इमरजेंसी मूवी रिव्यू: कंगना रनौट की एक्टिंग ही फिल्म का एकमात्र मजबूत पक्ष

WD Entertainment Desk
शुक्रवार, 17 जनवरी 2025 (14:24 IST)
इमरजेंसी भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय है, जो तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1975 में 21 महीनों के लिए लागू किया था। इस घटना को कुछ फिल्मकारों ने अपने-अपने तरीके से फिल्मों के जरिये दिखाया है। मधुर भंडारकर ने ‘इंदु सरकार’ (2017) में इसी विषय के इर्दगिर्द बुनी थी और अब भाजपा सांसद कंगना रनौट ‘इमरजेंसी’ फिल्म लेकर आई हैं। कंगना रनौट ने इसमें इंदिरा गांधी की भूमिका निभाने के साथ-साथ लेखन और निर्देशन की जिम्मेदारी भी निभाई है।
 
फिल्म का टाइटल बताता है कि यह इंदिरा गांधी और इमरजेंसी के दौर पर ध्यान रख कर बनाई होगी, लेकिन मूवी में इंदिरा के जन्म से लेकर तो मृत्यु तक दिखाया गया है। यह तो एक बायोपिक की तरह है। इस बात से दर्शक थोड़ा ठगा महसूस करता है।
 
बहरहाल इंदिरा गांधी के जीवन में इतने किस्से हैं कि उन्हें एक फिल्म में पिरोना बहुत कठिन है। इसके लिए ऊंचे दर्जे का निर्देशक चाहिए, ऊंचे दर्जे का स्क्रिप्ट राइटर चाहिए। ये कमी ‘इमरजेंसी’ देखते समय महसूस होती है।
 
बहुत सारी घटनाओं को समेटने के चक्कर फिल्म में जल्दबाजी या हड़बड़ी नजर आती है। दृश्यों का जुड़ाव नहीं है जिससे फिल्म में फ्लो नजर नहीं आता। एक के बाद एक किस्से आते रहते है और उनमें भी उतनी गहराई नहीं है, ठहराव नहीं है जिससे वे कोई प्रभाव नहीं छोड़ पाते।


 
इंदिरा के गांधी के पिता का उन पर प्रभाव, पति से रिश्ते, राजनीति में उतरने का फैसला करना, प्रधानमंत्री बनना, आपातकाल की घोषणा करना, संजय गांधी की दखलअंदाजी, ऑपरेशन ब्लू स्टार, युद्ध आदि घटनाओं को फिल्म में जगह दी गई है।
 
निर्देशक के रूप में कंगना ने इन घटनाओं को बेतरतीब तरीके से प्रस्तुत किया है जिससे दर्शक फिल्म से कहीं से भी कनेक्ट नहीं हो पाते। घटनाएं कम दिखाई जाती, लेकिन रिसर्च कर के दर्शाई जाती तो बात अलग होती। फिल्म के नाम पर जो क्रिएटिव लिबर्टी ली गई है वो दर्शकों में संदेह पैदा करती है कि अंदाजा लगाना मुश्किल है कि बात में कितनी सच्चाई है।  
 
कंगना ने फिल्म को मुख्यत: दो भागों में बांटा है, एक में इंदिरा गांधी की सत्ता के प्रति लालसा और दूसरे में 1977 में जेल जाने के बाद वापसी को दिखाया है।

 
फिल्म का एक मात्र सकारात्मक पहलू कंगना रनौट की एक्टिंग है। इंदिरा गांधी के रूप में उनके अभिनय दमदार है और उनका लुक इंदिरा गांधी से मिलता-जुलता है। दृश्यों के अनुरूप कंगना ने जो एक्सप्रेशन्स दिए हैं वो देखने लायक हैं। कई दृश्यों में वे अपने अभिनय से छाप छोड़ती हैं। 
 
श्रेयस तलपदे, अनुपम खेर, मिलिंद सोमण, सतीश कौशिक, विशाक नायर जैसे कलाकार अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं।
 
फिल्म के संवाद ज्यादा असर नहीं छोड़ते। तकनीकी रूप से भी फिल्म कमजोर दिखाई देती है। ऐसी फिल्मों में गानों की कोई जरूरत नहीं है बावजूद इसके गाने रखे गए हैं। 
 
कुल मिला कर इमरजेंसी जैसी घटना पर फिल्म बनाने का साहस उन्हें ही करना चाहिए जो फिल्म निर्देशक के रूप में अपनी काबिलियत सिद्ध कर चुके हों।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

बॉलीवुड हलचल

जुड़वां जाल में मोनालिसा का डबल धमाका, एक ही चेहरे के दो रहस्य खोलेंगे जुर्म की परतें

शबाना की वजह से नहीं था तलाक: हनी ईरानी ने जावेद अख्तर से तलाक पर तोड़ी चुप्पी

वायरल गर्ल मोनालिसा का पहला गाना सादगी हुआ रिलीज, कजरारी आंखों पर फिदा हुए फैंस

फिल्म फुकरे की रिलीज को 12 साल पूरे, पुलकित सम्राट ने शेयर किया खास पोस्ट

एक दीवाने की दीवानियत की रैप-अप पार्टी के दौरान हुआ हादसा, बाल-बाल बचे हर्षवर्धन राणे!

सभी देखें

जरूर पढ़ें

किशोर कुमार का दिल टूटा, मिथुन ने मौका लपका: योगिता बाली के प्यार की इस दास्तां में है बॉलीवुड ड्रामा का पूरा तड़का

कियारा का बिकिनी लुक देख फैंस के छूटे पसीने, War 2 में दिखाया हॉटनेस और परफेक्ट फिगर का जलवा

रेखा से तथाकथित शादी, 3 टूटे रिश्ते और अधूरी फिल्म: विनोद मेहरा की जिंदगी की अनकही कहानी

वायरल गर्ल मोनालिसा का मॉडर्न लुक देख खुली रह जाएंगी आंखें, डायमंड ज्वेलरी पहन कराया फोटोशूट

ब्लैक डीपनेक ड्रेस में तमन्ना भाटिया का बोल्ड अंदाज, देखिए तस्वीरें

अगला लेख