24 नवंबर को 89 वर्ष की उम्र में धर्मेंद्र के निधन ने पूरे भारतीय फिल्म जगत को गहरे दुख में डाल दिया। उनकी लोकप्रियता सिर्फ उनके दौर तक सीमित नहीं रही, बल्कि नई पीढ़ियों ने भी उन्हें उतने ही सम्मान के साथ स्वीकार किया। ऐसे में अब उनकी पुरानी वसीयत का खुलासा होना लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है। रिपोर्ट के मुताबिक धर्मेंद्र ने अपनी पैतृक संपत्ति अपने किसी भी बच्चे, सनी देओल, बॉबी देओल, ईशा देओल, अहाना देओल, अजीता या विजेता देओल, को नहीं दी। उन्होंने यह जमीन अपने जीवनकाल में ही किसी और को सौंप दी थी।
पंजाब की मिट्टी से जुड़ा अटूट रिश्ता
पंजाब के लुधियाना ज़िले के डांगो गांव (Dango) से धर्मेंद्र का गहरा रिश्ता रहा है। उन्होंने अपने बचपन के शुरुआती तीन साल इसी गांव में बिताए थे। मिट्टी और ईंटों से बना वह पुराना घर आज करोड़ों रुपये की कीमत तक पहुंच चुका है, लेकिन इसके लिए उनकी भावनात्मक जुड़ाव हमेशा कहीं अधिक मूल्यवान रहा।
गौर करने वाली बात यह है कि धर्मेंद्र ने लगभग आठ से दस वर्ष पहले ही अपनी वसीयत तैयार करवा दी थी, जब उनकी सेहत अच्छी थी। उनका फैसला किसी आर्थिक गणना से प्रेरित नहीं था, बल्कि परिवार की उस परंपरा से जुड़ा था जिसे उनके पिता ने उनके भीतर बचपन से ही डाला था।
क्यों धर्मेंद्र ने संपत्ति अपने भतीजों को दी
धर्मेंद्र ने जब फिल्मों में कदम रखा और सफलता ने उन्हें मुंबई जैसे बड़े शहरों में बसने के लिए प्रेरित किया, तब भी वे अपने गांव की जड़ों को कभी नहीं भूले। लेकिन वे यह भी समझते थे कि उनका तत्काल परिवार, जो मुंबई और अन्य शहरों में रहता है, डांगो के घर और जमीन की नियमित देखभाल नहीं कर पाएगा।
इसी बीच उनके चाचा के पोते यानी उनके भतीजे वहीं रहते रहे और वर्षों से उस जमीन और परिवार की विरासत को संभालते आए। धर्मेंद्र ने महसूस किया कि उनके पूर्वजों की धरोहर की सही देखभाल वही कर सकते हैं। इसलिए उन्होंने अपनी करीब 2.5 एकड़ की पैतृक संपत्ति उन्हीं के नाम कर दी।
यह जमीन लगभग 5 करोड़ रुपये मूल्य की बताई जाती है। इसे प्राप्त करने वालों में बूटा सिंह भी शामिल हैं, जो आज भी लुधियाना की एक टेक्सटाइल मिल में काम करते हैं। धर्मेंद्र के इस फैसले में न केवल परिवार की परंपरा का सम्मान झलकता है, बल्कि अपनी जड़ों के प्रति उनका गहरा प्रेम भी दिखाई देता है।