कोविड-19 उपचार के लिए पेट के कीड़ों की दवा का परीक्षण

Webdunia
मंगलवार, 8 जून 2021 (17:03 IST)
नई दिल्ली, कोविड-19 के उपचार के लिए वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और लक्साई लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड ने निकोलसमाइड दवा का दूसरे चरण का चिकित्सीय परीक्षण शुरू कर दिया है। जिसके लिए भारतीय औषध महानियंत्रक (डीजीसीआई) से नियामक मंजूरी भी मिल चुकी है।

निकोलसमाइड दवा का प्रयोग आमतौर पर पेट के कीड़ों को मारने के लिए किया जाता है। इस परीक्षण के माध्‍यम से अस्‍पताल में भर्ती कोरोना संक्रमित रोगियों के उपचार में निकोलसमाइड दवा की प्रभावकारिता, सुरक्षा और सहनशीलता का मूल्‍यांकन किया जाएगा।

निकोलसमाइड दवा का व्यापक उपयोग टैपवार्म संक्रमण के उपचार के लिए होता है। सुरक्षा के पहलू से इस दवा की कई बार जांच की जा चुकी है, और इसे विभिन्‍न स्‍तरों पर मानवीय उपयोग के लिए सुरक्षित पाया गया है। निकोलसमाइड एक जेनेरिक और सस्ती दवा है, जो भारत में आसानी से उपलब्ध है।

डीजी-सीएसआईआर के सलाहकार डॉ राम विश्वकर्मा ने बताया कि इस परियोजना में सहयोगी किंग्स कॉलेज, लंदन के शोध समूह द्वारा निकोलसमाइड दवा की पहचान एक पुनरूद्देशित दवा के रूप में की है। शोध में पाया गया कि यह दवा सिंकाइटिया यानी फ्यूज्ड कोशिकाओं की रचना को रोक सकती है। यह माना जा रहा है कि कोरोना संक्रमित मरीजों के फेफड़ों में देखी गई सिंकाइटिया संभवतः सार्स कोव-2 स्पाइक प्रोटीन की गतिविधियों के परिणामस्वरूप हो सकती है।

डॉ राम विश्वकर्मा ने बताया कि वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की जम्मू स्थित प्रयोगशाला इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन (आईआईआईएम) और नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज (एनसीबीएस) बेंगलुरु के स्वतंत्र अध्ययन में निकलोसामाइड को एक संभावित सार्स-कोव2 अवरोधक के रूप में पाया गया है। इन दोनों स्वतंत्र प्रायोगिक अध्ययनों को देखते हुए निकलोसामाइड कोरोना संक्रमित मरीजों में चिकित्सीय परीक्षण के लिए एक भरोसेमंद दवा के विकल्प के रूप में उभरी है।

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की हैदराबाद स्थित लैब भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईसीटी) के निदेशक डॉ श्रीवारी चंद्रशेखर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आईआईसीटी में विकसित उन्नत तकनीक के आधार पर लक्साई लाइफ साइंसेज द्वारा सक्रिय फार्मास्युटिकल संघटक (एपीआई) बनाया जा रहा है और आईआईसीटी हैदराबाद इस महत्वपूर्ण नैदानिक परीक्षण में भागीदार है, जो परीक्षण सफल होने पर मरीजों के लिए लागत प्रभावी चिकित्सा विकल्प प्रदान कर सकता है।

लक्साई के सीईओ डॉ राम उपाध्याय ने बताया कि निकलोसामाइड की क्षमता को देखते हुए पिछले साल ही चिकित्सीय परीक्षण करने के प्रयास शुरू किए गए थे। नियामक मंजूरी मिलने के अलग-अलग जगहों पर क्लीनिकल ट्रायल शुरू कर दिया गया है। उम्मीद व्यक्त की जा रही है कि यह परीक्षण 08 से 12 सप्ताह में पूरा हो जाएगा। चिकित्सीय साक्ष्यों के आधार पर इस दवा के आपातकालीन उपयोग की माँग की जा सकती है, ताकि कोरोना संक्रमित रोगियों के लिए अधिक उपचार विकल्प उपलब्ध हो सकें। (इंडिया साइंस वायर)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

राष्ट्रपति पुतिन पर भड़के जेलेंस्की, रूस को लेकर कह दी बड़ी बात, अब क्या होगा Putin का रुख

Salman Khurshid : कांग्रेस नेताओं के बर्ताव से क्यों दुखी हुए सलमान खुर्शीद, कह दी चुभने वाली बात

Coronavirus Alert : पश्चिम बंगाल में कोरोनावायरस की भयानक स्थिति, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- ‘अगली कोविड महामारी’ अभी खत्म नहीं हुई

Pakistan में आने वाली है प्रलयकारी मुसीबत, IRSA के डरावने आंकड़ों से आतंकिस्तान में मचा हाहाकार

एलन मस्क के पिता अयोध्या में रामलला के दर्शन करने क्यों आए, बोलेंगे जय श्रीराम

सभी देखें

नवीनतम

देश में कोरोना के 3976 एक्टिव केसेस, 24 घंटे में मिले 203 नए केसेस

पचमढ़ी में आज मोहन कैबिनेट की बैठक, राजा भभूत सिंह को दी जाएगी श्रद्धांजलि

रिसेप्शन में तेजस्वी से बोले खान सर, आप ही मॉडल पर की शादी

LIVE: देश में कोरोना के 3976 एक्टिव केसेस, अब तक 34 की मौत

पंजाब के तरनतारन से पाकिस्तानी जासूस गिरफ्तार, संवेदनशील जानकारी शेयर करने का आरोप

अगला लेख