अदालत का बीएमसी से सवाल- क्या आप चुनिंदा समूह के लिए घर-घर जाकर टीकाकरण शुरू कर सकते हैं?

Webdunia
बुधवार, 19 मई 2021 (19:47 IST)
मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने मुंबई महानगरपालिका से बुधवार को पूछा कि क्या यह संभव है कि उन वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगजनों के लिए घर-घर जाकर कोरोनावायरस (Coronavirus) कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम चलाया जाए जो टीकाकरण केंद्रों पर जाने में असमर्थ हैं।

मुख्य न्यायाधीश दिपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की खंडपीठ ने कहा कि अगर बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) इन समूहों के लिए घर-घर जाकर टीकाकरण कार्यक्रम शुरू करने की इच्छुक है तो उच्च न्यायालय उन्हें इसकी अनुमति देगी भले ही केंद्र सरकार ने ऐसे अभियान के लिए सहमति नहीं दी हो।

पीठ ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि केंद्र सरकार घर-घर जाकर टीकाकरण कार्यक्रम शुरू करने की इच्छुक नहीं है। अगर बीएमसी कहती है कि वह घर-घर जाकर टीकाकरण शुरू कर सकती है तो हम अनुमति देंगे। केंद्र सरकार की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी।

मुख्य न्यायाधीश दत्ता ने कहा, क्या आप वरिष्ठ नागरिकों की मदद को आएंगे?भले ही केंद्र (घर-घर जाकर टीकाकरण) को हरी झंडी नहीं दे रहा हो, हम आपको मंजूरी देने के लिए तैयार हैं। अदालत ने पूछा कि क्या बीएमसी ऐसे लोगों के घर जाने में समर्थ है जो अपने घरों से बाहर नहीं निकल सकते और उन्हें टीका लगवा सकती है?
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अदालत ने बीएमसी के आयुक्त इकबाल चहल को गुरुवार को एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया जिसमें उसे बताना है कि वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगजनों और बिस्तर से न उठ सकने या व्हीलचेयर पर आश्रित लोगों को उचित चिकित्सा देखभाल के साथ घरों में टीका दे सकती है या नहीं।
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अदालत इस मामले में अब गुरुवार को आगे सुनवाई करेगी। अदालत ने कोविड-19 महामारी के तेजी से फैलने का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसे वक्त में एक-एक दिन कीमती है। अदालत दो अधिवक्ताओं धृति कपाड़िया और कुनाल तिवारी की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

इस याचिका में 75 साल से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों और शारीरिक रूप से दिव्‍यांग तथा घरों में बिस्तर पर ही रहने को मजबूर व्यक्तियों के लिए घर-घर टीकाकरण अभियान चलाने का केन्द्र सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।(भाषा)

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