Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की भारी जीत मंत्रिमंडल के गठन में बनी बड़ी चुनौती

हमें फॉलो करें छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की भारी जीत मंत्रिमंडल के गठन में बनी बड़ी चुनौती
, शनिवार, 22 दिसंबर 2018 (19:22 IST)
रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को मिला दो-तिहाई बहुमत अब मंत्रिमंडल के गठन में बड़ी चुनौती बन गया है। बड़ी संख्या में अनुभवी विधायकों के चुनाव जीतने के कारण दिग्गज मंत्रियों तक को शिकस्त देने वाले युवा विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह मिलने के बिलकुल ही आसार नहीं दिख रहे हैं।
 
 
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वयं स्वीकार किया है कि पूर्व कांग्रेस सरकारों में मंत्री रहे विधायकों के साथ ही बड़ी संख्या में अनुभवी विधायक इस बार चुनाव जीतकर आए हैं, इस कारण नाम तय करने में मुश्किल आ रही है। उन्होंने संकेत दिया है कि नए विधायकों को इस बार मंत्रिमंडल में जगह मिलना संभव नहीं होगा। ऐसा ही संकेत मंत्री टीएस सिंहदेव ने भी दिया है जिन्हें दिल्ली में मौजूद मुख्यमंत्री बघेल ने इस बारे में होने वाली चर्चा के लिए बुलाया है।
 
राज्य की 90 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 68 विधायक हैं। इनमें डॉ. चरणदास महंत, रामपुकार सिंह, सत्यनारायण शर्मा, रवीन्द्र चौबे, मोहम्मद अकबर, मनोज सिंह मंडावी, धनेन्द्र साहू, अमितेश शुक्ला, देवेन्द्र कुमार सिंह जोगी मंत्रिमंडल में सदस्य रह चुके हैं। इनमें से तो कुछ अविभाजित मध्यप्रदेश में भी मंत्री रहे हैं। इसके अलावा आदिवासी समाज के अमरजीत भगत, कवासी लकमा समेत कई विधायक कई बार लगातार चुनाव जीतते रहे हैं।
 
इनके साथ ही झीरम नक्सल हमले में मारे गए तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल के पुत्र उमेश पटेल, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव मोतीलाल वोरा के पुत्र अरुण वोरा, सतनामी समाज, आदिवासी समाज एवं महिला को भी मंत्रिमंडल में जगह देना बहुत बड़ी चुनौती है। राज्य में नियमानुसार मुख्यमंत्री समेत 13 मंत्री हो सकते हैं जिसमें मुख्यमंत्री के अलावा 2 मंत्रियों ने शपथ ले ली है और अब 10 ही मंत्री बन सकते हैं।
 
इसके अलावा विधानसभा अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के 2 पदों पर वरिष्ठ विधायकों को समायोजित किया जा सकता है जबकि मंत्री पद के प्रबल दावेदारों की संख्या डेढ़ दर्जन से भी अधिक है। इनमें पूर्ववर्ती सरकार के दिग्गज मंत्रियों को शिकस्त देने वाले विधायक शामिल नहीं है, जबकि वे भी मंत्री पद की आस लगाए हुए हैं। मुख्यमंत्री बघेल के सामने जातियों, वर्गों एवं क्षेत्रवार संतुलन बनाना काफी चुनौती बना हुआ है।
 
8 दिग्गज मंत्रियों को शिकस्त देने वाले विधायक ही नहीं बल्कि उनके समर्थकों एवं क्षेत्रवासियों को भी आस है कि उनके द्वारा चुने प्रतिनिधि को मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी। मंत्रियों को हराने वाले सभी युवा चेहरे हैं। रमन सरकार के वरिष्ठ मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय को भिलाई नगर सीट पर हराने वाले देवेन्द्र यादव प्रदेश के सबसे युवा विधायक हैं। वे भिलाई के महापौर भी हैं। इसके अलावा रायपुर पश्चिम सीट पर एक और कद्दावर मंत्री रहे राजेश मूणत को हराकर चुनाव जीतने वाले विकास उपाध्याय भी मंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं।
 
बिलासपुर सीट पर कद्दावर मंत्री अमर अग्रवाल को हराकर शैलेष पांडेय चुनाव जीते हैं, जबकि बीजापुर सीट से मंत्री महेश गागडा को हराने वाले विक्रम सिंह मंडावी, नारायणपुर सीट से मंत्री केदार कश्यप को हराने वाले चंदन कश्यप, नवागढ़ सीट से दयालदास बघेल को हराकर गुरुदयाल बंजारे ने तथा बैकुंठपुर सीट से मंत्री भैयालाल राजवाडे को हराकर अम्बिका सिंहदेव चुनाव जीती हैं। ये सभी मंत्रिमंडल में शामिल होने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। 
 
फिलहाल मुख्यमंत्री बघेल पार्टी अध्य़क्ष राहुल गांधी से मंत्रिमंडल पर चर्चा के लिए पिछले 2 दिनों से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। वे अपने साथ वरिष्ठता, जातीय समीकरणों तथा क्षेत्रवार संतुलन रखने का पूरा खाका तैयार करके ले गए हैं। राज्य के प्रभारी पीएस पुनिया से भी उन्होंने शुक्रवार को ही इस बारे में चर्चा पूरी कर ली है। माना जा रहा है कि गांधी से अनुमति मिलते ही वे अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे। (वार्ता)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

रविशंकर प्रसाद का हेरॉल्ड मामले को लेकर सोनिया, राहुल पर तीखा हमला