हसीना पारकर : फिल्म समीक्षा

समय ताम्रकर
दाऊद पर कई फिल्में बनी हैं, लेकिन पहली बार उसकी बहन हसीना पारकर को केन्द्र में रख कर 'हसीना पारकर' नाम से फिल्म बनाई गई है। दाऊद तो मुंबई से भाग गया, लेकिन उसकी बहन ने मुंबई में रहना ही मंजूर किया। 
 
हसीना एक घरेलू लड़की थी, लेकिन भाई के भाग जाने और पति की हत्या के बाद कहा जाता है कि दाऊद का साम्राज्य उसने संभाल लिया और बतौर दाऊद की प्रतिनिधि भारत में काम किया। एक तरह से वह महिला डॉन थी जिससे लोग दाऊद के कारण घबराते थे। उसने कई मामलों को निपटाया और उसके दरबार में सैकड़ों लोग अपनी परेशानी लेकर आते थे। 
 
फिल्म में दिखाया गया है कि हसीना पर अदालत में मामला चल रहा है। एक बिल्डर ने उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। वकील उससे सवाल करते हैं और जवाब में फिल्म बार-बार पीछे की ओर जाती है और तारीखवार उन घटनाओं का ब्यौरा दिखाया गया है जो हसीना के जीवन में घटते हैं। 
 
हसीना पारकर के बारे में लोगों ने ज्यादा सुना नहीं है और न ही लोगों को उनके बारे में ज्यादा जानकारी है। दाऊद और उसके स्नेह भरे संबंध, फिर उसकी शादी होना, खुशहाल जिंदगी जीना इन सब घटनाओं से भला किसी को क्या सरोकार है? इन बातों पर बहुत सारे फुटेज खर्च किए गए हैं। 
 
एक घरेलू महिला से वह दाऊद का काम कैसे संभालती है, यह बदलाव फिल्म में ठीक से नहीं दिखाया गया है। अचानक वह दाऊद की सत्ता संभाल लेती है और लोग उससे डरने लगते हैं। फिल्म में यह बात देखना एक झटके जैसा लगता है कि अचानक इतना बड़ा बदलाव कैसे आ गया? फिल्म गहराई में नहीं जाती और सतह पर तैरती रहती है। 
 
फिल्म में यह बात स्थापित करने की कोशिश की गई है कि हालात का शिकार होने के कारण उसे सब यह करना पड़ा ताकि दर्शकों को उसके प्रति हमदर्दी हो, लेकिन हसीना आपा से दर्शक हमदर्दी क्यों करें? फिल्म में कई बातें अस्पष्ट भी हैं, जैसे- हसीना के बेटे को किसने मारा, दर्शाया ही नहीं गया। 
 
निर्देशक अपूर्व लाखिया ने स्क्रिप्ट की कमियों पर ध्यान नहीं दिया। उनका प्रस्तुतिकरण कन्फ्यूजिंग है। इतनी बार फिल्म पीछे जाती है, बार-बार तारीखें दिखाई जाती हैं ‍कि सब याद रखना आसान नहीं है। हसीना को जिसके लिए अदालत बुलाया गया था वो बात दिखाई ही नहीं गई है और उससे दूसरी बातों पर ही सवाल किए जाते हैं। कोर्ट रूम ड्रामा भी नाटकीय है और गंभीरता का अभाव है। हसीना पर गाने फिल्माना भी दर्शाता है कि निर्देशक बॉलीवुड लटके-झटके छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। 
 
श्रद्धा कपूर का अभिनय देखने लायक है। हसीना आपा के किरदार को उन्होंने पूरी फिल्म में पकड़ कर रखा है और सारी भाव-भंगिमाओं को अच्छे से दिखाया है। उम्रदराज हसीना के रोल में वे युवा नजर आती हैं और यहां उन्हें उम्रदराज दिखाया जाना जरूरी था। 
 
श्रद्धा के भाई सिद्धांत कपूर ने दाऊद का किरदार निभाया है और उसे स्टीरियोटाइप पेश किया गया है जैसा हम हर फिल्म में दाऊद को देखते हैं। सिद्धांत का काम औसत से बेहतर है। महिला वकील के रूप में प्रियंका सेठिया को लंबा रोल मिला है जो उन्हें बेहतरीन तरीके से निभाया है। अंकुर भाटिया का अभिनय भी अच्छा है। 
 
कुल मिलाकर 'हसीना पारकर' विषय की गहराई में नहीं उतरते हुए छूती हुई निकल जाती है। 
 
बैनर : स्विस एंटरटेनमेंट प्रा.लि.
निर्माता : नाहिद खान
निर्देशक : अपूर्व लाखिया
संगीत : सचिन जिगर
कलाकार : श्रद्धा कपूर, सिद्धांत कपूर, अंकुर भाटिया, प्रियंका सेठिया 
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 3 मिनट 51 सेकंड 
रेटिंग : 1.5/5 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

बॉलीवुड हलचल

दमदार एक्शन और जबरदस्त स्वैग से भरपूर सलमान खान की सिकंदर का ट्रेलर रिलीज

यश की फिल्म टॉक्सिक के लिए फैंस को करना होगा इंतजार, इस दिन सिनेमाघरों में दस्तक देगी फिल्म

ठग लाइफ से कमल हासन और सिलंबरासन टीआर का फर्स्ट लुक रिलीज

पिंक साड़ी में तमन्ना भाटिया का दिलकश अंदाज, देखिए तस्वीरें

दिग्गज अभिनेता राकेश पांडे का निधन, 77 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस

सभी देखें

जरूर पढ़ें

Loveyapa review: मोबाइल की अदला-बदली से मचा स्यापा

देवा मूवी रिव्यू: शाहिद कपूर और टेक्नीशियन्स की मेहनत पर स्क्रीनप्ले लिखने वालों ने पानी फेरा

Sky Force review: एयर फोर्स के जांबाज योद्धाओं की कहानी

आज़ाद मूवी रिव्यू: अमन-साशा की बिगड़ी शुरुआत, क्यों की अजय देवगन ने यह फिल्म

इमरजेंसी मूवी रिव्यू: कंगना रनौट की एक्टिंग ही फिल्म का एकमात्र मजबूत पक्ष

अगला लेख