अमेरिका चुनावः ट्रंप ने व्हाइट हाउस छोड़ने से इनकार किया तो बिडेन क्या करेंगे?

Webdunia
मंगलवार, 10 नवंबर 2020 (07:43 IST)
अमेरिका के 244 साल के इतिहास में कभी कोई ऐसा राष्ट्रपति नहीं हुआ जिसने चुनाव हारने के बाद व्हाइट हाउस छोड़ने से इनकार कर दिया हो। क़ानूनी और शांतिपूर्ण तरीके के सत्ता में बदलाव अमेरिकी लोकतंत्र की खूबी रही है।
 
ट्रंप का हार न मानने पर अड़े रहना कई नई चुनौतियां लेकर आ सकता है, अब जानकार इस बात पर विचार कर रहे हैं कि अगर ऐसी चुनौतियां सामने आती हैं, तो क्या कदम उठाए जा सकते हैं।
 
'चुनाव अभी ख़त्म नहीं हुआ'
जब 7 नवंबर को बिडेन के जीतने की ख़बर आई, तब ट्रंप वॉशिंगटन के पास गोल्फ़ खेल रहे थे। ख़बर आने के थोड़ी ही देर बाद उनके कैंपेन की तरफ़ से एक बयान जारी कर कह गया, "चुनाव अभी ख़त्म नहीं हुआ है।"
 
बयान में कहा गया, ""हम सभी जानते हैं कि जो बिडेन खुद को विजेता के रूप में ग़लत तरीके से पेश करने की जल्दी में हैं, उनके मीडिया के सहयोगी उनकी मदद क्यों कर रहे हैं? वे नहीं चाहते कि सच सामने आए।" उन्होंने बिडेन पर धोखाधड़ी के आरोप भी लगाए।
 
जो बिडेन ने 270 से अधिक एलेक्टोरल कॉलेज के वोट जीते हैं, इसलिए उन्हें राष्ट्रपति बनने का अधिकार है। ट्रंप के पास अब क़ानून बहुत कम रास्ते बचे हैं।
 
ट्रंप जो भी आरोप लगा रहे हैं, उनसे जुड़े कोई सबूत वो पेश नहीं कर पाए हैं। अगर कोर्ट उन्हें आरोपों को साबित करने का मौक़ा देती है, तभी उनके लिए कोई गुंजाइश बचेगी। लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो 20 जनवरी को बिडेन नए राष्ट्रपति का कार्यभार संभाल लेंगे।
 
क्या सेना का हो सकता है इस्तेमाल?
11 जून को एक टीवी इंटरव्यू में बिडेन से ये पूछा गया था कि अगर ट्रंप व्हाइट हाउस से निकलने से मना कर देते हैं, तो क्या होगा। इसके जवाब में बिडेन ने कहा था, "इसके बारे में मैंने सोचा है।"
 
उन्होंने कहा था कि उन्हें भरोसा है कि अगर ऐसी स्थिति पैदा होती है, तो सेना ये सुनिश्चित करेगी कि वो राष्ट्रपति न रहें और उन्हें व्हाइट हाउस से बाहर निकाल दिया जाएगा।
 
ये भी कहा जा रहा है कि ऐसी स्थिति में सीक्रेट सर्विस की मदद ली जा सकती है क्योंकि पूर्व राष्ट्रपतियों को सुरक्षा देना भी उनकी ही ज़िम्मेदारी है।
 
बिडेन की जीत के अनुमानों को देखते हुए सीक्रेट सर्विसेस ने उनकी सुरक्षा पहले ही बढ़ा दी है।
 
बीबीसी मुंडो सेवा ने कुछ जानकारों से बात की और समझना चाहा कि क्या ऐसा मुमकिन है कि कोई राष्ट्रपति सुरक्षाबलों में अपने खास लोगों की मदद से कोई अभूतपूर्व परिस्थिति खड़ी कर दे?
 
अमेरिका के ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर डकोटा रसेडिल के मुताबिक, "किसी राष्ट्रपति के लिए चुनाव हार जाने के बाद अपनी ताकतों का ग़लत इस्तेमाल करना बहुत मुश्किल है और समझ से बाहर है।"
 
"अगर ऐसा होता है तो ये देश के लिए, लोगों और सेना के रिश्ते के लिए, दुनिया के लिहाज से और लाकतंत्र के लिए बहुत बुरा होगा।"
 
उनका मानना है कि ट्रंप ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे। उन्होंने इस बात की ओर भी इशारा किया कि अमेरिकी सेना के सबसे बड़े अधिकारी ज्वाइंट चीफ़्स ऑफ़ स्टाफ़ के चेयरमैन जनरल मार्क मिले कई बार कह चुके हैं कि चुनाव में सेना की कोई भूमिका नहीं होगी।
 
केशा ब्लाइन पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर हैं और सामाजिक विरोधों की जानकार हैं। बीबीसी से बात करते हुए उन्होंने कहा, "इस मामले में हमारा सेना की भूमिका के बारे में बातें करना बताता है कि हमारे देश में हालात कितने ख़राब हैं।"
 
वो कहती हैं, "चार साल पहले अमेरिकी इस बारे में सोचते भी नहीं थे, लेकिन ट्रंप द्वारा पोर्टलैंड और वॉशिंगटन में फ़ेडरल एजेंट्स को भेजने (दंगों के समय) के बाद, ये एक चिंता का विषय है। मुझे नहीं लगता है कि इस मामले में ऐसा होगा लेकिन इसकी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।"
 
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक जनरल मिले ने ट्रंप को 1807 इनसरेक्शन एक्ट का इस्तेमाल करने नहीं करने के लिए मनाया था जिसके तहत देशभर में होने वाले विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए सेना का इस्तेमाल किया जा सकता है। ये एक सीमा है जिसे अमेरिकी सेना के कई अधिकारी राष्ट्रपति के आदेश के बाद भी नहीं पार करने की बात करते रहे हैं।"
 
सेना के इनकार करने के बाद ट्रंप ने नेशनल गार्ड की मदद ली थी। गृह मंत्रालय के अधीन आने वाली ग़ैर-सैन्य टुकड़ियों का इस्तेमाल विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए किया गया था।
 
कुछ लोगों का मानना है कि चुनाव के बाद पैदा होने वाली परिस्थितियों से निपटने के लिए भी इन टुकड़ियों का इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन क्योंकि सेना उनका साथ नहीं देगी, तो ट्रंप किसी तरह की अभूतपूर्व परिस्थिति को पैदा करने में नाकाम रहेंगे।
 
प्रतीक्षा करते समय हिंसा की संभावना?
रुडेसिल कहते हैं कि उन्हें ऐसी परिस्थिति के उत्पन्न होने का डर है।
 
वो कहते हैं, "मैंने इसके बारे में पहले लिखा है कि ट्रंप एक कार्यकारी आदेश का इस्तेमाल करने की कोशिश कर सकते हैं, और अपने राजनीतिक सहयोगियों के कंट्रोल वाले डिपार्टेमेंट ऑफ़ जस्टिस को ये आदेश जारी करने के लिए कह सकते हैं कि कार्यकारी शाखा विवादास्पद चुनाव में उन्हें विजेता माने।"
 
लेकिन इसके साथ ही वो चेतावनी भी देते हैं कि "ये बिल्कुल ग़लत और आदेश देने लायक नहीं होगा।
 
"सेना को ये आदेश देना कि 20 जनवरी के बाद यानी कार्यकाल ख़त्म होने के बाद भी वो राष्ट्रपति को सलामी दें, उनके लिए एक अजीब स्थिति पैदा कर देगा।
 
"आधी दुनिया और दुनिया के कई लोग ये सोचने लगेंगे कि गैर राजनीतिक सेना ने कोई पक्ष ले लिया है।"
 
कीशा ब्लेइन के मुताबिक राष्ट्रपति का नतीजों को न स्वीकार करना कानून व्यवस्था से जुड़ी परेशानियां पैदा कर सकता है। उनका कहना है कि, "राष्ट्रपति ने भाषणों ने विरोध और हिंसा की संभावना को बढ़ा दिया है।"
 
अमेरिका में हाल के दिनों में ट्रंप के समर्थन और उनके विरोध में हुए प्रदर्शनों से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि अगर लोग सड़कों पर उतरे तो स्थिति बिगड़ सकती है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

रविशंकर प्रसाद का राहुल गांधी पर कटाक्ष, बोले- ट्यूटर बदलना बहुत जरूरी है...

Secular Civil Code लागू करेगी मोदी सरकार, लोकसभा में बोले PM ने किया ऐलान

आज हमने किसान भी खत्म कर दिया और जवान भी, मोदी साहब किसानों को देशद्रोही मत समझिए

Farmer Protest : 16 को देशभर में ट्रैक्टर मार्च, 18 दिसंबर को पंजाब में रेल रोको आंदोलन, एक दिन आगे बढ़ा दिल्ली चलो मार्च

H-1B Visa को लेकर चौंकाने वाली खबर, 50% तक की गिरावट, ट्रंप से पद ग्रहण से पहले टेंशन में क्यों भारतीय

सभी देखें

मोबाइल मेनिया

200MP कैमरा और 6000mAh बैटरी, Vivo X200 सीरीज भारत में लॉन्च, यह रहेगी कीमत

Best Smartphones of 2024 : कौनसा स्मार्टफोन इस साल रहा नंबर वन, Apple से लेकर Samsung और Realme में किसने मारी बाजी

Moto g35 : मोटोरोला का सस्ता 5G स्मार्टफोन, बाजार में मचा देगा तहलका

iPhone, iPad और Mac में एक्शन बटन, जानिए कैसे करता है काम

OnePlus 13 सीरीज को लेकर कंपनी का बड़ा खुलासा, 5.5 कनेक्टिविटी वाला होगा पहला स्मार्टफोन

अगला लेख