51 साल की महिला के मां बनने की खबर पर आया 'बधाई हो' बनाने का विचार

रूना आशीष
'पता नहीं शायद मैंने कहीं पढ़ा या सुनने में आया कि एक 51 साल की महिला फिर से मां बनने वाली थी। तो मैंने अपने लेखक और स्क्रिप्ट राइटर को फोन लगाकर कहा कि ये तो एक फिल्म का प्लॉट है, इस पर तो फिल्म बननी चाहिए। और ये सब कहने के दौरान मुझे याद आया कि मेरे घर में मेरी चाची और चाची की मां दोनों एक ही समय पर गर्भवती थीं। मेरे चाचा और उनके मामा में 2 महीने का अंतर है। और तो और, मेरे चाचा अपने सगे मामा से 2 महीने बड़े ही हैं यानी मां और बेटी दोनों एक ही समय में प्रेग्नेंट थीं।'
 
फिल्म 'बधाई हो' के निर्देशक अमित शर्मा एडवरटाइजिंग की दुनिया के लिए जाना-माना नाम है, साथ ही वे मनोज वाजपेई के साथ 'तेवर' जैसी फिल्म के साथ बॉलीवुड में कदम रख चुके हैं। बधाई हो ने बॉक्स ऑफिस पर धूम मचाती है। पेश है इस कॉमेडी फिल्म के बारे में अमित से बातचीत। 
 
स्क्रिप्ट सुनने के बाद कलाकारों की क्या प्रतिक्रिया थीं?
सारे ही कलाकार चाहे वो आयुष्मान हों या गजराजजी या सान्या, सभी ने पहली बार स्क्रिप्ट सुनी और हां कर दी। वर्ना कई बार ऐसा होता है कि एक्टर कहते हैं अच्छा, बाद में बताएंगे या सोचकर बता देंगे। इसमें तो सभी ने इतना कहा कि शूटिंग कब से करनी है? और सेट पर भी इन सारे कलाकारों ने इतनी मस्ती की है कि वो काम खत्म होने पर भी जाने का नाम नहीं लेते थे। कई बार तो मुझे उन्हें बोलना पड़ता था कि शॉट हो गया है, अब तो उठ जाओ।
 
सुरेखा सीकरी का यानी दादी का किरदार बड़ा अनोखा है?
सुरेखाजी का रोल बिलकुल वैसा है, जैसा मेरी असली दादी हुआ करती थी। मेरी मां और मेरी दादी की किचन पॉलिटिक्स का मैं बचपन से मूकदर्शक रहा हूं। दादी पहले तो बड़े प्यार से बैठाकर बातें करती थीं। जैसे शेर नहीं होता कि वो पहले शिकार को प्यार से पकड़कर अपने पास लेता है और फिर धीरे-धीरे अपने मुंह खोलता है। दादी भी ऐसे ही धीरे से अपनी बात सुनाकर जाने वालों में से थीं। फिल्म में भी सुरेखाजी बड़े प्यार से सवाल करती हैं कि बेटे तुझे ये सब काम करने का टाइम कब मिला? तू ठहरा टीटी, कब टाइम निकाल लिया ये सब करने के लिए और अब बाप बन रहा है इस उम्र में।
 
नीना गुप्ता को रोल क्या उनकी ट्वीट पढ़ने के बाद दिया गया?
मैंने नीनाजी का कोई ट्वीट पढ़ा ही नहीं था, क्योंकि तब मैं सोशल मीडिया में सिर्फ ट्विटर पर था। फिल्म उन्हें ऑफर की और शूट शुरू हुआ तब उन्होंने मुझे एक दिन बताया कि उन्होंने कोई डेढ़ साल पहले ट्विटर पर ट्वीट किया था कि उनके पास काम नहीं है और वे अच्छा काम करना चाहती हैं। तब मैंने नीनाजी को एक ही बात कही कि इस फिल्म के बाद आप हर कोई फिल्म कर भी नहीं पाएंगी। आगे सिर्फ अच्छी फिल्में ही करनी पड़ेंगी।
 
आपकी बनाई एड फिल्मों के बारे में बताएं। आपको कान्स लॉयन 2011 का खिताब भी मिला है एड फिल्म के लिए?
मैंने गूगल रीयूनियन पर एड फिल्म बनाई थी जिसमें भारत और पाकिस्तान विभाजन में बिछड़े दो दोस्तों की कहानी थी। फिर मूक बच्चों के राष्ट्रगान को गाने वाली एड फिल्म बनाई। केबीसी की सीरीज बनाई। इसके अलावा कई फैशन और कारों की एड्स भी बनाई हैं।
 
आपकी अगली फिल्म में अजय देवगन हैं, इस बारे में बताएं?
ये फुटबॉल कोच सैयद अब्दुल रहीम की कहानी पर बनाई जाने वाली है। ये 1952 से लेकर 1962 के बीच बनी कहानी है। वे हमारे देश के बड़े लंबे समय तक कोच रहे हैं और फुटबॉल में उस समय में भारत ने कई कारनामे किए हैं और इस बारे में हम जानते भी नहीं हैं। वे खुद भी इस फिल्म को लेकर एक्साइटेड हैं। इस रोल को लेकर मैं अजय के साथ मिल चुका हूं। मुझे वे बहुत अच्छे इंसान लगे। अभी बस ये देखना है कि हम दोनों की वर्किंग केमिस्ट्री कैसे निकलकर आती है लेकिन अभी उसमें थोड़ा सा समय है।

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