जियो स्टूडियोज़ और B62 स्टूडियोज़ के बैनर तले बनी आदित्य धर की फिल्म 'धुरंधर' के ट्रेलर ने ऑनलाइन जबरदस्त उत्साह पैदा कर दिया है। रणवीर सिंह, संजय दत्त, अक्षय खन्ना, आर. माधवन और अर्जुन रामपाल जैसे विशाल कलाकारों की मौजूदगी तो दर्शकों का ध्यान खींच ही रही है।
ट्रेलर के आख़िरी हिस्से में छिपा एक अप्रत्याशित संगीत homage लोगों को और भी उल्लासित कर रहा है। जैसे ही चार मिनट के इस ट्रेलर का तनावपूर्ण माहौल चरम पर पहुँचता है, एक परिचित कव्वाली धीरे-धीरे उभरती है, जिसने तुरंत ही सिनेमाप्रेमियों और संगीत प्रेमियों की भावनाओं को छू लिया।
फिल्म की टीम ने हिंदी सिनेमा की ऐतिहासिक कव्वाली "ना तो कारवां की तलाश है" को नए रूप में पेश किया है, जो पहली बार 1960 की क्लासिक फिल्म बरसात की रात में सुनाई गई थी।
ट्रेलर में इस धुन की मौजूदगी ने सोशल मीडिया पर nostalgia की बाढ़ ला दी। निर्देशक सुजॉय घोष उन लोगों में शामिल थे जिन्होंने तुरंत ट्रेलर और इस संगीतिक स्पर्श की सराहना की। उन्होंने इसे उस दौर के अनमोल संगीत की शानदार वापसी बताया।
यह सच भी है कि यह कव्वाली किसी रत्न से कम नहीं। बरसात की रात में यह गीत एक 12 मिनट लंबे प्रतिष्ठित कव्वाली सीक्वेंस का हिस्सा था, जो आज भी भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक मील का पत्थर माना जाता है। इस रचना को मशहूर संगीतकार रोशन यानी ऋतिक रोशन के दादा ने तैयार किया था, और इसके बोल थे बेमिसाल गीतकार साहिर लुधियानवी के।
मन्ना डे, आशा भोसले, सुदा मल्होत्रा, एस.डी. बटिश और मोहम्मद रफी की सुरमयी आवाज़ों ने इसे भावनात्मक और संगीतिक ऊंचाइयों तक पहुँचाया। फिल्म की रिलीज़ के बाद बरसात की रात बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त सफल रही और साल की दूसरी सबसे बड़ी हिट बनी सिर्फ के. आसफ की मुग़ल-ए-आज़म के बाद।
धुरंधर में इस कव्वाली का इस्तेमाल कर आदित्य धर मानो फिल्म की आत्मा और उसके टोन को स्थापित करते दिखाई देते हैं ऐसा टोन जो बीते समय से जुड़ी एक रहस्यमय बेचैनी और गूंज को फिर से जीवित करता है। माना जा रहा है कि फिल्म पाकिस्तान के ऑपरेशन लियारी की पृष्ठभूमि पर आधारित है जो वहां के गैंग नेटवर्क्स के खिलाफ चलाया गया सबसे लंबा और जटिल गुप्त अभियान था और फिल्म इस संघर्ष की नैतिक जटिलताओं को गहराई से जांचती है। यह फिल्म 5 दिसंबर को रिलीज हो रही है।