71वें राष्ट्रीय फिल्म अवॉर्ड्स में सैम बहादुर जैसी फिल्म को बेस्ट कॉस्टयूम के लिए सम्मानित किया गया है। इसमें 3 डिजाइनर सम्मिलित थे- सचिन लवलेकर, दिव्या गंभीर और निधि गंभीर। अचरज वाली बात यह कि दिव्या और निधि दोनों ही जुड़वा बहने हैं और शायद इतिहास में यह पहली बार हुआ हो जब किसी एक काम के लिए जुड़वा लोगों को पुरस्कार दिया गया हो ऐसे में वेबदुनिया ने खासतौर पर से दिव्या गंभीर और निधि गंभीर से बात की।
वेबदुनिया संवाददाता, रूना आशीष खुद भी नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स में बतौर ज्यूरी सम्मिलित हुई थी और ऐसे में एक समारोह जिसमें कि विजेताओं को और जूरियों को आपस में मिलने का मौका मिलता है, वहां पर यह इंटरव्यू को किया गया।
निधि और दिव्या दोनों ने ही इस अवॉर्ड को लेकर अपनी खुशी जाहिर की और कहा कि बहुत कम ही ऐसा मौका मिलता है कि जब किसी जुड़वा को इस तरीके से सम्मानित किया गया हो। बहनें होना और एक ही फील्ड में काम करना एक बात है और जुड़वा होकर एक ही फिल्म के लिए काम करना एक ही फील्ड में काम करना और उसके बाद उसके लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीतना यह बहुत ही अलग से अनुभव है। हम दोनों के लिए जिसे बयान करना जरा मुश्किल होगा।
ऐसे में हमने निधि से पूछा कि कैसे इस फिल्म में काम करने का सफर शुरू हुआ?
हमने इसके पहले भी बहुत सारी फिल्मों में काम किया है और मेघना हमारे काम को जानती थी। ऐसे में जब मेघना ने सैम बहादुर में अपना काम और होमवर्क करना शुरू किया तब वह डिजाइनर्स को ढूंढ रही थी। फिर उनकी तरफ से ही हम एक दिन फोन आया और हमने यह काम स्वीकार कर लिया।
जब आप हमारे राष्ट्रपति साहिबा मुर्मू जी के सामने खड़ी थी तब कैसा महसूस कर रही थी?
दिव्या - मैं तो बहुत ज्यादा नर्वस थी। समझ में ही नहीं आ रहा था कि हो क्या चल रहा है? मुझे लग रहा था कि मैं और रुकूं उस जगह पर उनके सामने और खड़ी रहूं और इस मोमेंट को और एंजॉय कर सकूं, लेकिन वह मोमेंट आया और कब चला गया, समझ में नहीं आया। अब लगता है मैं एक और पुरस्कार जीतूं ताकि राष्ट्रपति साहिबा के सामने खड़ी हो जाऊं और समझ सकूं कि कैसी फीलिंग आती है जब आप राष्ट्रपति सहिबा के सामने खड़े होते हैं।
इस समय पर आपकी माताजी ने क्या कहा खुश है?
निधि- मैं तो बहुत खुश हूं और मैं बार-बार अपनी मम्मी से जा कर के पूछ रही हूं कि मम्मी क्या आप खुश हैं कि आपको ठीक लग रहा है। क्या आपको अच्छा लग रहा है और मेरी मां एक ही बात कहते आ रही थी। मैं तो हमेशा से तुम दोनों से बहुत खुश हूं और तुम दोनों पर बहुत पसंद करती हूं।
इस फिल्म के रिलीज के दौरान में कई आर्मी ऑफिसर से मिल रही थी। सभी का यह कहना था कि फिल्म कैसी भी बनाएं बस हमारे सैम बहादुर को अच्छे से पेश करें। इस बात का कहीं कोई प्रेशर आप पर भी आया था।
दिव्या- बिल्कुल! हम पर भी यह प्रश्न रहा है। सैम बहादुर एक बहुत बड़े लेजेंड है, हमारे हीरो है। उनके लिए जब हम डिजाइनिंग का सोच भी रहे थे तो बहुत सारे पिक्चर देखें। वह जो सेना के पास थे और वह भी जो उनके घर वालों के पास एल्बम में थे।
उनकी पोती से हमने बात भी की और समझ में आया कि सैम जी का अपना एक स्टाइल था जो बहुत लुभावना था। वैसे भी जिस तरीके के वह व्यक्ति रहे हैं। उनको पसंद करने वाले भी उतने ही रहे हैं तो हम किसी भी कीमत पर कोई जल्दबाजी या कमी नहीं छोड़ना चाहते थे तो जो प्रश्न आप कह रही है, बिल्कुल था और बहुत ज्यादा था हम पर।
यूनिफॉर्म में लड़के हमेशा स्मार्ट लगते हैं। ऐसे में विक्की कौशल जैसा ऊंचा लंबा पूरा व्यक्ति यूनिफार्म पहन कर आया तो कितने मनमोहक लग रहे थे? कहीं आपको प्रेम तो नहीं हो गया?
निधि - अरे बिल्कुल विक्की कौशल तो इतने अच्छे लग रहे थे यूनिफॉर्म पहनकर और जिस तरीके से उन्होंने किरदार निभाया है हमें तो एकदम से देखकर ही मजा आ गया। बहुत मनमोहक थे और साथ ही हमें तो असली सैम मानेकशॉ से भी उतना ही प्यार हो गया। सच पूछो तो हमें दोनों सेम बहादुरों से प्यार हो गया।
अभी आगे क्या कर रही हैं?
दिव्या - काम बहुत सारा है। देव पटेल की फिल्म मंकी में भी हमने क्वेश्चन किया था। उन्हीं की एक और फिल्म है जिस पर हम काम कर रहे हैं। अभी और उसके अलावा एक कमर्शियल सिलेंडर है जिस पर काम करना शुरू कर चुके हैं। यानी एक तरफ तो पीरियड फिल्म की तरह है तो वहीं दूसरी ओर कमर्शियल फिल्म है। हम किसी भी तरह के काम के लिए तैयार खड़े हैं और हम पूरी निष्ठा के साथ अपना काम करेंगे।
अगर मौका मिले कि आपको किसी पर्सनालिटी को ड्रेस डिजाइन करना है तो वह कौन होगा और किस तरीके के कपड़े अपने देना चाहेंगे।
दिव्या और निधि - हम दोनों हमारे देश के प्रधानमंत्री मोदी साहब के लिए ड्रेस डिजाइन करना चाहेंगे। वैसे तो उन पर एक फिल्म बन चुकी है। लेकिन कभी एक और फिल्म बन रही हो तो प्लीज हमें ले। क्योंकि वह एक ऐसी शख्सियत है जिससे हर कोई प्रेम करता है और उनकी तरफ ताकता रहता है कि अब वह परेशानी में क्या हल निकालेंगे और इस तरीके से मुझे लगता है। वह सारा दिन सिर्फ टेंशन और प्रेशर में ही होते होंगे तो कम से कम उनके कपड़े तो ऐसे हो जो आरामदेह हों। उनकी फॉर्मल ड्रेसिंग को हटाकर हम दोनों उन्हें कुर्ता और एक सिल्क की लुंगी पहनाना चाहेंगे।