सस्ता मोबाइल, iphone 15 से कम कीमत, मचा देगा तूफान, जानिए क्या होंगे फीचर्स

Vivo V50 price : दमदार AI फीचर्स, 50 MP कैमरा, वीवो का सस्ता स्मार्टफोन मचाने आया धमाल, जानिए फीचर्स

Samsung का सबसे सस्ता स्मार्टफोन हो गया लॉन्च, पॉवरफुल हैं फीचर्स

Realme 14 Pro : रियलमी का सस्ता Phone, ठंड में बदलेगा कलर, फीचर्स भी हैं धमाकेदार

पोको ने लॉन्च किए 2 सस्ते स्मार्टफोन Poco X7 Pro 5G और Poco X7 5G, जानिए फीचर्स

अगला लेख