कोरोना वायरस के संक्रमण में मलेरिया की दवाई की इतनी मांग क्यों है?

BBC Hindi
बुधवार, 8 अप्रैल 2020 (08:38 IST)
जैक गुडमैन और क्रिस्टोफ़र गायल्स (बीबीसी रिएलिटी चेक)
 
पूरी दुनिया में मलेरिया की दवा की मांग कोरोना वायरस से निपटने के काम में आने की वजह से बढ़ गई है जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह कहना है कि यह कोरोना वायरस के इलाज में कितनी प्रभावी है, इसे लेकर कोई ठोस प्रमाण मौजूद नहीं है।
 
कोरोना वायरस के इलाज में यह कितनी प्रभावी है, इसे लेकर मौजूद साक्ष्य क्या हैं और इसे कौन इस्तेमाल कर रहा है? इस दवाई के बारे में हमें क्या पता है? अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी ब्रीफिंग में मलेरिया में काम आने वाली दवाई हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन का बार-बार ज़िक्र किया है।
ALSO READ: कोरोना की दवा नहीं मिलने पर भड़के डोनाल्ड ट्रंप, भारत को दी यह चेतावनी
फ़ेसबुक ने ब्राज़ील के राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो का एक वीडियो ग़लत जानकारी फैलाने की वजह से हटा दिया है। इस वीडियो में बोलसोनारो दावा कर रहे हैं कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन सभी जगहों पर काम कर रही है। लंबे समय से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन का इस्तेमाल मलेरिया के बुखार को कम करने में किया जा रहा है और उम्मीद है कि यह कोरोना वायरस को भी रोकने में सक्षम हो सकती है।
 
बीबीसी के स्वास्थ्य संवाददाता जेम्स गैलघर कहते हैं कि स्टडी में ऐसा लगता है कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन कोरोना वायरस को रोकने में सक्षम है। डॉक्टरों की ओर से भी कहा गया है कि कुछ मामलों में यह काम कर रही है।
ALSO READ: ट्रंप की धमकी के बीच बोले राहुल, पहले देशवासियों को मिले दवा
फ़िलहाल हुए परीक्षणों में कोरोना के इलाज में यह कितनी प्रभावी होगी, इसे लेकर पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं। दूसरी ओर इस दवा का गुर्दा और लीवर पर गंभीर साइड इफेक्ट पड़ता है। कोरोना के इलाज में मलेरिया की दवा के प्रभाव पर रिपोर्ट लिखने वाले ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के कोम गेबनिगी कहते हैं कि यह कितना कारगर है, यह जानने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले रैंडम क्लिनिकल ट्रॉयल की ज़रूरत है।
 
अमेरिका, ब्रिटेन, स्पेन और चीन में 20 से ज्यादा परीक्षण चल रहे हैं। कैबिनेट मंत्री माइकल गोव बताते हैं कि ब्रिटेन में मलेरियारोधी दवा की कोरोना वायरस के ऊपर पड़ने वाले प्रभावों पर लगातार क्लिनिकल परीक्षण किए जा रहे हैं।
 
अमेरिका में भी हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन और एजिथ्रोमाइसिन जैसी दवाओं को साथ मिलाकर इसके कोरोना के इलाज में प्रभावी होने के ऊपर कई परीक्षण किए जा रहे हैं। यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) अमेरिका में किसी दवाई के इस्तेमाल की अनुमति देती है। उसने अभी इन दवाइयों को आपातस्थिति में कोरोना के सीमित मामलों में उपयोग की इजाज़त दी है।
ALSO READ: Corona Virus Live Updates : ट्रंप ने WHO की फंडिंग रोकने की धमकी दी
इसका यह मतलब नहीं है कि एफडीए इन दवाइयों को प्रभावी मानती है। इसका मतलब है कि किसी ख़ास परिस्थिति में अस्पताल अनुरोध करके इन दवाइयों का इस्तेमाल कोरोना के मरीज़ों पर कर सकता है। अमेरिका की सरकार ने कहा है कि जर्मनी की दवा कंपनी ने तीन करोड़ हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन दान में दिया है और जो सरकार के पास है। दूसरे देश भी इस दवाई का इस्तेमाल अलग-अलग स्तरों पर कर रहे हैं।
फ़्रांस ने अपने डॉक्टरों को कोरोना के मरीज़ों को दवा देने की सलाह की इजाज़त तो दी है लेकिन साथ ही में इसके साइड इफेक्ट को लेकर चेताया भी है। भारत के स्वास्थ्य मंत्री ने स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने वालों कर्मियों को ऐहतियातन हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन लेने की सलाह तो दी है, इसके साथ ही डॉक्टर की सलाह पर उन परिवार वालों को भी यह दवा खाने को कहा है जिन परिवारों में कोरोना के किसी मामले की पुष्टि हुई है।
 
हालांकि भारत सरकार की शोध संस्था ने इसके प्रयोग को लेकर चेतावनी दी है और कहा है कि यह 'प्रयोग' के स्तर पर है और आपातकालीन स्थिति में ही केवल इसका इस्तेमाल करना चाहिए। मध्य-पूर्व के कई देशों ने अपने यहां इसके इस्तेमाल की इजाज़त दी है। इन देशों में बहरीन, मोरक्को, अल्जीरिया और ट्यूनीशिया शामिल हैं। बहरीन का दावा है कि उसने सबसे पहले अपने यहां कोरोना के मरीज़ पर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन का इस्तेमाल किया है।
जैसे-जैसे कोरोना के इलाज में इस दवा के प्रभावी होने की संभावना व्यक्त की जा रही है, वैसे-वैसे कई देशों में इसकी मांग बढ़ी है और उसकी उपलब्धता में कमी हो रही है। क्लोरोक्विन और इससे जुड़ी दवाइयां विकासशील देशों में पर्याप्त मात्रा में मौजूद हैं। इन देशों में मलेरिया के इलाज में इन दवाओं का इस्तेमाल होता आया है, हालांकि धीरे-धीरे मलेरिया के ज़्यादा प्रतिरोधी होने की वजह से इस दवा का प्रभाव मलेरिया के मामले में कम होता गया है।
ALSO READ: Corona से जंग, पीएम मोदी की शरण में अमेरिकी राष्‍ट्रपति ट्रंप, मांगी यह खास दवा
जॉर्डन ने जमाखोरी रोकने के लिए दवाई दुकानों में इसकी ब्रिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है तो वहीं कुवैत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी निजी दवा दुकानों से इसे वापस ले लिया है और सरकारी केंद्रों और अस्पतालों तक इसकी उपलब्धता को सीमित कर दिया है। कीनिया में अब यह सिर्फ़ डॉक्टर की पर्ची पर ही मिलेगी। कोई काउंटर पर जाकर इसे यूं ही नहीं ख़रीद सकता।
भारत इन दवाइयों का एक बड़ा उत्पादक देश है। भारत ने इसके निर्यात पर पाबंदी लगा दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से इस दवा को अमेरिका को देने का अनुरोध किया है। ऐसी रिपोर्ट है कि इस पर भारत सरकार विचार कर रही है।
 
2005 में इस दवा पर पाबंदी लगने के बावजूद नाइजीरिया में लोग अभी भी मलेरिया की दवा के रूप में इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। चीन में फरवरी के महीने में इस बात का जिक्र होने के बाद कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन कोरोना वायरस के ऊपर काम करती है। अब राष्ट्रपति ट्रंप के बोलने के बाद दवा दुकानों के बाहर भारी भीड़ जमा हो रही है और आनन-फानन में ही पूरा स्टॉक बिक जा रहा है।
 
नाइजीरिया के रोग नियंत्रक केंद्रों ने लोगों से अपील की है कि वो इस दवा को लेना बंद करें और कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस के इलाज में इस दवा के प्रभाव की पुष्टि नहीं की है।
 
बीबीसी के डैनियल सेमेनिओरिमा ने बताया है कि लागोस में लोग इस सलाह को अनसुना कर रहे हैं और अपने आप को सुरक्षित करने में लगे हुए हैं। इसके गंभीर नतीजे भी भुगतने पड़ रहे हैं। लागोस के अधिकारियों का कहना है कि कई लोग हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के ओवरडोज से गंभीर रूप से बीमार पड़े हैं।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

LAC पर बलों की तैनाती असामान्य, सुरक्षा की अनदेखी नही, चीन के साथ सीमा विवाद पर जयशंकर

राहुल गांधी की डिबेट की चुनौती को BJP ने स्वीकारा, इस नेता का दिया नाम

चुनाव में BJP का समर्थन करेंगे बाहुबली धनंजय सिंह, जौनपुर से BSP ने काट दिया था पत्नी का टिकट

Lok Sabha election 2024 : PM मोदी या राहुल गांधी, दोनों में से कौन है ज्यादा अमीर, जानिए संपत्ति

PM मोदी के सामने चुनाव लड़ने के लिए देशभर से आ रहे हैं लोग, श्याम रंगीला को नहीं मिला नामांकन

Realme का सस्ता 5G स्मार्टफोन, रोंगटे खड़े कर देंगे फीचर्स, इतनी हो सकती है कीमत

15000 में दुनिया का सबसे पतला स्मार्टफोन, 24GB तक रैम और 60 दिन चलने वाली बैटरी

53000 रुपए की कीमत का Google Pixel 8a मिलेगा 39,999 रुपए में, जानिए कैसे

Apple Event 2024 : iPad Pro, iPad Air, Magic Keyboard, Pencil Pro एपल ने लूज इवेंट में किए लॉन्च

Realme के 2 सस्ते स्मार्टफोन, मचाने आए तहलका

अगला लेख