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बचपन से अभिनेत्री बनने का सपना देखती थीं शबाना आजमी, पहली फिल्म के लिए ही हासिल किया अवॉर्ड

WD Entertainment Desk
गुरुवार, 18 सितम्बर 2025 (11:08 IST)
बॉलीवुड की दिग्गज अभिनेत्री शबाना आजमी 75 वर्ष की हो गई हैं। 18 सितंबर 1950 को जन्मीं शबाना आजमी के पिता कैफी आजमी मशहूर शायर और गीतकार थे जबकि मां शौकत आजमी रंगमंच की जानी-मानी अभिनेत्री थीं। शबाना ने स्नातक की पढ़ाई दिल्ली के सेंट जेवियर कालेज से पूरी की और इसके बाद उन्होंने पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट में दाखिला ले लिया।
 
पुणे में अभिनय का प्रशिक्षण हासिल करने के बाद शबाना आजमी अभिनेत्री बनने के लिए 1973 में मुंबई आ गईं। यहां उनकी मुलाकात निर्माता-निर्देशक ख्वाजा अहमद अब्बास से हुई, जिन्होंने उन्हें अपनी फिल्म फासले में काम करने का प्रस्ताव किया। यह फिल्म पूरी हो पाती उससे पहले ही उनकी फिल्म अंकुर रिलीज हो गई। 
 
श्याम बेनेगल के निर्देशन में बनी और 1974 में रिलीज फिल्म 'अंकुर' हैदराबाद की एक सत्य घटना पर आधारित थी। इस फिल्म में शबाना आजमी ने लक्ष्मी नामक एक ऐसी ग्रामीण युवती का किरदार निभाया, जो शहर से आए एक कालेज स्टूडेंट से प्यार कर लेती है। फिल्म के निर्माण के समय श्याम बेनेगल ने अपनी कहानी कई अभिनेत्रियों को सुनाई, लेकिन सभी ने फिल्म में काम करने से मना कर दिया। 
 
करियर के शुरआती दौर में इस तरह का किरदार किसी भी अभिनेत्री के लिए जोखिम भरा काम हो सकता था लेकिन शबाना आजमी ने इसे एक चैलेंज के रूप में लिया और अपने सधे हुए अभिनय से समीक्षकों के साथ ही दर्शकों का भी दिल जीतकर फिल्म को सुपरहिट बना दिया। इस फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिए वह सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित की गईं।
 
साल 1975 में श्याम बेनेगल की ही फिल्म 'निशांत' में शबाना आजमी को उनके साथ फिर काम करने का मौका मिला। 1977 शबाना आजमी के सिने करियर का अहम पड़ाव साबित हुआ। इस वर्ष उन्हें जहां महान फिल्मकार सत्यजीत रे की फिल्म शतरंज के खिलाड़ी में काम करने का मौका मिला। वहीं फिल्म स्वामी में उत्कृष्ट अभिनय के लिए वह सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित की गईं। 
 
इस बीच शबाना आजमी ने व्यावसायिक सिनेमा की ओर भी अपना रख कर लिया। इस दौरान उन्हें विनोद खन्ना के साथ परवरिश और अमर अकबर एंथोनी जैसी फिल्मों में काम करने का अवसर मिला, जिसकी सफलता ने उन्हें व्यावसायिक सिनेमा में भी स्थापित कर दिया। साल 1982 में रिलीज फिल्म 'अर्थ' शबाना आजमी के लिए करियर की एक और महत्वपूर्ण फिल्म साबित हुई। 
 
महेश भट्ट के निर्देशन में बनी इस फिल्म में शबाना आजमी ने एक ऐसी शादीशुदा महिला का किरदार निभाया जिसका पति उसे अन्य महिला के कारण छोड देता है। इस फिल्म के लिये शबाना आजमी दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित की गईं। साल 1983 में रिलीज फिल्म 'मंडी' शबानी आजमी की अहम फिल्मों में शुमार की जाती है। श्याम बेनेगल निर्देशित इस फिल्म में उन्होंने वेश्यालय चलाने वाली रक्मणी बाई की भूमिका को पहले पर्दे पर साकार किया। इस फिल्म के लिये वह सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयरपुरस्कार से नामांकित भी की गईं।
 
साल 1984 में शबानी आजमी की मृणाल सेन निर्देशित फिल्म 'खंडहर' और 1985 में गौतम घोष निर्देशित फिल्म 'पार' रिलीज हुई। इन फिल्मों में उनके अभिनय के विविध रूप देखने को मिले। इन दोनों ही फिल्मों के लिए वह सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित की गईं। 
 
साल 1986 में इंडो-फ्रेच बेल्जियन स्विस प्रोडक्शन के बैनर तले बनी फिल्म 'जेनेसिस' शबाना आजमी की एक और महत्वपूर्ण फिल्म है। मृणाल सेन के निर्देशन में बनी इस फिल्म में आदमी और औरत के बीच प्यार और उनके बीच तकरार को दिखाने के साथ ही राजस्थान के रेगिस्तान की खूबसूरती को भी पेश किया गया था। इस फिल्म में नसीरद्दीन शाह और ओमपुरी ने भी मुख्य भूमिकाएं निभाईं।
 
साल 1996 में रिलीज फिल्म 'फायर' से शबाना आजमी को अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुई। दीपा मेहता के निर्देशन में बनी इस विवादस्पद फिल्म में उन्होंने राधा नामक युवती का किरदार निभाया, जो एक अन्य युवती से प्रेम करने लगती है। समलैंगिकता के विषय पर बनी यह फिल्म भारत में पहली ऐसी फिल्म थी। फिल्म में उनके उत्कृष्ट अभिनय को देखते हुए उन्हें शिकागो फिल्म फेस्टिवल में सम्मानित किया गया। 
 
साल 1999 में रिलीज फिल्म गॉडमदर में शबाना आजमी ने एक ऐसी महिला का किरदार निभाया, जो अपने पति की मौत के बाद माफिया डान बन कर भ्रष्ट राजनीतिक व्यवस्था के विरूद्ध आवाज उठाती है और अपने पति की मौत काबदला लेती है। फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिये वह सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित की गईं।
 
शबाना आजमी ने जावेद अख्तर के साथ शादी की है। शबाना आजमी चार बार फिल्म फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित की जा चुकी है। फिल्मों में उनके उल्लेखनीय योगदान को देखते हुए वह 2006 में पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित की गईं। शबाना आजमी ने अपने चार दशक लंबे सिने करियर में अब तक करीब 140 फिल्मों में अभिनय किया है।
 

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